भोपाल: जंगल महकमे में फील्ड से मुख्यालय में पदस्थ अफसर अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आ रहें हैं। इसी कड़ी में करीब आधा दर्जन डीएफओ-एसडीओ ने अपने अधिकार सीमा से बाहर जाकर मालिक मकबूजा प्रकरणों में पेड़ों की कटाई की अनुमति दे दी। जबकि मकबूजा प्रकरणों में कटाई की अनुमति का अधिकार कलेक्टर्स को है।
इसकी पोल तब खुली जब डीएफओ के तबादले के बाद नए डीएफओ ने पदभार संभाला। ऐसी गड़बड़ियां एक से अधिक वन मंडलों में होने की जानकारी मुख्यालय को पता चली है। पीसीसीएफ उत्पादन इंचार्ज एचयू खान ने सीएफ को आरोप-पत्र बनाने के निर्देश दिए हैं।
मध्यप्रदेश आदिम जनजातियों का संरक्षण (वृक्ष हित)संशोधन अधिनियम 2017 की धारा 4 में आदिवासी समुदाय से संबंधित मालिक मकबूजा प्रकरणों में की कटाई की अनुमति के अधिकार कलेक्टर को दिये गये है। ऐसे प्रकरणों में पंचायत द्वारा आवेदक की भूमि पर खड़े वक्षों की कटाई की अनुमति दिया जाना मान्य नही है।
नरसिंहपुर वन मंडल में पदस्थ तत्कालीन डीएफओ लवित भारती, पूर्व एसडीओ और मौजूदा डीएफओ अशोकनगर प्रीति अहिरवार, एसडीओ गोपाल सिंह और एसडीओ सुनील वर्मा ने अपने-अपने कार्यकाल में अपने मनमर्जी से जनजाति हितग्राहियों के भूमि पर खड़े पेड़ों की कटाई की थोक में अनुमतियां दे दी। जबकि इन प्रकरणों में कलेक्टर को ही कटाई की परमिशन देने का अधिकार है।
सूत्रों ने बताया कि अकेले नरसिंहपुर वन मंडल में 42 प्रकरण हैं, जिसमें मध्यप्रदेश आदिम जनजातियों का संरक्षण (वृक्ष हित)संशोधन अधिनियम 2017 की धारा 4 का उल्लंघन किया गया है। मामला प्रकाश में आते ही पीसीसीएफ उत्पादन इंचार्ज एचयू खान ने सिवनी प्रभारी सीएफ वी मधुराज को आरोप-पत्र बनाने के निर्देश दिए हैं।
हालांकि इस निर्देश को दिए भी एक महीने से अधिक का समय हो गया है पर अभी-अभी तक आरोप-पत्र नहीं बन पाया। इस बीच डीएफओ को बचाने के लिए फील्ड के अफसर पुरानी तिथि में हस्ताक्षर कराने के लिए कलेक्टर की खुशामद करने में लगे है।
अब भुगतान के लिए दबाव..
तत्कालीन डीएफओ लवित भारती ने मालिक- मकबूजा के 36 से अधिक प्रकरणों में 2-3 करोड़ का भुगतान कर चुके हैं। जबकि ये सभी प्रकरणों में कटाई की दी गई अनुमति नियम विरुद्ध है। सूत्रों के अनुसार नरसिंहपुर वन मंडल में मालिक -मकबूजा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है। एक वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी ने ऐसे प्रकरणों में उच्च स्तरीय जांच की जरूरत है। वर्तमान में लवित भारती की पदस्थापना वर्किंग प्लान शहडोल है।
पीसीसीएफ ने जारी किया परिपत्र..
पीसीसीएफ उत्पादन इंचार्ज एचयू खान ने प्रदेश के सभी सीएफ और डीएफओ के नाम परिपत्र जारी किया है। परिपत्र में स्पष्ट तौर पर कहा है कि मध्यप्रदेश आदिम जनजातियों का संरक्षण (वृक्ष हित)संशोधन अधिनियम 2017 की धारा 4 में आदिवासी समुदाय से संबंधित मालिक मकबूजा प्रकरणों में की कटाई की अनुमति के अधिकार कलेक्टर को दिये गये है। ऐसे प्रकरणों में पंचायत द्वारा आवेदक की भूमि पर खड़े वक्षों की कटाई की अनुमति दिया जाना मान्य नही है।
इस संशोधित अधिनियम की धारा 2 में प्रावधानिक है कि इस अधिनियम के उपबंध मध्यप्रदेश लोक वानिकी अधिनियम, 2001 के उपबंधनो के अधीन उगाये गये वृक्षों को लागू नहीं होगे परन्तु अन्य प्राकृतिक रूप से लगे हुये पुराने वृक्षों की कटाई की अनुमति का अधिकार कलेक्टर को ही रहेगा। यदि इसकी आड़ में कोई वन मंडल अधिकारी बिना पूर्ण छानबीन के वृक्ष कटाई की अनुमति देता है तो उसके लिये वे व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी रहेगे।