10 साल में दोगुने हुए तलाक के केस 

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स्टोरी हाइलाइट्स

मोबाइल ने निभाई खलनायक की भूमिका

मोबाइल को लॉक करना सबसे बड़ी टेंशन

यूं तो विवाह सात जन्मों का रिश्ता होता है। लेकिन आज के दौर में विवाह एक जन्म भी पूरा चल जाए तो बड़ी बात होती है। 

दरअसल विवाह के साथ अब कई तरह की दुश्वारियां जुड़ गई हैं। समाज के पैरामीटर्स बदल गए हैं तो रिश्ते में बराबरी और अन्य शर्तें भी जुड़ गई हैं।

यहां तक तो सब ठीक है लेकिन मोबाइल रिश्तो में दरार डालने में सबसे बड़ा खलनायक बन गया है। मध्य प्रदेश के इंदौर को ही ले लीजिये यहां पिछले 10 साल में तलाक के केस दुगने तक हो गए हैं। और इनके पीछे मोबाइल ही खलनायक बनकर सामने आया है। हाल ही में 50 वकीलों ने एक सर्वे किया था जिसमें यह पता चला कि मोबाइल ही पति पत्नी के बीच दूरी बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण है। मोबाइल तक तो ठीक है लेकिन मोबाइल से ज्यादा मोबाइल को लॉक रखना सबसे बड़े अविश्वास का सबब बनता है। सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल पारिवारिक जीवन के लिए जहर साबित हुआ है। वकीलों ने जो रिसर्च की है उससे पता चला है कि आधुनिक समाज में परंपराओं की अनदेखी, पत्नी के परिवार का ससुराल में अधिक हस्तक्षेप कई मामलों में तलाक का कारण बन रहा है। 

फैमिली रिसर्च फाउंडेशन, इंटरनेशनल फैमिली हेल्थ हैप्पीनेस इंडेक्स, फैमिली कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों के सर्वे के आधार पर ये बातें सामने आई हैं। इस रिसर्च में तलाक के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए केंद्रीय कानून मंत्री को सुझाव भेजे गए हैं। हालांकि भारत में तलाक के आंकड़े कई देशों से बहुत कम है। स्वीडन में 100 में से 54 जोड़े तलाक की दहलीज पर पहुंच जाते हैं। अमेरिका में 50, रूस में 100 में से 43, इंग्लैंड में 40, सिंगापुर में 17, इजराइल में 100 में से 14 और जापान में 100 में से दो शादियों में तलाक की नौबत बनती है।

भारत मे 100 में से 2 मामले तलाक तक पहुंच रहे हैं हालांकि हमारे देश की सामाजिक मान्यताओं के हिसाब से यह भी बहुत बड़ा आंकड़ा है।