ITR Filing 2025: इन दिनों इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने का समय है। करदाताओं की सुविधा के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने भी करदाताओं के लिए ITR जमा करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी है।
यह राहत उन करदाताओं के लिए है जिनके खातों के ऑडिट की जरूरत नहीं है, जैसे वेतनभोगी व्यक्ति, पेंशनभोगी और NRI। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या 31 जुलाई के बाद रिटर्न दाखिल करने पर जुर्माना लगेगा?
ऐसे में कहा जा रहा है कि 31 जुलाई के बाद आयकर रिटर्न दाखिल करने पर कोई ब्याज या जुर्माना नहीं देना होगा। इस साल आयकर विभाग ने कुछ करदाताओं के लिए टैक्स दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2025 से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दी है। लेकिन यह अंतिम तिथि सभी करदाताओं के लिए नहीं है।
कई करदाता ऐसे हैं जिनके लिए आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तिथि अभी भी पुरानी है। इसलिए इन लोगों के लिए जरूरी है कि वे पुरानी डेडलाइन के मुताबिक ही रिटर्न दाखिल करें, नहीं तो उन्हें जुर्माना भरना पड़ सकता है।
जानिए क्यों बढ़ाई गई अंतिम तिथि 31 जुलाई आमतौर पर सरकार अप्रैल के पहले हफ्ते में आईटीआर फॉर्म जारी करती है। इसके साथ ही ऑनलाइन और ऑफलाइन सुविधा भी देती है। ताकि आयकरदाता समय पर रिटर्न दाखिल कर सकें। लेकिन इस बार सरकार ने करीब एक महीने की देरी से आईटीआर फॉर्म जारी किया।
इसके अलावा फॉर्म में कई बड़े बदलाव हुए हैं, जिसकी वजह से उपयोगिताओं को तैयार करने में समय लगा। इसीलिए सीबीडीटी ने करदाताओं के लिए अनुपालन और उचित रिपोर्टिंग को आसान बनाने के उद्देश्य से 31 जुलाई की समयसीमा को आगे बढ़ा दिया।
आपको बता दें कि सेल्फ असेसमेंट टैक्स जमा करने की तारीख में कोई बदलाव नहीं किया गया है। अगर आप इस तारीख के बाद भुगतान करते हैं तो आपको पेनाल्टी ब्याज देना पड़ सकता है। सेल्फ असेसमेंट टैक्स वह टैक्स होता है जो एडवांस टैक्स और टीडीएस कटौती के बाद बचता है।
अगर करदाता 31 जुलाई 2025 के बाद टैक्स जमा करता है तो उस पर धारा 234ए के तहत ब्याज लगेगा, भले ही वह बढ़ी हुई तारीख यानी 15 सितंबर 2025 तक आईटीआर दाखिल कर दे। अगर समय पर टैक्स का भुगतान नहीं किया जाता है तो दो धाराओं के तहत कार्रवाई की जा सकती है। पहला सेक्शन 234A है, जिसके तहत अगर टैक्स या ITR देरी से फाइल किया जाता है तो आपको पेनाल्टी के तौर पर ब्याज देना होगा। दूसरा सेक्शन 234B है, जिसके तहत अगर एडवांस टैक्स कुल टैक्स के 90% से कम है तो भी ब्याज देना होगा।
करदाताओं को ITR फाइल करने के लिए आखिरी समय का इंतजार नहीं करना चाहिए। रिटर्न जल्दी फाइल करने से पोर्टल पर भीड़भाड़ कम होगी। साथ ही तकनीकी दिक्कतों से भी बचा जा सकेगा। साथ ही नए कैपिटल गेन रिपोर्टिंग और TDS मैचिंग की वजह से गलती की संभावना भी कम हो जाती है।