मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बाबाओं और कथा वाचकों का काफी बोलबाला रहा। विधानसभा चुनाव में जीत पाने के लिए बीजेपी ही नहीं कांग्रेस के विधायक भी बाबाओं की शरण में नज़र आये थे।
जनता के बीच अपनी इमेज चमकाने के लिए नेताओं ने धार्मिक कार्यक्रमों का सहारा लिया। लेकिन विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद ऐसा लग रहा है, कि कई मंत्रियों और विधायकों के लिए बाबाओ और कथावाचकों का सहारा काम नहीं आया।
पहले तो सिर्फ बीजेपी नेता ही धार्मिक कार्यक्रमों में व्यस्त रहते थे लेकिन इस बार कांग्रेस नेताओं ने भी भागवत कथाओं के जरिए लोगों को आकर्षित करने की कोशिश की। नेताओं ने अपने क्षेत्र में दूसरे लोगों द्वारा आयोजित धार्मिक कार्यक्रमों में तो हिस्सा लिया ही साथ ही अपने स्तर पर भी कार्यक्रम आयोजित किए और महान कथावाचकों की मेजवानी की।
चुनाव नतीजों को देखें तो विधानसभा चुनाव में हारने वालों में कांग्रेस के क़द्दावर नेता संजय शुक्ला, विशाल पटेल, जीतू पटवारी और बीजेपी के दिग्गज नेता कमल पटेल और नरोत्तम मिश्रा पंडित प्रदीप मिश्रा के कथा करवाने के बाद भी चुनाव हार गए। यानि कि कथा काम न आई और इन विधायकों और मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा।
पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव, शहरी विकास मंत्री भूपेन्द्र सिंह, कृषि मंत्री कमल पटेल उन जन प्रतिनिधियों में शामिल हैं, जिन्होंने पहली बार बड़े पैमाने पर श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की कथा का आयोजन किया। परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत अयोध्या के नेपाली बाबा के साथ अपने क्षेत्र राजघाट पहुंचे।
मंत्री भूपेन्द्र सिंह के खुरई विधानसभा क्षेत्र में पहली बार काफी बड़े स्तर पर भागवत कथा हुई। वहीं कृषि मंत्री कमल पटेल ने 7 से 13 दिसंबर तक श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। उन्होंने कथा वाचन के लिए जया किशोरी को बुलाया।
वहीं कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया से मशहूर हुए सीहोर के पंडित प्रदीप मिश्रा की बड़ी कथा का आयोजन किया। इंदौर में कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला ने कथा का आयोजन किया था। बीजेपी विधायक रमेश मेंदोला ने भी कथा का आयोजन किया। विधायक जजपाल जज्जी ने अशोक नगर में कथा का आयोजन किया।
वहीं कांग्रेस सांसद नकुल नाथ ने भी छिदवाड़ा में पं. प्रदीप मिश्रा की कथा का आयोजन किया था। लेकिन उन्हें पंडितजी की कथा का काफी फ़ायदा मिला। नतीजतन कांग्रेस ने छिदवाड़ा की सभी सात की सात सीटों पर बंपर जीत दर्ज की। वहीं सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर काफी चर्चा है,कि चुनाव में जीत पाने के लिए कथा का सहारा लेने वाले अधिकाँश नेता चुनाव हार गए।