स्टोरी हाइलाइट्स
इंदौर विकास प्राधिकरण की नियत बदली, बिकी दुकान को दोबारा बेचने की तैयारी: गणेश पाण्डेय इंदौर विकास प्राधिकरण....
पीएमओ से लेकर संभाग आयुक्त इंदौर तक पहुंची शिकायत
गणेश पाण्डेय
भोपाल. जमीन, दुकान और मकान के खरीदने और बेचने की गड़बड़ियों को लेकर इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) हमेशा से ही सुर्खियों में रहा है. ताजा मामला 6 करोड़ कीमत वाले दुकान को लेकर है. प्राधिकरण ने ई टेंडर के जरिए 6 करोड़ की दुकान के विक्रय बाद पुनः बेचने के फिराक में है. प्राधिकरण की नियत की खबर लगते ही सबसे अधिक कीमत की बिड देने वाले क्रेता वताश शर्मा न्याय के लिए दर बदर भटक रहे हैं. शर्मा ने पीएमओ ऑफिस से लेकर इंदौर संभाग आयुक्त से शिकायत कर आईडीए दुकान दिलाने का आग्रह कर रहे हैं.
वताश शर्मा की शिकायत के अनुसार इंदौर विकास प्राधिकरण ने योजना क्रमांक 140 आनंद वन फेस टू में निर्माणाधीन बहुमंजिला भवन में चार व्यवसायिक दुकानों के लिए दो बार टेंडर आमंत्रित किया था. पहली बार हुए टेंडर में किसी ने भी बिड नहीं डाला था. दूसरी बार आमंत्रित टेंडर में वताश शर्मा ने दुकान क्रमांक 19 का सबसे अधिक राशि का बिड डाला था. शर्मा का बिड छह करोड़ 28 लाख 52 हजार से अधिक राशि का था. सबसे अधिक कीमत लगाने वाले शर्मा को दुकान देने के लिए अनुबंध भी हो गया. 6 महीने का समय बीत गया अभी तक आईडीए ने शर्मा को दुकान का आधिपत्य नहीं सौंपा है.
इस बीच आईडीए के सीईओ ने संचालक मंडल की बैठक आहूत कर यह प्रस्ताव रखा कि पूर्व में ई-टेंडर के जरिए बेची गई दुकान की कीमत और अधिक मिल सकती है. सीईओ ने अधिक राजस्व मिलने के प्रस्ताव रखते हुए पुणे टेंडर बुलाए जाने का सुझाव दिया है. सवाल यह उठता है कि जब पूर्व में दुकानों के विक्रय के लिए दो बार हुए टेंडर में अधिक कीमत पर दुकान की बोली लगने के बाद तीसरी बार टेंडर कैसे बुलाई जा सकती हैं? वह भी तब, जब आमंत्रित बिड का निर्णय भी हो चुका हो. शर्मा बताते हैं कि ऐसा मेरे साथ ही नहीं हुआ है, बल्कि 7 और 18 दुकान क्रमांक की अधिक बोली लगाने वाले हितग्राही भी ठगा महसूस कर रहे हैं.
सूत्रों ने बताया कि आईडीए के सीईओ बिकी हुई दुकानों के आदेश को निरस्त कर अब अपने चहेते व्यवसायियों को देना चाह रहे हैं. अपने मंसूबे में तब कामयाब हो सकते हैं जब संचालक मंडल की बैठक में इस संदर्भ में निर्णय लिया जा सके. यही वजह है कि सीईओ संचालक मंडल के सदस्यों को भी मेहनत करने में जुटे हैं. सदस्यों को या प्रलोभन दिया जा रहा है कि पूर्व में किए गए टेंडर को निरस्त कर नए टेंडर बुलाए जाने से आईडीए को राजस्व अधिक मिल सकता है.
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