कुलपति अब "कुलगुरु" कहलायेंगे, संशोधन विधेयक प्रभावशील हुआ


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स्टोरी हाइलाइट्स

राज्यपाल मंगु भाई पटेल द्वारा पिछले विधानसभा सत्र में पारित मप्र विवि संशोधन विधेयक को स्वीकृति देने से प्रभावशील..!!

भोपाल: प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में पदस्थ कुलपति या वाइस चांसलर अब कुलगुरु कहलायेंगे। ऐसा प्रावधान राज्यपाल मंगु भाई पटेल द्वारा पिछले विधानसभा सत्र में पारित मप्र विवि संशोधन विधेयक को स्वीकृति देने से प्रभावशील हो गया है।

यह भी हुआ प्रावधान :

नवस्वीकृत संशोधित अधिनियम में बताया गया है कि शहडोल संभाग एक वन क्षेत्र है। यहां के महाविद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थी प्राय: ग्रामीण, पहाड़ी अथवा जंगली इलाकों से आते हैं। इस संभाग के कुछ इलाकों से रीवा स्थित एपी सिंह विवि की दूरी 300 किमी तक की है जिसके कारण विद्यार्थियों को विवि तक पहुंचने में अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। 

शहडोल संभाग के महाविद्यालयों को पंडित शंभूनाथ शुक्ला विवि शहडोल से संबंध्द किया जाने से इस विवि की आय भी बढ़ेगी। इसलिये इस संशोधित अधिनियम में पं. शंभुनाथ शुक्ला विवि अधिनियम को निरसित कर इस विवि को विवि अधिनियम के तहत लाया गया है और इस विवि के कार्यक्षेत्र में शहडोल संभाग के जिले अनूपपुर, उमरिया व शहडोल के सभी कॉलेजों को लाया गया है। अब रीवा स्थित एपी सिंह विवि में छह जिलों यथा रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, मैहर एवं मऊगंज के सभी कॉलेज शामिल किये गये हैं।

इसी प्रकार, सागर में स्थित डॉ. हरिसिंह गौर विवि को वर्ष 2009 में केंद्रीय विवि बना दिया गया है जिसमें विद्यार्थियों के प्रवेश की संख्या सीमित कर दी गई है। सागर संभाग के 6 जिलों यथा सागर, छतरपुर, दमोह, पन्ना, टीकमगढ़ एवं निवाड़ी के शासकीय एवं निजी कॉलेजों को छतरपुर में स्थित महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विवि से सम्बध्द किया गया है तथा इस विवि की सागर से दूरी 165 किमी है।

इसलिये अब सागर में रानी अवन्ती बाई लोधी विवि स्थापित किया गया है जिसके कार्यक्षेत्र में सागर एवं दमोह जिले के सभी कॉलेज सम्मिलित किये गये हैं। इस विवि के पदों के सृजन में 20 करोड़ रुपये प्रति वर्ष व्यय भार आयेगा तथा 150 करोड़ रुपयों का व्यय भार एक बार के लिये आयेगा।