पाकिस्तान का भारत पर जवाबी अटैक उल्टा उसी पर भारी पड़ गया. लाहौर करांची, रावलपिंडी, सियालकोट में धमाकों से पाकिस्तान हिल गया है. आतंकी ठिकानों पर भारत के मिसाइल अटैक से सौ से ज्यादा आतंकवादी मारे गए हैं. आतंकवादियों के जनाजे को पाक सेना कांधा दे रही है..!
पाकिस्तान सेना और आतंकवादियों के गठजोड़ को पूरी दुनिया देख रही है. भारतीय सेना ने जैसा पहले ही सोच लिया था कि, पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई जरूर करेगा. इसी हिसाब से भारत का एयर डिफेंस सिस्टम बाज़ की तरह से पाक हवाई सीमा पर नज़रें गडाए हुए था.
सात और आठ मई की रात पाक सेना ने भारत के पंद्रह शहरों में मिसाइल और ड्रोन से सैन्य ठिकानो पर अटैक करने की कोशिश की. जिसे भारतीय सेना ने हवा में ही तबाह कर दिया. पाक की इस जवाबी मूर्खता का दुष्परिणाम उनके शहरों में धमाकों के रूप में अब दिखाई पड़ रहा है. अब तो भारतीय सेना ने अधिकृत रूप से यह बता दिया है कि, लाहौर में पाक के एयर डिफेंस सिस्टम को बर्बाद कर दिया गया है.
अभी भी भारत का रुख यही है कि, उसकी लड़ाई इस्लामिक आतंक के खिलाफ है. भारतीय सेना ने ना तो पाकिस्तान के सैनिक ठिकानो पर हमला किया और ना ही सिविल इलाकों पर. पाक सेना ने भारत की सैन्य ठिकानों पर हमले की कोशिश करके और सीमावर्ती क्षेत्रों में सिविल इलाकों में भारी फायरिंग करके जो अक्षम्य भूल की है, उसका ख़ामियाज़ा उसे भुगतना ही पड़ेगा.
ऑपरेशन सिंदूर कंटीन्यूअस प्रोसेस है. भारतीय सिंदूर का श्राप पाक को साफ कर देगा. बलूचिस्तान अलग राष्ट्र बन जाएगा. खैबर पख्तून भी अलग हो जाएगा. पीओके तो भारत का ही हिस्सा है, उस पर भारत देर सबेर कब्जा कर ही लेगा. सिंध भी साथ में रहना नहीं चाहेगा. केवल पंजाब प्रांत ही पाकिस्तान के नाम पर बचेगा.
पूरी दुनिया इस्लामिक आतंकवाद से त्रस्त रही है. अमेरिका ने भी इसको भोगा है. इस्लामिक आतंकवादी इस्लाम को ही बदनाम कर रहे हैं. इजरायल, इस्लामी आतंकवाद से निरंतर लड़ रहा है. इस्लामी आतंकवाद से चीन भी परिचित है. इसीलिए चीन में उइगर मुसलमानों को वामपंथी तानाशाही का शिकार बना कर रखा गया है. इन मुसलमानों को अपनी बात कहने तक का अधिकार नहीं है. पूरी दुनिया में जहां भी धमाके होते हैं, उसके पीछे इस्लामी आतंकवाद भी होता है.
ऐसा चलते हुए दशकों गुजर गए हैं. पहले तो इस्लामिक राष्ट्र इस्लाम के नाम पर एक साथ आ जाते थे लेकिन धीरे-धीरे जब उदारवादी इस्लामी राष्ट्रों ने ऐसा महसूस किया कि, आतंकवादी दुनिया में इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं तो फिर इन राष्ट्रों ने ऐसे देशों से किनारा कर लिया जो आतंकवादियों को पालते पोषते हैं.
पाकिस्तान को आज इस्लामिक देशों की ओर से भी अगर समर्थन नहीं मिल रहा है तो उसका यही कारण है कि, सारे देश यह जानते हैं कि, इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान ने पूरी दुनिया का शोषण किया है और आतंकवाद का हमेशा साथ दिया है. पाकिस्तान के तो हालात ऐसे हैं कि, उसकी सेना भी पैसा लेकर किसी दूसरे देश से लड़ने चली जाती है.
धीरे-धीरे पाकिस्तान के सारे हथकंडे एक्सपोज़ हो गए हैं. भारत का जहां तक सवाल है, उसने तो बहुत अधिक बर्दाश्त किया है. पाक ने नामालूम में भारत पर कितने हमले किए हैं, इन सब का बदला बहुत पहले ही ले लिया जाना चाहिए था. इस बात पर पूरी दुनिया में लगभग कंसेंसस है कि, इस्लाम के नाम को बदनाम कर आतंकवाद फैलाने वालों को जड़ से समाप्त करना शांतिपूर्ण और विकसित विश्व के लिए जरूरी है.
वक्त आ चुका है कि, इस्लामी आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंका जाए. यह सबसे सही समय है कि, उन देशों को भी सबक सिखाया जाए जो आतंकवाद को पालते पोषते हैं. पाक सेना ने मारे गए आतंकवादियों के जनाजे - नमाज में जिस तरीके से मिलिट्री ड्रेस में शामिल हुए उससे तो यह साबित हो गया कि, सेना और आतंकवादी एक दूसरे से मिले हुए हैं. इनको अलग देखना भी सही नहीं होगा.
भारत को अब अपना मानवीय दृष्टिकोण छोड़कर पाक सेना को निशाना बनाना चाहिए. यह ऐसा मुल्क है जो कभी सुधर नहीं सकता. इसके आतंक का जवाब गोली है. इनके साथ न्याय की बात बेमानी है. पाकिस्तान की सरकार और वहां की सेना पर आवाम का भरोसा नहीं है. ऐसे भी हलात बन सकते हैं कि पाक की जनता ही सरकार और सेना के खिलाफ जंग शुरू कर दे. कुछ सूबों में तो यह जंग चल ही रही है. सांप से निपटने के लिए दया भाव छोड़ना पड़ेगा, उसके फन को कुचलना ही पड़ेगा.
इस्लाम जैसे पवित्र धर्म का सम्मान बचाना है तो इस्लामिक आतंकवाद को कुचलना ही पड़ेगा. इस्लामिक देश इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. उन्हें पाकिस्तान से ज्यादा अपने इस्लाम की पवित्रता की चिंता है. इस पर अगर पाकिस्तान के कारनामों से चोट पहुंच रही है तो उदारवादी इस्लामिक राष्ट्र इसे कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं ?
भारत में इतनी सैन्य क्षमता विकसित कर ली है कि अब चुन चुन कर बंकर तक घुसकर आतंकवादियों को नेस्तानाबूद किया जा सकता है.
भारतीय सेना द्वारा आतंकी ठिकानों पर अटैक के बाद पीएम नरेंद्र मोदी की मीटिंग्स और उनसे निकलने वाले संदेश यही बता रहे हैं कि, इस बार भारत आतंकवादियों को कल्पना से बड़ी सज़ा देगा. पाकिस्तान से बदले के लिए राजनीतिक आम सहमति भी भारत की बड़ी ताकत है. वैसे व्हाइट कॉलर टेररिज्म की तरह से विचार करने वालों की भारत में कोई कमी नहीं है. आम जनमानस भले राष्ट्र के स्वाभिमान को जीवन से ऊपर स्वीकार करता है लेकिन व्हाइट कॉलर टेररिस्ट हर मौके पर सर्जिकल अटैक करते पाए जाते हैं.
सर्वदलीय बैठक में आम सहमति और एकजुटता सैन्य शक्ति और राष्ट्र को मोरल विक्ट्री दिला देती है.
भारतीय सिंदूर का श्राप दुनिया से इस्लामिक आतंक को साफ कर देगा. पाकिस्तान की टेरर फैक्ट्री निश्चित रूप से बर्बाद होगी. जुड़ते हिंदुस्तान और टूटते पाकिस्तान के बीच युद्ध के नतीजे दीवार पर लिखी इबारत जैसे साफ पढ़े जा सकते हैं.