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ऑपरेशन सिंदूर प्रहार, सीज़ फायर से बाहर

सार

भारतीय सेनाओं ने अपनी क्षमता, दक्षता, सटीकता और घुसकर मारने का साहस पाकिस्तान को दिखा दिया है. उसके न्यूक्लियर पावर की धमकियों की असलियत भी बता दी है..!

janmat

विस्तार

   ऑपरेशन सिंदूर पाक प्रायोजित आतंक के खिलाफ था. पाक सेना और वहां के नागरिकों से युद्ध कभी भी भारत का नजरिया नहीं था. राम, कृष्ण और बुद्ध की शांति प्रिय धरती राक्षसों के विनाश में कभी पीछे नहीं थी. आतंक के मॉडर्न राक्षसों से बदले के लिए अब डोजियर नहीं बल्कि सैन्य कार्यवाही का सीधे डोज दिया जाएगा.

     युद्ध रुकने को सीज़फायर कहा जाता है लेकिन भारत ने पाकिस्तान की सेना और नागरिकों को सैन्य कार्रवाई से छूट दी है. आतंक के खिलाफ जो युद्ध शुरू किया गया था वह सतत् जारी है. जो आतंकवादी और उनके ठिकाने बच गए हैं उनको भी उड़ाया जाएगा, इसमें कोई संदेह नहीं है.

   पीएम मोदी का संदेश और भारतीय सेनाओं का व्रत यही है कि, आतंक के विरुद्ध युद्ध सतत् जारी रहेगा. इसका मतलब ऑपरेशन सिंदूर ऑन गोईगं है.

   युद्ध में जाना सबसे सरल है. टारगेट अचीव कर युद्ध से निकलने का फैसला सबसे चुनौती पूर्ण और महत्वपूर्ण होता है. दुनिया में जहां भी युद्ध चल रहे है, वहां उनसे बाहर आने का ही तरीका युद्धरत देशों को समझ नहीं आ रहा है. भारत ने पहलगाम का बदला ले लिया. भारत के सिंदूर की दुनिया को ताकत बता दी. भारतीय सेनाओं  की प्रोफेशनल काम्पिटेंसी और टेक्नोलॉजिकल वाॅर फेयर कैपेसिटी डेमोंस्ट्रेट कर दी है. 

   दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं है जिसने एक रात में चुन चुन कर आतंकवादियों के नौ ठिकानों को नेस्तानाबूत कर दिया हो. आतंकवादियों के समर्थन में जब पाकिस्तान ने भारत से लड़ने की शुरुआत की तब उसे इतना कठोर जवाब दिया गया कि, उसे शांति के लिए गिड़गिड़ाना पड़ा. भारत ने इस बार ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान पर जिस तरह से अटैक किया है, जिस तरह से उनको नुकसान पहुंचाया है, उनके एयर फोर्स बेस नष्ट किए गए हैं, उस पर दुनिया के विशेषज्ञ शोध करेंगे.

   अभी तो केवल इंडियन एयर फोर्स ने अपना शौर्य दिखाया है. जमीन पर तो अभी युद्ध शुरू ही नहीं हुआ. भारतीय नौसेना भी मुस्तैदी से अटैक के लिए तैयार है. लेकिन भारत क्योंकि युद्ध बढ़ाना नहीं चाहता, वह तो केवल आतंकवादियों को मिटाना चाहता है. 

     भारतीय सेना ने इस बार इनफॉरमेशन वार का भी पूरी मुस्तैदी से मुकाबला किया है. पाकिस्तान हमेशा मिस-इनफॉरमेशन करता रहा है लेकिन इस बार उसके सारे झूठ टाइम पर एक्सपोज किए गए. इंटरनेशनल मीडिया भी पाकिस्तान के झूठ को उजागर करने से पीछे नहीं रहा.

   पाकिस्तान का प्रधानमंत्री अपने देश की जनता को संबोधित करता है. संबोधन में ना मालूम कितने राष्ट्रों का धन्यवाद करता है. इसका मतलब है कि भारत की सैन्य कार्यवाई रुकवाने के लिए उसने कितने देशों से मदद मांगी होगी. दूसरी तरफ भारत का प्रधानमंत्री मौन रहा. पीएम हमेशा वार रूम में बैठकर सेनाओं को देश का कमांड बताते रहे.

पीएम का मौन जितनी ताकत से भारत और विश्व के लोगों को संदेश देता रहा उतना पाक पीएम का राष्ट्र के नाम संबोधन भी कारगर नहीं रहा.

   भारत में हिंदू, मुस्लिम और राजनीतिक दलों के बीच आतंक से मुकाबले में एकजुटता की भावना भी बेजोड़ रही. सारे राजनीतिक दल भविष्य की अपनी चुनावी जमावट के लिए जमीन बनाते दिखे लेकिन सार्वजनिक रूप से सरकार के समर्थन में खड़े रहे. भारत के हिंदुओं और मुसलमानों ने पाकिस्तान के उस प्रयास को पूरी तरह से खारिज़ कर दिया जो उसने पहलगाम में धर्म पूछ कर हमले के साथ भारत में कम्युनल कार्ड खेलने का प्रयास किया था. 

  ऑपरेशन सिंदूर को पाकिस्तान के साथ युद्ध का ऐलान समझने की गलती जो लोग कर रहे हैं वही सैनिक कार्रवाई रुकने पर नेगेटिव प्रतिक्रिया दे रहें है. यह ऑपरेशन आतंक के खिलाफ है और वह कभी भी नहीं रुकेगा. अब तो भारत सरकार ने यह प्रावधान कर दिया है कि, भारत के खिलाफ किसी भी आतंकवादी घटना को ‘एक्ट आफ वार’ माना जाएगा. इसका मतलब है कि, आतंकवादी घटना पर भारतीय सेनाओं को युद्ध के तरीके से कार्रवाई करने का पूरा अधिकार रहेगा.

  यह मैसेज पूरी दुनिया के लिए है कि, भारत आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष जारी रखेगा. भारत में आतंकवाद भी राजनीति का हथियार रहा करता है. आतंकवाद जैसे ही धर्म से जुड़ जाता है वैसे ही उस पर राजनीति शुरू हो जाती है. इस बार भी ऐसा ही हुआ लेकिन मोदी सरकार को इस बात की क्रेडिट देना चाहिए कि, उसने देश में आतंकवाद पर कम्यूनल कार्ड खेलने के सभी प्रयासों को असफल कर दिया.

  मोदी सरकार के राजनीतिक विरोधी पाक के खिलाफ सैनिक कार्रवाई रुकने को लाभ और हानि के नजरिए से शायद इसलिए देख रहे हैं क्योंकि इसमें राजनीति की संभावना दिख रही है. सोशल मीडिया का खुलेआम दुरूपयोग दिखाई पड़ रहा है. भविष्य में जो भी चुनाव होंगे उसमें ऑपरेशन सिंदूर बहुत बड़ा मुद्दा होगा, इसीलिए मोदी विरोधी यह साबित करने की कोशिश करेंगे कि, सैन्य कार्यवाई रुकने से भारत को क्या लाभ हुआ और क्या नुकसान.

      भारत ने पाकिस्तान के मामले में कूटनीतिक सफलता भी हासिल की है. आज पाकिस्तान पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ा है. यहां तक के इस्लामिक देशों ने भी पाकिस्तान का खुलकर साथ नहीं दिया. पाकिस्तान भारत को इस्लामिक देशों में अलग थलग करने में पूरी तरह से असफल रहा.

  भारत-पाक के बीच सैन्य कार्रवाई रुक जाने में अमेरिका की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं. अमेरिका वर्ल्ड पावर है. वह हमेशा दो देशों के बीच युद्ध के समय हस्तक्षेप करने का प्रयास करता है. रूस और यूक्रेन में भी उसने यही किया. इसराइल और हमास के बीच युद्ध के मामले में भी उसने ऐसा ही किया. दोनों स्थानों पर आज भी युद्ध चल रहा है. अमेरिका क्रेडिट लेने की कोशिश करता है लेकिन वह सफल नहीं हो पता.

    भारत का स्टैंड शुरू से ही रहा है कि, पाकिस्तान और हिंदुस्तान के बीच जो भी मसले हैं वह दिपक्षीय हैं, उसमें किसी तीसरे पक्ष का कोई स्थान नहीं है. सैन्य कार्यवाई रुकने में भी भले ही अमेरिका ने सबसे पहले जानकारी दी हो लेकिन भारत ने सैन्य तरीके से पाकिस्तान के डीजीएमओ के शांति अनुरोध पर ही सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति दी.

   जब इसके बाद भी पाकिस्तान की ओर से ड्रोन भेजे गए तो न केवल उनका मुकाबला किया गया बल्कि बदले में जबावी हमले किए गए. भारत सरकार ने तुरंत यह ऐलान किया कि, पाक ने सैन्य कार्रवाई रोकने के समझौते का उल्लंघन किया है, इसलिए भारतीय सेनाओं को जवाबी कार्रवाई करने के आदेश दे दिए गए.

  पाकिस्तान में भय पैदा हो गया है. आतंकवादी डर कर छिप गए हैं. यह बात तय है कि पाकिस्तान पर भरोसा करना सही नहीं है इसीलिए भारत पूरी तरह से चौकन्ना है और ऑपरेशन सिंदूर को सतत् जारी रखने पर अड़ा हुआ है.

     भारत का बदला रूप पाक के नापाक इरादों को कुचल देगा. भारत का यह सबक पाक अगर याद रखेगा, सही रास्ते पर चलेगा तभी उसका भविष्य है. अन्यथा पाक को बर्बाद होने से कोई भी नहीं बचा सकता. ना अमेरिका और ना ही चीन.