भोपाल: राज्य के संस्कृति विभाग ने निवाड़ी जिले के ओरछा स्थित चार प्राचीन स्मारकों को डिनोटिफाई कर दिया है और इन्हें इस शर्त के साथ पर्यटन विभाग को सौंप दिया है कि वह इनके मूल स्वरुप को यथावत रखेगा। ये स्मारक पूर्व में मप्र प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल तथा अवशेष अधिनियम 1964 के तहत नोटिफाई किये गये थे जिससे इनके सौ मीटर व्यास में खनन एवं निर्माण प्रतिबंधित हो गया था और इस सौ मीटर से परे दो सौ मीटर व्यास में खनन एवं निर्माण रेगुलेटेड हो गये थे जिसके तहत पुरातत्व विभाग की अनुमति लेकर खनन या निर्माण किया जा सकता था।
ओरछा में डिनोटिफाई किये गये चार प्राचीन स्मारक हैं :
1.214 हैक्टेयर में स्थित फसियाने की हवेली जिसका स्वामित्व रामचरण तनय भुजबल लोधी आदि के पास है, 1 हैक्टेयर में स्थित तोपची की हवेली जो मप्र शासन के स्वामित्व में है, 0.040 हैक्टेयर में स्थित सीतागढ़ी जिसमें वर्तमान में मप्र शासन का संस्कृत महाविद्यालय लगता है तथा 0.100 हैक्टेयर में स्थित पुरानी हवेली जो मप्र शासन के स्वामित्व में है।
विदिशा के पांच स्मारक नोटिफाई होंगे :
इधर संस्कृति विभाग ने विदिशा जिले की गंजबासौदा तहसील के स्थानीय क्षेत्र उदयपुर में स्थित पांच प्राचीन स्मारकों को राज्य संरक्षित स्मारक बनाने इन्हें नोटिफाई करने की अधिसूचना जारी की है जो आगामी दिनों में प्रभावशील होगी।
ये पांच प्राचीन स्मारक हैं : 1.714 हैक्टेयर में स्थित उदय सागर तालाब, 0.794 हैक्टेयर में स्थित गणेश मंदिर, 16.575 हैक्टेयर में स्थित उदयपुर पहाड़ी किला, 0.063 हैक्टेयर में स्थित बीजामंडल घडिय़ालों का मकान तथा 0.010 हैक्टेयर में स्थित सेठों की बनिया बावड़ी।