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- How to set a target? The Science of Setting Goals ............... P Atul Vinod
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- The Science & Psychology Of Goal-Setting
- The Science of Setting Goals
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टारगेट कैसे तय करें? गोल सेट करने का विज्ञान……………P अतुल विनोद
टारगेट कैसे तय करें? गोल सेट करने का विज्ञान……………P अतुल विनोद
सभ्यता के विकास के साथ लक्ष्य,प्रयोजन और ध्येय सेट करने की सहज सोच पैदा हुई, मानव को चेतना के विकास के साथ लगा होगा जीवन को बेहतर ढंग से जीने के लिए कोई ना कोई प्रयोजन होना जरूरी है| किसी ने ईश्वर की सेवा को अपना लक्ष्य बनाया तो किसी ने ईश्वर के द्वारा निर्मित मानव की सेवा को अपना लक्ष्य बनाया|
सुमेरियन सभ्यता में प्रभु की सेवा ही मानव जीवन का लक्ष्य था, इजिप्ट संस्कृति में अनंत जीवन को लक्ष्य माना गया|
बेबीलोन-असीरियन संस्कृति में आर्थिक समृद्धि वैज्ञानिक, चिकित्सा और ज्योतिषी विकास को मानव जीवन का प्रयोजन बनाया गया| पाप से बचने पुण्य कमाने की अवधारणा भी विकसित हुयी|
वैदिक सभ्यता में ईश्वर प्राप्ति, आत्मज्ञान, विराट दर्शन, सत्य का साक्षात्कार, जीव मात्र का कल्याण, प्रकृति की रक्षा मानव जीवन के लक्ष्य माने गये इसके अनेक विधान भी बताये गए|
पुरातन ग्रीक संस्कृति विश्व की वास्तविक सच्चाई जानने की हिमायती थी तो बुद्धिज्म अशांति और कष्ट के अंत के लिए इसके सोर्स तक पहुचने को मानव जीवन का प्रयोजन मानती आई|
पारसी( Zoroastrianism ) धर्म बुराई पर अच्छाई की जीत पर भरोसा करता रहा है|
यहूदियों (Judaism) इसमें कम से कम में जीने के साथ कुछ धार्मिक शिक्षाओं के साथ जीने का लक्ष्य तय किया गया|
ताओवाद की भी कुछ मान्यतायें रही, ताओ बाकी धर्मो से उलट मानव को सहज रहने को कहता रहा है| ताओ ने लोगों को उलझनों से दूर रहने समर्पण करने और नदी के बहाव की दिशा में बहने की सलाह दी| इसमें सबसे पीछे रहने, प्रतिरोध न करने, अम्बीशंस से दूर रहने को कहा गया|
ईसाइयत मानववाद और गॉड के संदेशो के आधार पर चलने को मानव का लक्ष्य बताती है तो इस्लाम के अनुसार मनुष्य को अल्लाह की इच्छा के समक्ष अपने आपको पूर्णतया अर्पित कर देना चाहिए ।
वर्तमान में हम सब अपने लक्ष्य को कई आधार पर तय करते हैं एक हमारा धार्मिक ध्येय होता है दूसरा सामजिक और तीसरा अपना और अपने परिवार का|
हमारे लक्ष्य हर स्तर पर अलग अलग हो सकते हैं| गोल्स हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए हैं| गोल ही सब कुछ नहीं|
धार्मिक और अध्यात्मिक लक्ष्य का आधार सिर्फ वो धर्म नही होना चाहिए जो हमे अपने माता पिता से मिला, आय को लेकर हम अपने आसपार के लोगों के आधार पर ही लक्ष्य तय न करें इससे आगे भी सोचने का प्रयास करें| अक्सर हम उसी दायरे में सोचते हैं जो हमे बताया गया| पारिवारिक और सामजिक लक्ष्य भी सोचसमझ कर तय करें|
आज हम उस दौर में रह रहे हैं जहां हम सिर्फ अपनी परम्परा या सोच के आधार पर परिवार नही चला सकते आपके बच्चे हो सकता है विदेश में जाकर बस जाएँ| ऐसे में उन्हें हम स्थिति के लिए तैयार करना होगा|