भोपाल: दक्षिण बालाघाट वन मंडल के लालबर्रा परिक्षेत्र में एक टाइगर की संदिग्ध मौत हो गई हो फॉरेस्ट के अफसर को 8 दिन तक पता ही नहीं चल पाया। वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी तब हरकत में आए जब सोशल मीडिया पर बाघ का 8-10 पुराना शव वायरल होने लगा। यहीं नहीं, वन विभाग के फील्ड स्टॉफ शव का विधिवत अंतिम संस्कार करने के बजाय मौत के साक्ष्य मिटाने जुट गए। इस पूरे घटनाक्रम में डीएफओ अधर गुप्ता कहीं नजर नहीं आए।
सारे घटनाक्रम की जानकारी स्थानीय लोगों और वन्यजीव प्रेमी अजय दुबे ने जब हॉफ वीएन अंबाड़े और पीसीसीएफ वन्य प्राणी शुभरंजन सेन की तब डिप्टी रेंजर सहित पांच के खिलाफ कार्रवाई हुई। जबकि डीएफओ अधर गुप्ता को अभयदान दिए जाने पर सवाल खड़े हो रहें हैं। सनद रहें कि गुप्ता जब शहडोल पदस्थ थे तब तत्कालीन संभाग आयुक्त राजीव शर्मा ने तत्कालीन प्रमुख सचिव वन अशोक वर्णवाल पत्र लिखा था, जिसमें छवि मनमर्जी से काम करने और मद्यपान में लिप्त रहने की भी बात का उल्लेख किया है। इसी आधार पर उन्हें टेरीटोरियल से हटाया गया था।
बालाघाट जिले के लालबर्रा वन परिक्षेत्र अंतर्गत कक्ष क्रमांक 443 में पोटूटोला एवं चीतलटोला के बीच मृत बाघ के शव को जलाकर साक्ष्य मिटाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जिसमें वन विभाग के ही डिप्टी रेंजर, बीटगार्ड और चौकीदार सहित कुछ ग्रामीणों की भूमिका सामने आयी है। विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किये बगैर बाघ के शव को नष्ट करने के इस गंभीर मामले के सामने आने के पश्चात वन विभाग के अधिकारियों में हड़कंप है।
एसडीओ बीआर सिरसाम इस मामले की जांच कर रहे है लेकिन वे इस संबंध में कुछ बताने के बजाय मामले की जांच हो रही कहकर मामले पर पर्दा डालने का प्रयास करते रहे। इसकी जानकारी जब मुख्यालय पहुंची तब डिप्टी रेंजर टीकाराम हनवते, बीट गार्ड घोरमारे को निलंबित और 4 चौकीदारों की बर्खास्तगी कार्रवाई की गई है। मामले में आधा दर्जन ग्रामीणों को भी आरोपित किया गया है। जो निकट के गांव चितालटोला, नवेगांव, टेकाड़ी, खैरागोंदी के रहने वाले बताये जा रहे है। ग्रामीणों को आरोपित करने के पश्चात यहां पर ग्रामीणों में आक्रोश पनप गया है। जिन्होने वन विभाग की कार्यवाही को पक्षपात व लीपापोती करने वाली बताते हुये वन विभाग के जिम्मेवार अधिकारियों को बचाने का आरोप लगाया है।
बाघ का शव व साक्ष्य मिटाने की खबर जिम्मेदार अफसरों तक को नहीं..!
असल सवाल यह कि राष्ट्रीय वन्य प्राणी बाघ का शव व साक्ष्य मिटाये जाने की खबर वन विभाग के जिम्मेवार अधिकारियों को तक नहीं हो सकी, यह कैसे संभव हैं? जो कि बड़ी लापरवाही के रूप में देखा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक 2 अगस्त को वन लालबर्रा के अंतर्गत पोटूटोला चितलटोला के कक्ष क्रमांक 443 में बाघ के शव की फोटो वायरल हुई थी।
फोटो के वायरल होने के पश्चात वन विभाग की ओर से जांच टीम पहुंची तो मौका स्थल पर बाघ का शव नहीं पाया गया। टाइगर का शव वहां से गायब था। बाघ का शव चार -पांच दिन पुराना होना बताया जा रहा था। जिस तरह की तस्वीर सामने आयी थी उसके अनुसार बाघ की उम्र लगभग 5 से 6 साल रही होगी। लेकिन बाघ का शव अचानक गायब होना किसी के समझ में नही आ रहा था।
बाघ का शव 3 किलोमीटर दूर पाया गया
बाघ का शव जलाकर नष्ट करना पाया है वह स्थान कक्ष क्रमांक 443 और 444 की सीमा पर है। जिस स्थान पर शव पाया गया था उससे शव जलाये जाने की दूरी लगभग 3 किमी है। अगर इतनी दूर पर शव ले जाया गया है तो निश्चित ही आधा दर्जन से अधिक लोगों की इसमें भूमिका है। यह कैसे संभव हो सकता है कि डीएफओ और एसडीओ के बिना टाइगर का शव घने जगंल में जलाकर नष्ट कर दिया गया। ताकि साक्ष्य को छुपा दिया जाये और बाघ के मौत रहस्य बनकर रह जाये। लेकिन यह रहस्य नहीं रह सका और विभागीय कर्मचारियों की करतूत सामने आ गई।
वर्ष 21 में तत्कालीन कमिश्नर राजीव शर्मा ने लिखा था पत्र
आईएफएस अधिकारी अधर गुप्ता की कार्य शैली को लेकर हमेशा से सवाल उठाते रहे हैं। सीनियर अधिकारियों के साथ उनका व्यवहार अमर्यादित भी रहा है। इसके साक्षी तत्कालीन एपीसीसीएफ आईटी शाखा संजय शुक्ला भी थे। तत्कालीन कलेक्टर और तत्कालीन सीसीएफ शहडोल पीके वर्मा के लगातार लिखे पत्रों के आधार पर कमिश्नर शहडोल राजीव शर्मा ने डीएफओ की शिकायत विभाग प्रमुख सचिव से की है। कमिश्नर ने अपने शिकायती पत्र में डीएफओ गुप्ता की छवि मनमर्जी से काम करने और मद्यपान में लिप्त रहने की भी बात का उल्लेख किया है।