स्टोरी हाइलाइट्स
राहु-मंगल जब लग्न में एक साथ होते हैं तो यह अंगारक योग बनाता है। ऐसे जातक महाक्रोधी होते हैं। ......राहु स्तोत्रम : मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है एवं....
राहु स्तोत्रम : मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है एवं धन एकत्रित होना आरम्भ हो जाता है।
राहु स्तोत्रम Rahu Stotram
राहु दानव मन्त्री च सिंहिकाचित्तनन्दनः।
अर्ध कायः सदा क्रोधी चन्द्रादित्य-विमर्दनः।।
रौद्रः, रुद्रप्राय दैत्य: स्वर-भानुः-भानु भीतिद् ।
ग्रह राजः सुधा पायी, राकातिथ्याभिलाषक: ॥
काल दृष्टि:काल रूपः श्री कण्ठहृदयाश्रयः।
विधुन्तुदः, सैंहिकेयः, घोररूपः महाबलः ॥
ग्रहपीडाकरः दंष्ट्री रक्तनेत्र: महोदरः।
पञ्चविंशति नामानि स्मृत्वा राहुं सदा नरः॥
यः पठेत् महतीं पीडां तस्य नश्यति केवलम्।
आरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा॥
ददाति राहुः तस्मै यः पठते स्तोत्रम्-उत्तमम् ।
सततं पठते यः तु जीवेत् वर्षशतं नरः॥
राहु-मंगल स्तोत्रम्
राहुः सिंहल देशजश्च निऋतिः कृष्णाङ्ग शूप्पासनो।
यः पैठीनसि गोत्र सम्भव समिद् दूर्वामुखो दक्षिणः।
यः सर्पाद्यधि दैवते च नितिः प्रत्यधि देवः सदा।
पट् त्रिंशःशुभकृत् च, सिंहिका सुतः कुर्यात् सदा मंगलम्॥
राहु-मंगल जब लग्न में एक साथ होते हैं तो यह अंगारक योग बनाता है। ऐसे जातक महाक्रोधी होते हैं। क्रोध और चिड़चिड़े होने के कारण कभी-कभी अपना अनर्थ कर बैठते हैं। पाटर्नरशिप में हानि होती है। यदि राहु-मंगल युक्त पत्रिका वाले जातक नियमित इस राहु-मंगल स्तोत्रम् का शिव या कार्तिकेय सम्मुख बैठकर नियमित पाठ करें तो संसार में ख्याति पा सकते हैं। अधिकतर राहु-मंगल युक्त लोगों ने विशेष सफलता समृद्धि पाई है।
इस स्तोत्रम् जप के पश्चात् यदि कार्तिकेय की प्रतिमा पर मधु में तुलसी रस मिलाकर चढ़ावे अथवा चिरायु मधुरस (मधु एवं तुलसी रस युक्त) चढ़ावें तो मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है एवं धन एकत्रित होना आरम्भ हो जाता है।