सिर्फ शिक्षा तक ही न रखें सीमित, बच्चों को संस्कृति की भी दें सीख


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स्टोरी हाइलाइट्स

हमारी संस्कृति में निहित गहरी विविधता से वंचित हैं बच्चे

भारत एक ऐसा देश है जहाँ कई धर्म, मान्यताएँ, भाषाएँ और भोजन हैं. जैन धर्म, बौद्ध धर्म, हिंदू धर्म, सिख धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम ऐसे कुछ धर्म हैं जिनका भारत में पालन किया जाता है, बच्चे त्योहारों और उत्सवों के बारे में जानते हैं लेकिन वे अभी भी हमारी संस्कृति में निहित गहरी विविधता से वंचित हैं..!!

पारिवारिक संस्कृति:

पारंपरिक आचरण: बच्चों को परिवार में होने वाले पारंपरिक आचरणों का महत्व समझाएं। उन्हें परिवार के त्यौहारों, पूजाओं, और रीति-रिवाजों की महत्वपूर्णता से अवगत कराएं।

भाषा और सम्बन्ध: बच्चों को अपनी मातृभाषा का महत्व समझाएं और उन्हें इसे सीखने के लिए प्रोत्साहित करें। सम्बन्धों की महत्वपूर्णता को बच्चों को समझाएं और उन्हें परिवार के सभी सदस्यों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए प्रेरित करें।

शैक्षिक संस्कृति:

विशेषज्ञ सामाजिक अध्ययन: स्कूलों में सामाजिक अध्ययन के माध्यम से बच्चों को उनकी संस्कृति और इतिहास की शिक्षा दी जानी चाहिए। उन्हें विभिन्न सामाजिक समूहों, समाजशास्त्र, और भूगोल के माध्यम से समाज के नियमों और मूल्यों के बारे में सिखाएं।

भाषा और साहित्य: बच्चों को अपनी सांस्कृतिक भाषा के साथी और लेखकों के कामों से परिचित कराएं। उन्हें महाकाव्य, भगवद गीता, और अन्य महत्वपूर्ण साहित्य का अध्ययन करने के लिए प्रेरित करें।

सामाजिक  संस्कृति:

सामाजिक गतिविधियां: बच्चों को समाज में उनके सांस्कृतिक योगदान के माध्यम से सिखाएं। उन्हें सामाजिक संगठनों, मेले, और समाज सेवा कार्यों में शामिल होने के लिए प्रेरित करें।

नैतिक मूल्यों की शिक्षा: बच्चों को नैतिक मूल्यों की महत्वपूर्णता समझाएं और उन्हें यह शिक्षा दें कि कैसे अच्छे आदर्शों के साथ जीना है। उन्हें सहायता और समर्थन के माध्यम से अच्छे कर्मों को पहचानने और करने के लिए प्रेरित करें।

ये तरीके बच्चों को उनकी संस्कृति और मूल्यों के साथ जुड़ने में मदद कर सकते हैं और उन्हें सजग, समझदार, और नैतिक नागरिक बनाने में मदद कर सकते हैं।