हिन्दी लोकोक्तियाँ-10
-दिनेश मालवीय
1. ईंट की ख़ातिर मस्जिद गिरा दी.
छोटे लाभ के लिए बड़ा नुकसान कर दिया.
2. ईंट से ईंट बजाना
घमासान लड़ाई होने पर कड़ा मुकाबला करना
3. ईद पीछे चाँद मुबारक.
बेमौके की बधाई. उचित अवसर बीत जाने पर मुबारकबाद देना.
4. ईर्ष्या से क्रोध भला
क्रोध कुछ समय के लिए होता है, लेकिन ईर्ष्या तो आग बन कर जीवन भर ख़ुद को जलाती है.
5. ईश्वर उन्हीं की सहायता करता है, जो ख़ुद अपनी सहायता करते हैं.
जो व्यक्ति ख़ुद प्रयास करता है, ईश्वर उसीकी सहायता करता है.
God helps those who help themselves.
6.ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया.
संसार में एक तरफ दुःख है तो एक तरफ सुख.
7.अंगुली कटाके शहीदों में नाम.
ऐसा तब व्यंग्य में कहा जाता है, जब कोई व्यक्ति छोटा-सा कम कर महान
लोगों में गिनती करवाने की कोशिश करता है.
8.उंगली पकड़ते पहुँचा पकड़ा.
कोई थोड़ा-सा सहारा पाते ही गले पड़ जाए तब ऐसा कहा जाता है.
9.ऊंची दुकान फीके पकवान
भीतर कुछ भी न होने पर भी बाहरी आडम्बर दिखाने वाले के लिए ऐसा कहा जाता है.
10. उखाड़ते पाँव दुनिया देखे.
किसी पर मुसीबत आने पर सब देखते रहते हैं, मदद नहीं करते.
11.उखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या दर.
कसी काम करने का निश्चय कर लिया तो उसके परिणाम की चिंता क्या करना.
12.उगता सूरज तपता है.
प्रतिभावान व्यक्ति के गुण बचपन से ही सामने आने लगते हैं.
13.उजड़े गाँव में अरंड ही पेड़.
जहाँ कोई अधिक बुद्धिमान न हो, वहाँ थोड़ा ज्ञान रखने वाला ही विद्वान माना जाता है.
14. उजला-उजला सभी दूध नहीं होता.
ऊपर से अच्छी दिखने वाली चीज ज़रूरी नहीं कि अच्छी ही हो. हर सफेद चीज दूध नहीं होती. हर चमकती चीज सोना नहीं होती. All that glitters is not gold.
15. उजाला हुआ और अँधेरा गया.
अच्छे दिन आने पर सभी परेशानियाँ दूर हो जाती हैं.
16. उठाई जीभ तालू से दे मारी.
बिना सोचे-समझे बात करने वालों के लिए यह बात व्यंग्य में कही जाती है.
17. उतने पाँव पसारिये, जितनी चादर होय.
अपने पास उपलब्ध संसाधनों के अनुसार ही कम करना चाहिए.
Cut your coat according to your cloth.
18.उतर गयी लोई तो क्या करेगा कोई.
जब इज्जत ही चली गयी, तो किसका दर.
19.उतावला बावला.
जल्दबाज व्यक्ति पागल के सामान होता है, उसे काम में सफलता नहीं मिलती.
20.उदय के साथ अस्त भी है.
जिसका उत्थान हुआ है उसका पतन भी होगा.