भोपाल: श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क के बाड़े में कैद 14 चीतों को जंगल में छोड़े जाने के लिए फील्ड डायरेक्टर ने मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक असीम श्रीवास्तव को पत्र लिखा हैं। पत्र में कहा गया है कि इस समय चीता को जंगल में छोड़ने के लिए अनुकूल मौसम है। यह पत्र नवंबर के प्रथम सप्ताह में लिखा गया है किंतु अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया।
मुख्यालय के सूत्रों ने बताया कि चीता को जंगल में रिलीज करने संबंधित पत्र मुख्यालय में इधर-उधर मूव कर रहा है किन्तु निर्णय नहीं हो पाया। एक अधिकारी ने बताया कि पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ अवकाश पर हैं। उनके आने के बाद ही स्टीयरिंग कमेटी के अध्यक्ष राजेश गोपाल को पत्र लिखा जा सकता है। संभवतः दिसंबर के दूसरे सप्ताह में बैठक कर चीता को बाड़े से रिलीज करने संबंधित निर्णय लिए जाने की सम्भवना है। दरअसल चार माह से बाड़ों में बंद चीतों को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि लंबे समय तक चीतों को बाड़े में रखने से उनकी खुले जंगल में शिकार करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
वहीं, बाड़े में बंद रहने से स्ट्रेस भी बढ़ेगा। चीता प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों ने बारिश के बाद अक्टूबर में चीतों को जंगल में छोड़ने की बात कही थी। नवंबर का पूरा माह गुजर गया है, लेकिन चीतों को जंगल में छोड़ने को लेकर फैसला नहीं हो पाया है। पूर्व पीसीसीएफ वन्य प्राणी जेएस चौहान का कहना है कि चीतों को लगातार बाड़े में रखने से उनका स्ट्रेस बढ़ेगा। चीते एक दिन में 50 से 100 किलोमीटर तक का सफर कर लेते हैं। अभी वे 150 हेक्टेयर तक के बाड़े में हैं। बाड़े में लंबे समय तक चीतों को रखने से नुकसान होगा। मेटिंग की कोशिश भी जल्द होनी चाहिए। गौरतलब है कि अधिकारियों ने अक्टूबर में इन्हें जंगल में छोड़ने की बात कही थी। दो बाद भी इसे लेकर निर्णय नहीं हो सका है।
बैठक ही नहीं हुई
चीता स्टीयरिंग कमेटी की पिछली बैठक में भी इन्हें छोड़ने को लेकर कोई निर्णय नहीं हो सका था। मेटिंग के दौरान एक चीते की मौत के बाद अधिकारी सावधानी बरत रहे हैं। आशा और पवन की मेटिंग के बाद, नर चीता अग्नि, वायु और मादा चीता दक्षा को बाड़े में छोड़ा गया था। मेटिंग के दौरान लड़ाई में दक्षा की मौत हो गई थी। अधिकारियों का कहना है कि अभी चीतों को पास-पास बाड़े में रखा गया है, लेकिन स्पष्ट मेटिंग कॉल ना होने से मेटिंग को लेकर कोई निर्णय नहीं हो पाया।
भोजन का संकट
ये चीते जब भी जंगल में आएंगे, तब भोजन का संकट होगा। पार्क में प्रति वर्ग किलोमीटर 18 चीतल हैं। 2021 में यह संख्या प्रति वर्ग किमी 23 थी। 2013 में चीतलों का घनत्व 61 चीतल प्रति वर्ग किमी था। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रति वर्ग किमी कम से कम से 27 चीतल होने चाहिए। भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून भी चिंता जता चुका है।