ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को करारी चोट देने के साथ ही विश्व के सामने उसका माथा भी झुका दिया है. एक देश के रूप में उसकी बची खुची इज्जत मिट्टी में मिल गई है. इस ऑपरेशन के नतीजे से पाक आर्मी और आतंकवादियों का मिला जुला चेहरा एक्सपोज हो गया है..!!
ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकवादियों के ज़नाजे में पाक आर्मी के सीनियर अफसरों और सिविल एडमिनिस्ट्रेशन के शामिल होने के साथ ही आर्मी चीफ, प्रेसीडेंट और प्राइम मिनिस्टर की ओर से उनको पुष्पचक्र अर्पित करना, यह साबित कर रहा है कि, पाक आर्मी उन्हें आतंकवादी नहीं बल्कि सेना का ही एक वरिष्ठ अफसर मानते हैं.
अब तो ऐसा ही माना जाने लगा है कि, जितने आतंकवादी हैं, उनका भेष भले अलग हो लेकिन वह पाक आर्मी के साथ मिलकर ही अपने ऑपरेशन को अंजाम देते हैं. मारे गए आतंकवादियों को पाकिस्तान की ज़ेहादी आर्मी और सरकार द्वारा करोड़ों रूपये की नकद सहायता देने का एलान किया गया है.
आतंकवादी ज़िहाद की बात करते हैं तो पाक आर्मी भी ज़िहाद को ही अपना मोटो मानती है. पाकिस्तान आर्मी का का मोटो पहले यूनिटी, फेथ, डिसिप्लिन था, जिसे जनरल जिया उल हक ने बदलकर इमान, फतवा और ज़िहाद पी. सबीलिल्लाह कर दिया. इसका मतलब है कि पाकिस्तान आर्मी इस्लाम के नॉन बिलीवर के खिलाफ ज़िहाद के लिए काम करती है.
पाक आर्मी का यह मोटो आतंकवादियों के मोटो को ही दोहराता है. पाक के आर्मी चीफ असीम मुनीर ने हिंदू मुस्लिम पर जो तकरीर दी थी वह भी इसी ज़िहाद की मानसिकता प्रदर्शित करती है. विश्व के मॉडर्न दौर में इस तरीके की सोच किसी देश को बर्बादी के अलावा कुछ भी नहीं दे सकती हैं.
पाकिस्तान आज जिस कग़ार पर खड़ा हुआ है, उसका कारण ज़िहादी मानसिकता ही है. जो विचार आतंकवादी रखते हैं वही मोटो पाकिस्तान की आर्मी का है. आर्मी चीफ अपने सैनिकों से चर्चा करते हुए यही कहते हैं कि, आपको दीन के लिए लड़ना है, धर्म के लिए लड़ना है. मतलब जो लोग उनके धर्म में भरोसा नहीं करते हैं उनके खिलाफ ज़िहाद करना है. कितना दुर्भाग्यजनक है कि, पाक आर्मी अपने देश के लिए नहीं बल्कि वो तो धर्म के जिहाद के लिए लड़ती है.
जब पाकिस्तान आर्मी का यह ऑफिशियल मोटो है तो फिर ज़िहाद के नाम पर आतंक फैलाने वाले आतंकवादी निश्चित रूप से आर्मी कैडर का ही हिस्सा होंगे. हाफिज़ सईद और मसूद अजहर पाकिस्तान में उनके आर्मी चीफ से कम हैसियत नहीं रखते. उनकी रक्षा पाक आर्मी ही करती है. पहले भी यह साबित हुआ है कि आतंकवाद के मामले में पाकिस्तान हमेशा झूठ बोलता रहा है.
अमेरिका में 9-11 हमले के बाद जब ओसामा बिन लादेन को पूरी दुनिया में तलाशा जा रहा था तब पाकिस्तान ने यही कहा था कि उसके देश में वह नहीं है. बाद में ओसामा बिन लादेन को अमेरिकी सेना ने पाकिस्तान के एटमाबाद में ही घुसकर मारा था.
ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित कर दिया है कि आतंकवादियों और पाक की आतंकवादी आर्मी में कोई भेद नहीं है. दोनों एक दूसरे के लिए काम करते हैं. आतंकी ठिकानों पर भारत के हमले में हुई तबाही के बाद पाकिस्तान सेना अगर भारत के साथ युद्ध के लिए उतरी तो उसका कारण यही था कि, भारत ने आतंक के भेष में पाक आर्मी के लेफ्टिनेंट, मेजर, जनरल जैसे नुमाइंदों को ही मारा है.
अब तो पूरी दुनिया ने यह दृश्य देखे हैं, जिसमें आतंकवादियों को पाकिस्तान के राष्ट्रीय झंडे में लपेट कर अंतिम विदाई दी जा रही है. पाकिस्तान सेना के सीनियर अफ़सर आतंकवादियों के पीछे हाथ बांधकर खड़े हैं. पाकिस्तान की पुलिस और सिविल एडमिनिस्ट्रेशन आतंकवादियों को सलामी दे रहे हैं.
ऑपरेशन सिंदूर का दर्द पाकिस्तान कभी नहीं भूल पाएगा. भारत उसे भूलने भी नहीं देगा क्योंकि जब आतंकवादी और सेना एक ही सिक्के के दो पहलू हैं तो फिर भारत को आतंकवादियों को कुचलने के लिए पाक सेना से ही लड़ना होगा.
इस्लामिक देश प्रगति के रास्ते पर बढ़ते जा रहे हैं. पाकिस्तान जैसे राष्ट्र ही धर्म के नाम पर ज़िहाद को अपना मोटो मान रहे हैं. धर्म के नाम पर ज़िहाद उनका केवल एक चेहरा है लेकिन उनकी नियत और ईमान धर्म से मेंल नहीं खाते हैं. बलूचिस्तान में जिन लोगों पर पाक आर्मी बर्बर कार्रवाई कर रही है वह भी इस्लाम धर्म के ही अनुयायी हैं. खैबर पख्तून में भी इस्लाम के ही अनुयायी ही रहते हैं. अगर इस्लाम के प्रति उनकी नियत और ईमान होता तो फिर इस्लाम धर्म के दूसरे लोगों पर अन्याय नहीं करते.
पाक आर्मी के खिलाफ पाकिस्तान में विद्रोह जैसे हालात बन रहे हैं. पाक कमांडर के घर तक जला दिए गए हैं. पाकिस्तान का कोई भी पूर्व प्रधानमंत्री और आर्मी चीफ या तो वह पाकिस्तान में नहीं रहता है या उसे जेल में कैद कर दिया जाता है. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ सेना के बड़े अफसर द्वारा जेल के भीतर की गई अनैतिकता को पूरी दुनिया ने सुना है.
पाक सरकार, आर्मी जनरल और दूसरे अफसर बात भले ही इस्लाम की करते हो लेकिन उनका आचरण पूरी तरह से इसके ईमान के खिलाफ है. पाक आर्मी में करप्शन चरम पर है. वहां डेमोक्रेसी तो है ही नहीं. डेमोक्रेसी के फेस और गवर्नमेंट,आर्मी के नियंत्रण में ही काम करते है. पाक की अर्थव्यवस्था दिनों दिन रसातल में जा रही है. जब जिहाद उनका टारगेट है तो फिर प्रगति तो उनके मन में आ ही नहीं सकती है.
ज़िहाद वाली पाक आर्मी पूरी दुनिया को धोखे में रखने की कोशिश करती है. ज़िहाद के खिलाफ़ लड़ाई बहुत लंबी है. भारत को यह लड़ाई हर कीमत पर लड़नी पड़ेगी. ज़िहादी आतंकवाद ने भारत को बहुत नुकसान पहुंचा है. ऑपरेशन सिंदूर भारत के अस्तित्व से जुड़ गया है. अब केवल आतंकवादियों से नहीं लड़ना, जिहाद वाली पाक आर्मी भी आतंकवादियों के साथ खड़ी है.
इसमें अब कोई संशय नहीं बचा है. पाक के ज़िहादी कीटाणु से भारत को हर हाल में बचाना होगा. पाक के परमाणु तो हमारी सेनाएं नष्ट कर देगी लेकिन ज़िहादी कीटाणु को हम सबको मिलजुल कर मिटाना होगा. यह भारत के लिए जरूरी है और इस्लाम के लिए भी.