इस जगत् की उत्पत्ति से पहले ना ही किसी का आस्तित्व था और ना ही अनस्तित्व, मतलब इस जगत् की शुरुआत शून्य से हुई। तब न हवा थी, ना आसमान था और ना उसके परे कुछ था, चारों ओर समुन्द्र की भांति गंभीर और गहन बस अंधकार के आलावा कुछ नहीं था।
ब्रम्हांड और उसकी उत्पत्ति - नासदीय सूक्त, ऋग्वेद

स्टोरी हाइलाइट्स
ब्रम्हांड और उसकी उत्पत्ति - नासदीय सूक्त, ऋग्वेद
ब्रम्हांड एक खुला स्थान है, जिसकी कोई सीमायें नहीं हैं, कोई अंत नहीं है। इसकी लम्बाई, चौड़ाई, ऊँचाई और गहराई अनंत हैं। पर इसकी रचना कैसे और क्यों हुई? नासदीय सूक्तः जो की सृष्टि की रचना के मंत्र के रूप में भी जाना जाता है, ऋग्वेद के 10वें मंडल का 129वां सूक्त है। इसका संबंध ब्रह्मांड विज्ञान और ब्रह्मांड की उत्पत्ति के साथ है। नासदीय सूक्त में कुल ७ मन्त्र हैं:-
नासदीय सूक्त के ७ मंत्रों की हिंदी में संछिप्त व्याख्या :
१. नासदासीन्नो सदासीत्तदानीं नासीद्रजो नो व्योमा परो यत् ।
किमावरीवः कुह कस्य शर्मन्नम्भः किमासीद्गहनं गभीरम् ॥ १॥