केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट से डूब में आ रहे 14 गांवों के परिवारों हेतु पुनर्वास स्कीम जारी


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स्टोरी हाइलाइट्स

प्रत्येक परिवार को उसके डूब में आ रहे मकान के एवज में पीएम आवास योजना के तहत 50 वर्गमीटर का आवास दिया जायेगा।

भोपाल। केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना के अंतर्गत छतरपुर जिले की बिजावर तहसील के 14 गांव डूब में आ रहे हैं। इन गांवों के नाम हैं : ढौडऩ, खरयानी, पलकौहां, भौरखुवां, सुकवाहा, बसुधा, घुघरी, कुपी, शाहपुरा, नैगुवां, पाठपुरा, डुगरिया, कदवारा एवं ककरा। इन गांवों में रह रहे परिवारों का विस्थापन किया जायेगा तथा इसके लिये राज्य सरकार ने राजस्व विभाग के माध्यम से इन परिवारों के लिये पुनर्वास स्कीम जारी कर दी है।

जारी स्कीम के अनुसार, विस्थापित प्रत्येक परिवार को उसके डूब में आ रहे मकान के एवज में पीएम आवास योजना के तहत 50 वर्गमीटर का आवास दिया जायेगा तथा इसका लाभ उन परिवारों को भी मिलेगा जो पिछले तीन साल से वहां रह रहे हैं और उनके स्वामित्व में कोई वास भूमि नहीं है। मकान न लेने पर समतुल्य राशि दी जायेगी। विस्थापन के बाद एक साल तक प्रति माह प्रति परिवार तीन हजार रुपये जीवन निर्वाह भत्ता दिया जायेगा। पशु या छोटी दुकान रखने वाले प्रत्योक परिवार को 25 हजार रुपये दिये जायेंगे। किसी कारीगर, छोटे व्यापारी या स्वनियोजित व्यक्ति के प्रत्येक परिवार को भी 25 हजार रुपये दिये जायेंगे।

प्रत्येक परिवार को स्थानांतरण हेतु परिवहन व्यय के रुप में 50 हजार रुपये दिये जायेंगे। विस्थापित परिवारों को जलाशय में मछली पकडऩे का अधिकार दिया जायेगा। प्रत्येक परिवार को 50 हजार रुपये पुनव्र्यस्थापन भत्ता दिया जायेगा। आवंटित भूमि या मकान की रजिस्ट्री पति एवं पत्नी के नाम होगी और इस पर स्टाम्प शुल्क व अन्य फीस नहीं ली जायेगी। पुनर्वास स्थल के अंदर एवं बाहर पक्की सडक़ बनाई जायेगी। जल निकासी एवं स्व्च्छता की व्यवस्था की जायेगी। 

सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया जायेगा। चारागाह, राशन की दुकान, पंचायत घर, सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था, शमशान एवं कब्रिस्तान, प्रसाधन केंद्रों, घरों में एकल विद्युत कनेक्शन, नि:शुल्क शिक्षा, दो किमी के भीतर उप स्वास्थ्य केंद्र, बच्चों के लिये क्रीड़ा क्षेत्र, प्रत्येक सौ परिवारों के लिये सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्रत्येक पचास परिवारों के लिये पूजा स्थल और सामुदायिक चौपाल/वृक्ष चबुतरा, परम्परागत जनजातीय संस्थाओं के लिये अलग भूमि का चिन्हांकन एवं पशुपालन सेवा केंद्र की व्यवस्था की जायेगी।