भोपाल: जंगल महकमे में अनूपपुर वन मंडल में पदस्थ डीएफओ सुशील कुमार प्रजापति अपने कृत्य और आचरण के कारण सुर्खियों में है. मुख्य वन संरक्षक शहडोल लाखन सिंह उईके ने दवाईयों की खरीदी में नियम-प्रक्रिया का पालन नहीं करने और अपने मातहतों खासकर महिलाओं के साथ अमर्यादित आचरण करने संबंधित जांच प्रतिवेदन प्रधान मुख्य वन संरक्षक मुख्यालय को भेज दी है. इस जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई होती है या नहीं, यह अभी भविष्य के गर्भ में है.
राजधानी पहुंची जांच प्रतिवेदन में उल्लेख किया गया है कि अनूपपुर वन मंडल में नियम-विरूद्ध तरीके से लाखों रुपए की खरीदी गई तथा इस खरीदी ऐसी प्रतिबंधात्मक दवाईयां भी खरीदी गई जिस पर मप्र सरकार ने रोक लगाई हुई है. क्लोरोपायरीफॉस सहित 20 दवाईयों की खरीदी कैंपा फंड के वनीकरण क्षतिपूर्ति योजना के अंतर्गत की गई है. इसमें
नियम-प्रक्रिया की अनदेखी की गई.
खरीदी गई दवाइयों का भुगतान वन मंडल के वन परिक्षेत्राधिकारियों ने एमपी स्टेट कार्पोरेशन कंज्यूमर फेडरेशन लिमिटेड सागर को लगभग 15 लाख का भुगतान किया गया. अर्बन रोपण, जल ग्रहण, मिश्रित रोपण में इन दवाईयों का उपयोग किया जाना था. लेकिन, सूत्रों की मानें तो एक भी वनपरिक्षेत्र में इस दवाई का उपयोग नहीं किया गया है. डीएफओ ने दबाब डालकर वन परिक्षेत्राधिकारियों से बाऊचर बनवाये और उसका भुगतान करवाया.
चहेतों को उपकृत करने टुकड़ों में कराए काम-
राज्य शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि और 29 मई 2023 को एक पत्र जारी किया गया कि विभागीय अधोसंरचना निर्माण कार्य नियमों से कार्य किये जाए. परिपत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि नवीन आवासीय एवं कार्यालयीन वन भवन, निर्माण वन चौकी, लाईन क्वार्टर, मुनारा, पुल-पुलिया, रपटा, स्टॉप डैम, तालाब, वाच टावर, पेट्रेलिंग कैंप, सड़क निर्माण तथा रोपणी में पौली हाऊस, मिष्ट चेंबर, वर्मी कम्पोस्ट, यूनिट आदि जैसे कार्य नियमानुसार निविदा के माध्यम से कराए जाय.
यानि वन विभाग के ऐसे निर्माण कार्य जिनकी लागत 2 लाख रुपये तक है, उसका टेंडर करके कराए जाएं. किंतु डीएफओ ने अपने चहेते ठेकेदारों को उपकृत करने के लिए सारे काम टुकड़ों में कराए गए. राज्य सरकार के निर्देशों की खुला उल्लंघन किया गया.
वारवेट वायर की खरीदी भी नियम विरुद्ध-
वनमंडलाधिकारी ने वारवेट वायर की खरीदी में नियमों का पालन नहीं किया और लगभग 14 हजार 764 किलो वारवेट वायर खरीदा. डीएफओ ने नियमों का उल्लंघन करते हुये बिजुरी में रेलवे ठेकेदार को जंगल के अंदर वाहन आने-जाने की अनुमति दी और उस अनुमति में निर्धारित तिथि नहीं लिखी हुई थी, जबकि वन मंडलाधिकारी को केवल 15 दिनों का अधिकार है.
वन विभाग में एक ही ठेकेदार को पूरे जिले के वनपरिक्षेत्रों में सप्लाई का काम दिया गया है जिसके बिल बाऊचर भी विभाग के पास मौजूद हैं. इसी प्रकार श्याम ट्रेडर्स शहडोल से वनमंडलाधिकारी अनूपपुर ने 9 लाख 81 हजार 374 रुपये का सामान खरीदा और खरीदे गये सामानों में ब्लोवर बीआर 6007 नग, फायर सूट थ्री लेयर 14 नग, सेफ्टी जूते 35 नग, सेफ्टी हेल्मेट 15 नग, फायर बैटरी 50 नग, सेफ्टी ग्लोवर 70 नग खरीदे गये. सूत्रों ने बताया कि इस गड़बड़झाला के खेल में मुख्यालय में पदस्थ एक एपीसीसीएफ की हिस्सेदारी की चर्चा है.