अरे! अमेरिका में भी ऐसा होता है ! -दिनेश मालवीय


स्टोरी हाइलाइट्स

अरे! अमेरिका में भी ऐसा होता है ! -दिनेश मालवीय अख़बार में एक खबर पढ़कर यह पुरानी कहावत याद आ गयी कि “काबुल में भी गधे होते हैं”. किसी समय में काबुल के घोड़े इतने बेहतरीन माने जाते थे कि दूसरे देशों के लोग यह समझते थे कि काबुल में सिर्फ घोड़े ही होते हैं. जबकि काबुल में गधे भी होते थे और आज भी होते हैं. एसोसिएट प्रेस के हवाले से यह खबर पढने में आयी कि बीते शनिवार को पोर्टलेंड के ऑरेगोन में अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प के समर्थकों और Black Lives Matter के सदस्यों के बीच जमकर हाथापाई हो गयी, जिसमें एक शख्स मारा गया. दोनों पक्षों के बीच सडक पर बाकायदा हाथापाई हुयी. मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि अरे! वहाँ भी ऐसा होता है. इसे अमेरिका का सबसे अधिक और दुनिया का दूसरा सबसे हराभरा प्रांत माना जाता है. लेकिन सियासत तो सियासत है. हरियाली से उपजी ठंडक भी वहाँ सियासी पारे को काबू नहीं कर पा रही. हालाकि पुलिस का कहना है कि यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि गोली चलने का सम्बन्ध इस घटना से ही है. ट्रम्प समर्थकों के कारवां में करीब 600 वाहन थे. उनके विरोधी इसमें शामिल लोगों से जूझ गये. मैं और मुझ जैसे कई मूरख तो मानते रहे हैं यह खूबी तो हमारे देश मे ही है. विकसित और पढ़े-लिखे लोगो के देश में ऐसा नहीं होता होगा. लेकिन मैं इसे पढ़कर भौंचक रह गया.वहाँ की पुलिस का कहना है कि रात को करीब साढ़े आठ बजे ट्रम्प के समर्थकों का कारवां चला और लगभग पौने नौ बजे गोली चली. पुलिस एक मिनट के भीतर मौका ए वारदात पर पहुँच गयी लेकिन जिसे गोली लगी थी वह बच नहीं पाया. एसोसिएट प्रेस के फ्रीलांस फोटोग्राफर का कहना है कि उसने तीन बार गोली चलने की आवाज सुनी.मरने वाला एक हेट पहने हुआ था जिसपर Patriot Prayer का निशान बना था. यह एक राइट विंग समूह है, जिसके सदस्य पोर्टलैंड में पहले भी अपने विरोधियों से इसी तरह सड़कों पर लड़ते रहे हैं. मरने वाला श्वेत था. इस घटना के सैंकड़ों फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर डाले गये. ख़ुफ़िया पुलिस पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस घटना के पहले और इसके दौरान क्या हुआ. पोर्टलैंड में तीन माह पहले जब से जॉर्ज फ्लोईड की ह्त्या हुयी है, तब से ऐसी वारदातें होती आ रही हैं. हाँ, एक बात और हमारे यह जैसी हुयी है कि घटना के बाद ट्रम्प और उनके विरोधी बाइडन के बीच जुबानी जंग छिड़ गयी है, वे इसके लिए एक- दूसरे को दोषी ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे-बिल्कुल हमारी तरह.