भोपाल: विश्व बैंक से मिले लाखों रुपए के अनुदान खर्च कर मप्र कैडर के रिटायर्ड आईएफएस आरबी सिन्हा और आरआर ओखंडियार कृषि वानिकी प्रणालियों में वृक्ष प्रजातियों के लिए नर्सरियों के प्रमाणीकरण/मान्यता के लिए प्रोटोकॉल और मानक तय करने के लिए देश में जगह-जगह वर्कशॉप कर रहे हैं। दिलचस्प पहलू यह है कि वन विभाग 4 साल पहले ही बीज, पौध और नर्सरी के मानक प्रोटोकॉल के साथ नर्सरी प्रमाणीकरण और मान्यता का फार्मूला तैयार कर शासन को भेज दिया है। यह बात अलग है कि अभी तक राज्य शासन की उस पर मोहर नहीं लग पाई है।
खाद्य और कृषि संगठन एफएओ - नई दिल्ली कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय - भारत सरकार के सहयोग से "भारत में कृषि वानिकी प्रणालियों में वृक्ष प्रजातियों के लिए नर्सरी को प्रमाणित करने के लिए एजेंसियों के प्रमाणन/मान्यता के लिए प्रोटोकॉल और मानकों" पर को इंदौर के नवरतन बाग वन परिसर में एक क्षेत्रीय हितधारक कार्यशाला का आयोजन कर रहा है।
इस कार्यशाला आयोजन के संदर्भ में तर्क दिया जा रहा है कि वर्तमान में, देश में ऐसी कोई प्रणाली नहीं है, जिसके माध्यम से गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री तैयार करने वाली नर्सरी को प्रमाणित किया जाता है और नर्सरी को भारत सरकार की अधिकृत एजेंसी द्वारा मान्यता प्राप्त होती है। जबकि राज्य वन विभाग के तत्कालीन पीसीसीएफ राजेश श्रीवास्तव, जेके मोहंती, यू प्रकाशम और पौध विशेषज्ञ एवं तत्कालीन डॉ पीसी दुबे ने लंबी मंथन-चिंतन करने के बाद पौधों के मानक गुणवत्ता, विश्वसनीय बीज, मानक आकर के पौधों का प्रमाणीकरण से लेकर नर्सरियों के अधिमान्यता के प्रावधान और नियम बनाकर राज्य शासन को भेज दिया है। इस ड्राफ्ट में कृषि वानिकी के नियम और उपबंध के भी प्रावधान किए गए हैं।
सूत्रों के अनुसार चूंकि मप्र कैडर के ही रिटायर्ड अफसर ही पौधों के प्रमाणीकरण से लेकर नर्सरियों के अधिमान्यता के प्रावधान तैयार कर रहें हैं, इसलिए वे वन विभाग के द्वारा पूर्व में तैयार किए गए प्रावधानों का अध्ययन कर रहे हैं। के लिए यह कार्यशाला इंदौर में आयोजित की जा रही है। सिन्हा और ओखंडियार की मदद के लिए एपीसीसीएफ शशि मलिक ने इंदौर के फॉरेस्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को इस कार्यशाला में अनिवार्य रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं। इसके पहले यह कार्यशाला बेंगलुरु में भी आयोजित हो चुकी है।
कार्यशाला का उद्देश्य
इस कार्यशाला का उद्देश्य विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के सरकारी अधिकारियों, विश्वविद्यालयों और संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ निजी उद्यमियों/नर्सरियों को एक साथ लाना है, ताकि नर्सरी को प्रमाणित करने के लिए एजेंसियों के प्रमाणीकरण/मान्यता के लिए प्रोटोकॉल और मानकों पर सहयोग और विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जा सके।
भारत में कृषि वानिकी प्रणालियों में वृक्ष प्रजातियाँ। चर्चाएँ लकड़ी और गैर-लकड़ी कृषि वानिकी प्रजातियों को बढ़ाने के लिए मानक प्रोटोकॉल के साथ-साथ नर्सरी प्रमाणन और मान्यता में नवीनतम विकास, सर्वोत्तम प्रथाओं और नवीन दृष्टिकोणों के इर्द-गिर्द घूमेंगी। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र के किसानों, नर्सरी, वन विभाग, कृषि विभाग, अनुसंधान संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों, सरकारी विकास विभाग, पंचायत, बागवानी विशेषज्ञों, सामाजिक वानिकी विभाग, रेशम बोर्ड और अन्य संबद्ध संगठनों के प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है।