भोपाल: रिवेरा टाउन की खाली जमीन का मामला, निगम अधिकारियों पर निजी स्वार्थ में अनदेखी का आरोप


स्टोरी हाइलाइट्स

शहरी जंगल की जमीन पर नई बिल्डिंग बनवाने में जुटे अफसर

रिवेरा टाउन प्रोजेक्ट के आसपास खाली जमीन है जिस पर फेस-जीन बनाने की योजना तय थी। इससे अलग अधिकारी एमआईजी व एचआईजी भवन बनाने की तैयारी कर रहे हैं जिसमें 2000 हजार से अधिक परिवार रहने की संभावना है। ऐसे में जिस अनुपात से आसपास इन लोगों के उपयोग के लिए जमीन की जरूरत रोगी वह नहीं बचेगी हरियाली को बढ़ावा भी नहीं मिल सकेगा। पूर्व से रिवेरा टाउन में रहने वाले लोगों को अलग दिक्कतें होगी। इसके बावजूद भी अधिकारी खाली जमीन पर नई बिल्डिंग बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

एनजीटी के आदेश की अवहेलना

रिवेश टाउन के राजेश चौधरी समेत अन्य रहवासियों का कहना है कि एनजीटी के अनुसार जिन इलाकों में घनी बस्ती होती है। वहां ग्रीन बेल्ट का निर्माण किया जाना चाहिए। यह पूर्व के मामलों में एनजीटी की तरफ से स्वयं कहा था। ऐसे में रिवेरा टाउन के पास खाली जमीन पर नई बिल्डिंग तानना कहाँ से उचित नहीं है इस पर अन्य जानकारों से भी सलाह ली जा सकी है।

टीएनसीपी से भी नक्शा अनुमोदित

रहवासियों का कहना है कि साजिश के तहत टीएनसीपी से भी नक्शा अनुमोदित करा लिया गया है। कहीं पर 30 फीट की तो कहीं 10 फीट की जगह छोड़ो गई है। पूर्व में रिवेरा टाउन के रहवासियों लिखित में दिया गया था कि 100 फीट की जगह छड़ी जाएगी। नियमों के साथ अनदेखी की जा रही है। जिसमें लोगों का नुकसान तो अपनी जगह है लेकिन पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचेगा।

तो ऐसे होगी दिक्कतें

जिस इलाके में ज्यादा लोगो को बसाया जाता है वहां उन लोगों के उपयोग के लिए आनी ही खाली जमीन छेड़ी जाती है ताकि उनका गुजर-बसर ठीक हो

● रेरा के नियमों के तहत खाली जमीन छोड़ना बहुत जरूरी है। जिसका पालन निगम के अधिकारी रिवेरा टाउन प्रोजेक्ट के पास नए प्रस्तावित प्रोजेक्ट में नहीं कर रहे हैं।

● यदि नई बिल्डिंग बना दी गई तो यहां के रहवासियों को काफी दिकते होंगो क्षेत्र में जन उपयोगी जमीन ही नहीं बचेगी।

● ऐसे क्षेत्रों में हरियाली को बढ़ावा देने के लिए जगह छोड़ने के नियम है ताकि पर्यावरण संरक्षण होता रहे, नई बिल्डिंग का काम शुरू कर दिया गया तो यह मंशा भी पूरी नहीं होगी।

रेरा और जिला प्रशासन करे हस्तक्षेप

रिवेरा टाउन के रहवासियों ने रेरा और जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों से मांग की है कि निगम के अधिकारियों की मनमानों के खिलाफ हस्तक्षेप किया जाए, ताकि पर्यावरण से जुड़े विषयों का संरक्षण किया जा सके।