Bhopal: डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बने लगभग 9 महीने हो गये हैं। हालाँकि, इनमें से चार महीने लोकसभा चुनाव की तैयारियों में बीते, जिसके कारण वह अपने मुख्यमंत्री पद का निर्वहन पूरी तरह से नहीं कर पाए। लेकिन इन बचे 5 महीनों में भी राज्य की खराब आर्थिक स्थिति, प्रशासनिक व्यवस्था और केंद्र सरकार के दबाव ने उनकी राह में कई चुनौतियां खड़ी कर दी।
इन चुनौतियों का सामना करते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव अब एक नई पहल - जीरो बेस्ड बजटिंग लेकर आ रहे हैं। इस तकनीक के तहत 2025-26 का बजट पारंपरिक तरीके से नहीं, बल्कि नई नीतियों और वास्तविक जरूरतों के आधार पर तैयार किया जाएगा।
जीरो आधारित बजट एक आधुनिक वित्तीय योजना है, जिसमें पिछले बजट या पिछले साल के खर्च को आधार नहीं माना जाता है। इसके बजाय, प्रत्येक वर्ष को एक नई शुरुआत के रूप में देखा जाता है, जहां सभी खर्चों का पुनर्मूल्यांकन किया जाता है। यह भविष्य की जरूरतों, संभावनाओं और योजनाओं के अनुसार धन आवंटित करता है।
पहले पारंपरिक बजट के तहत पिछले साल के खर्चों को ध्यान में रखकर नया बजट तैयार किया जाता था, लेकिन इस नई तकनीक में खर्च का आकलन किया जाएगा और वास्तविक जरूरतों के आधार पर योजनाएं बनाई जाएंगी।
सूत्रों के मुताबिक, इस कदम को लेकर मध्य प्रदेश मंत्रालय वल्लभ भवन में चर्चा तेज हो गई है। अधिकारी इस नई बजट प्रणाली को लागू करने के तरीकों पर विचार कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह बजट प्रणाली राज्य की आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता के लिए फायदेमंद साबित होगी या सिर्फ एक प्रयोग बनकर रह जायेगी।
मुख्यमंत्री यादव के इस कदम से आंकड़ों में हेरफेर करने वाले सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी दबाव बढ़ेगा, क्योंकि अब केवल ठोस विश्लेषण और योजनाओं पर आधारित बजट ही स्वीकार्य होंगे।
डॉ. मोहन यादव के इस नये फैसले के पीछे एक मजबूत और पारदर्शी वित्तीय व्यवस्था बनाने की मंशा साफ है? लेकिन जीरो बेस्ड बजट मध्य प्रदेश के आर्थिक और राजनीतिक हितों के लिए कितना सफल साबित होगा, ये तो वक्त ही बताएगा. उम्मीद है कि यह नई नीति राज्य को आर्थिक रूप से मजबूत और प्रशासनिक रूप से अधिक जवाबदेह बनाएगी।