भोपाल: वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव कार्यभार संभालते ही एक्शन मूड में नजर आने लगे हैं। वर्ष 2020 में हुई गड़बड़ियों को लेकर एक नई जांच कमेटी गठित कर दी है। इसके पहले तीन जांच प्रतिवेदन मुख्यालय एवं मंत्रालय के बीच धूल खा रही है। इसी प्रकार लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक बिभाष ठाकुर भी भ्रष्टाचार के जीरो टालरेंस के तहत प्रसंस्करण और अनुसंधान केंद्र बरखेड़ा पठानी में हुई अनियमिताओ को लेकर केंद्र के सीईओ से 7 दिन के भीतर जांच प्रतिवेदन मांगा है। यहां गौरतलब यह कि सीईओ ने जांच की जिम्मेदारी एक दागी एसीएफ को सौंप दी है। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि रिपोर्ट आने वाली कैसी होगी?
वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव ने आदेश जारी कर पूर्व में वन संरक्षक नर्मदापुरम अजय कुमार पांडेय के खिलाफ 12 बिंदुओं पर हुई शिकायतों की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया है। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र संचालक सतपुड़ा टाइगर रिजर्व एल कृष्णमूर्ति को जांच कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। इसके अलावा वन संरक्षक नर्मदापुरम वृत अनिल शुक्ला, वन संरक्षक वर्किंग प्लान नर्मदापुरम पीएन मिश्रा और एक एसडीओ को जांच समिति के सदस्य के रूप में मनोनीत किया है।
जांच कमेटी को 7 दिन में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करना है। दिलचस्प पहलू यह है कि श्रीवास्तव ने नर्मदा पुरम वन मंडल के जिन शिकायतों के लिए जांच कमेटी गठित की है, उसकी तीन जांच प्रतिवेदन पहले से ही मुख्यालय से लेकर मंत्रालय तक धूल खा रही है। इसके पहले केके भारद्वाज तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक नर्मदा पुरम और उसके बाद तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक नर्मदापुरम वृत आरपी राय ने भी कमेटी गठित कर जांच कराई थी और दोनों ही जांच प्रतिवेदन मुख्यालय में मौजूद है। तब जांच कमेटी में शामिल सदस्यों की वरिष्ठता पर सवाल उठ रहे थे कि जूनियर अधिकारी अपने से वरिष्ठ अफसर की जांच कैसे कर सकता है?
क्या थी शिकायतें-
* क्रय भंडारण नियम की अवहेलना कर औषधि बीज खरीदी।
** क्रय समिति से अनुमोदन नहीं लेना।
** फर्जी भ्रमण दर्शाकर यात्रा भत्ता, होटल में रुकने का बिल और खाने का फर्जी बिल वाउचर।
भोपाल की डिफाल्टर संजीवनी केंद्र खिलाफ जांच, क्या अब अन्य के खिलाफ भी जांच होगी?
वन बल प्रमुख के एक्शन मूड में आने पर महकमे चर्चा है कि आर्थिक अनियमितताओं और क्षतिपूर्ति वनीकरण घोटाले में फंसे नवीन गर्ग और प्रशांत कुमार सिंह आईएफएस अफसर के खिलाफ भी जांच शुरू होगी? सूत्रों ने बताया है कि बालाघाट सीएफ एपीएस सेंगर, अधर गुप्ता समेत आधा दर्जन अधिकारियों के खिलाफ जांच संबंधित फाइल प्रशासन-एक शाखा में धूल खा रही है।
लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र बरखेड़ा पठानी में हुई गड़बड़ियों की लंबी फेहरिस्त है। यदि इन सभी की उच्चस्तरीय जांच कराई जाय तो साल भर का समय भी काम पड़ेगा। फिलहाल तो संघ के प्रबंध संचालक बिभाष ठाकुर ने सीईओ प्रफुल्ल फुलझले को पत्र लिखकर भोपाल के लिंक रोड क्रमांक -1 स्थित संजीवनी केंद्र पर 23 लाख से अधिक बकाया होने के बावजूद भी हर्बल उत्पाद प्रदान किए जाने की जांच 7 दिन में करने के निर्देश दिए हैं।
अपने जांच निर्देश में प्रबंध संचालक ठाकुर ने राज एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर का जिक्र किया है। एमडी के जांच आदेश पर सीईओ फूलजले ने एसीएफ मणि शंकर मिश्रा को जांच की जिम्मेदारी सौंप दी है। एसीएफ मिश्रा का पिछला सर्विस ट्रेक -रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है। वे जब एसडीओ सेंधवा थे तब इनके खिलाफ तत्कालीन डीएफओ अनुपम शर्मा ने लकड़ी चोरी का मामला दर्ज किया था।
इनके आवास से लकड़ी भी जब्त की गई थी। तब खंडवा के तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक आरपी राय ने दबा दिया है। केंद्र में हुई गड़बड़ियों के दूसरे मामलों पर लीपापोती करने के उद्देश्य से जांच प्रतिवेदन उस प्रभारी एसडीओ सुनीता अहिरवार से तैयार करवाया गया, जो स्वयं गड़बड़ियों की परिधि में आ रहीं हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उसने हर गड़बड़ियों में स्वयं को क्लीन चिट दे दी है। सारे आरोपों को झूठला दिया है।