प्रदेश में कम आबादी वाले वनों में बाघों का ट्रांसलोकेशन होगा


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स्टोरी हाइलाइट्स

वन विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में बाघों के शिकार की भी घटनायें सामने आई हैं..!

भोपाल। राज्य सरकार का वन विभाग अपनी नई कार्ययोजना के तहत जिन वनों में बाघों की संख्या अधिक है वहां से उनका ट्रांसलोकेशन यानि स्थनांतरण कर कम आबादी वाले वन क्षेत्रों में करेगा। उल्लेखनीय है कि मप्र में बाघों की वार्षिक वृध्दि दर देश में सर्वाधिक है। 

बाघ गणना वर्ष 2018 की तुलना में बाघ गणना वर्ष 2022 के बीच यह वृध्दि दर 8.24 प्रतिशत थी जबकि राष्ट्रीय वृध्दि दर मात्र 4.85 प्रतिशत ही थी। विगत पांच वर्षों में मप्र में बाघों की संख्या इस प्रकार रही है अर्थात वर्ष 2018 में जहां बाघों की संख्या 526 थी वहीं वर्ष 2022 में यह बढक़र 785 हो गई।

वन विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में बाघों के शिकार की भी घटनायें सामने आई हैं। पिछले तीन सालों में स्टेट टाईगर स्ट्राईक फोर्स ने कुल 16 प्रकरण पंजीबध्द किये जबकि 81 प्रकरणों में अन्य वनमंडलों को विवेचना में सहायता दी। 

प्रदेश में बाघ संरक्षण के लिये चार महत्वपूर्ण कदम उठाने की कार्ययोजना बनाई है यथा एक, माधव राष्ट्रीय उद्यान को टाईगर रिजर्व घोषित करना। दो, रातापानी अभयराण्य को टाईगर रिजर्व बनाना। तीन, घने बाघ आबादी वाले क्षेत्रों से विरल बाघ आबादी वाले क्षेत्रों में बाघों का ट्रासंलोकेशन करना। चार, बाघों के रहवास स्थलों में सुधार कार्य करना।