भोपाल: प्रदेश में राज्यसभा की पांच सीटों के लिए 27 फरवरी को होने वाले मतदान के पहले राज्य की राजनीति में भूचाल आने के संकेत मिलने लगे है। राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की एक सीट के लिए पार्टी के सबसे कद्दावर नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और सीडब्ल्यूसी के सदस्य कमलेश्वर पटेल के बीच रस्साकशी शुरू हो गई है। जीतू पटवारी और कमलेश्वर पटेल दोनों ही दावेदारों की कांग्रेस की युवराज राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़के तक सीधी अप्रोच है। जबकि कमलनाथ पार्टी की स्तंभ और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के सबसे विश्वसनीय नेता माने जाते हैं।
खबर यह भी सुर्खियों में है कि कांग्रेस बड़े स्तर पर दलबदल या फिर पार्टी प्रत्याशी को राज्यसभा में पहुंचने से रोकने के लिए बड़ी संख्या में क्रास वोटिंग होने की स्थिति बन सकती है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि पूर्व सीएम कमलनाथ ने दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात से मुलाक़ात हुई है। नाथ ने सांसद बेटे नकुलनाथ को फिर छिड़वाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ाने की वकालत करते हुए खुद के लिए राज्यसभा टिकट की मांग भी की है। नाथ ने 13 फ़रवरी को भोपाल में विधायकों के लिए डिनर पार्टी रखी है। विधायकों की डिनर पार्टी के बाद अपनी रणनीति का खुलासा करने की संभावना है। इस बीच यह खबर भी सुर्खियों में है कि कमलनाथ बीजेपी में जा सकते हैं। वैसे भी आस्था निष्ठा और सुचिता की राजनीति समाप्त हो गई है। इसके स्थान पर अवसरवादी नेताओं की जमात तेजी से आगे बढ़ रही है।
उल्लेखनीय है कि दो अप्रैल को भाजपा के चार अजय प्रताप सिंह, कैलाश सोनी, धर्मेंद्र प्रधान व डॉ. एम मुरुगन और कांग्रेस के राजमणि पटेल का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है जिनके स्थान पर पांच नए नेताओं को भाजपा व कांग्रेस राज्यसभा में पहुंंचाने की राजनीति समीकरण पर काम कर रही है। एक राज्यसभा सदस्य के लिए मप्र में कम से कम 38 विधायकों के वोट प्रत्याशी को मिलना जरूरी है और इसमें भाजपा को अपने चार नेताओं को फिर से राज्यसभा भेजना का रास्ता साफ है। वहीं, कांग्रेस भी विधानसभा में मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक अपनी एक सीट को बरकरार रख सकती है लेकिन कुछ सप्ताह से पार्टी में चल रही राजनीतिक ऊहापोह की स्थिति से उसके लिए चिंतन-मनन का दौर है।
कांग्रेस में राष्ट्रपति चुनाव जैसी क्रॉस वोटिंग की आशंका
राष्ट्रपति चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश में कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा था क्योंकि उसके 96 विधायकों में से कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी यशवंत सिन्हा को केवल 77 कांग्रेस विधायकों के टिकट ही मिले थे। उन्हें मध्य प्रदेश से 79 विधायकों का वोट मिला था जिसमें से दो निर्दलीय थे। 19 विधायकों ने क्रास वोटिंग की थी जिन पर पार्टी द्वारा आज तक कोई कार्रवाई नहीं की है। अब राज्यसभा चुनाव में उसी तरह की परिस्थितियां बनने के आसार दिखाई दे रहे हैं। अगर प्रत्याशी को अपनी ही पार्टी के 27 विधायक वोट नहीं करते हैं और भाजपा के पांचवें प्रत्याशी को अपनी पार्टी के अलावा 24 अन्य दलों व निर्दलीय के वोट मिल जाते हैं तो फिर कांग्रेस प्रत्याशी की हार सुनिश्चित है।