जांच एजेंसियों की सुस्त कार्यशैली के चलते दागी अफसर पदोन्नत


स्टोरी हाइलाइट्स

भ्रष्टाचार के जीरो टॉलरेंस की भाजपा सरकार की नीति को लोकायुक्त-ईओडब्ल्यू गंभीरता से नहीं ले रही

भोपाल.  भ्रष्टाचार के जीरो टॉलरेंस की भाजपा सरकार की नीति को प्रदेश की जांच एजेंसियां लोकायुक्त एवं ईओडब्ल्यू गंभीरता से नहीं ले रही है। जांच एजेंसियां की सुस्त रफ्तार के चलते दागी अफसरों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है, वहीं वे प्रमोशन और प्राइम पोस्टिंग से उपकृत किए जा रहें हैं। हाल ही में वन विभाग में जिस आईएफएस के खिलाफ लोकायुक्त संगठन में दो प्रकरण दर्ज है, उसे डीएफओ से वन संरक्षक के पद पर पदोन्नति दे दी गई। जबकि उनकी सुनवाई के दौरान लोकायुक्त विभाग द्वारा कोई कारवाई नहीं किए जाने पर अफसरों को फटकार लगा चुका है। इस मामले में अब नए वन मंत्री नागर सिंह चौहान ने प्रकरण की फाइल तलब की है।

पिछले दिनों वन विभाग में ने 2010 बैच के आईएफएस अफसरों को डीएफओ से सीएफ के पद पर प्रमोट किया गया। प्रमोशन पाने वालों में शहडोल उत्तर में कार्यरत आईएफएस गौरव चौधरी भी है. अधिकृत जानकारी के अनुसार चौधरी के खिलाफ लोकायुक्त संगठन में आर-क्रमांक 216/16 और आर -क्रमांक 218/18 प्रकरण की सुनवाई चल रही है। लंबित प्रकरण होते हुए भी वन संरक्षक के पद पदोन्नत कर दिया गया। पदोन्नति करने के पहले विभागीय विजिलेंस शाखा ने गौरव चौधरी के खिलाफ आर्थिक गड़बड़ी एवं कदाचरण से समन्धित पूरी कुंडली बनाकर  विभागीय पदोन्नति कमेटी के भेजा। बावजूद इसके, सीनियर अफसरों ने कमेटी को गुमराह करते हुए गौरव चौधरी को पदोन्नत करने की सिफारिश कर दी। इस आधार पर दाग़दार होने के बाद उन्हें प्रमोट कर दिया गया।

लघु वनोपज में भी लंबित हैं मामला

सीधी में पदस्थापना के दौरान लोकायुक्त की जांच झेल रहे उत्तर शहडोल के डीएफओ गौरव चौधरी एक बार फिर विवादों से घिर गए हैं। डीएफओ चौधरी ने निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना सीधे फर्म को भुगतान कर दिया गया। प्रधानमंत्री वन धन विकास योजना के अंतर्गत स्व सहायता समूह का गठन किया गया था। इस योजना के अंतर्गत कोई भी भुगतान इसी समूह के माध्यम से किया जाना था किंतु गौरव चौधरी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए बाबू सतीश त्रिपाठी और  रेंजर के जरिए मैकल ट्रेडिशनल ऑर्गेनिक फार्मर शहडोल  और केके मेमोरियल समिति शाहपुरा को सीधे भुगतान कर दिया गया। इसी प्रकार डीएफओ द्वारा तेंदूपत्ता लाभांश राशि से कराए गए वृक्षारोपण का भुगतान भी समितियों के माध्यम से न कराकर रेंजर के माध्यम से कराया गया।