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एक ज़रूरी पहल देश के लिए 

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Tue , 05 Oct

सार

देश में कुपोषण की जड़ों पर प्रहार कर टीबी को मात देने के जो भी प्रयास हो रहे हैं, उनके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं, यह कोई छुपी हुई बात नहीं है कि टीबी फैलने के कारणों में एक बड़ा कारण गरीबी है और टीबी से मौत की वजह रोगी का कुपोषित होना है..!!

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विस्तार

भारत में टीबी का रोग एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है जिसके खात्मे के लिए 2025 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एक सामाजिक बीमारी के रूप में टीबी के फैलने के लिए गंदी बस्तियों, अस्वच्छ घुटन भरे अंधेरे मकानों में निवास, भीड़भाड़ में रहने, असुरक्षित कार्यस्थलों में काम करने, इलाज में लापरवाही, अंधविश्वास आदि को जिम्मेदार माना जाता है, लेकिन इसके साथ-साथ गरीबी एवं कुपोषण भी ऐसे कारक हैं, जो टीबी के प्रसार में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। 

देश में कुपोषण की जड़ों पर प्रहार कर टीबी को मात देने के जो भी प्रयास हो रहे हैं, उनके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। यह कोई छुपी हुई बात नहीं है कि टीबी फैलने के कारणों में एक बड़ा कारण गरीबी है और टीबी से मौत की वजह रोगी का कुपोषित होना है। यानी लोग पर्याप्त पोषण के अभाव में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण टीबी की चपेट में आ रहे हैं। कई लोग टीबी ग्रस्त होने के बाद पोषण न मिलने से मर जाते हैं। गरीब लोग सुचारू रूप से इलाज भी नहीं करवा पाते, वे अच्छा पोषण कहां से ले सकते हैं?

देश में अभी भी कुपोषण टीबी की बड़ी वजह बना हुआ है, लेकिन पिछले छह सालों में, जब से टीबी रोगियों में  कुपोषण की समस्या से निपटने के प्रयास शुरू हुए हैं, टीबी के खात्मे की मुहिम और भी कारगर हो चली है। इसका श्रेय निश्चय ही सरकार और सरकार की पहल कर टीबी रोगियों के लिए अच्छे पोषण की व्यवस्था करने के लिए आगे आ रहे देशवासियों को है। सरकार ने कुपोषण की समस्या के समाधान के लिए अप्रैल 2018 में निक्षय पोषण योजना का आगाज किया है।

इसके तहत प्रत्येक टीबी रोगी को उपचार की पूरी अवधि के लिए 500 रुपए प्रति माह पोषण के लिए दिए जा रहे हैं। यह राशि बहुत ज्यादा नहीं है,लेकिन बीमारी को झेल रहे एक गरीब व्यक्ति के लिए यकीनन संबल है। 

निक्षय मित्र योजना एक तरह से टीबी रोग से पीडि़त लोगों को गोद लेने की योजना है। इसके तहत कोई भी नागरिक, जन प्रतिनिधि, राजनीतिक दल, गैर सरकारी संस्थान, कॉर्पोरेट संस्थान टीबी के मरीज को गोद ले सकता है। इस अभियान के तहत व्यवस्था की गई है कि निक्षय मित्र बनने वाला व्यक्ति अथवा संस्था कम से कम एक साल और अधिक से अधिक तीन साल के लिए किसी गांव, वार्ड, पंचायत, ब्लॉक या जिले के किसी टीबी रोगी या रोगियों को गोद लेकर उन्हें भोजन, पोषण, आजीविका के स्तर पर जरूरी मदद उपलब्ध करा सकते हैं। 

यह खुशी का विषय है कि समूचे देश के लोग सामाजिक दायित्व के तहत निक्षय मित्र योजना से जुडक़र देश को टीबी मुक्त करने में योगदान दे रहे हैं। निक्षय मित्र योजना को शुरू हुए पौने दो साल हो चुके हैं। ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में  13 लाख 55 हजार 600 रोगियों का उपचार चल रहा है, इनमें से दस लाख 10 हजार 66 रोगियों ने समुदाय से सहायता पाने की सहमति दी है और उन्हें पोषण उपलब्ध कराने के लिए दस लाख 4 हजार 679 लोग संकल्प ले चुके हैं। संकल्प ले चुके लोगों में से एक लाख साठ हजार 997 लोग निक्षय पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराकर रोगियों को बेहतर पोषण उपलब्ध करवा रहे हैं। 

टीबी रोग के उन्मूलन के लिए कार्य करने के साथ-साथ समुचित पोषाहार के लिए व्यापक स्तर पर काम करना बहुत जरूरी है। टीबी की वजह से रोगी के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। यदि उसे पौष्टिक आहार मिले तो उस पर दवाओं का प्रभाव ज्यादा होता है एवं जल्द स्वस्थ होकर मुख्यधारा में लौट आता है। यह बात शोध एवं अध्ययन में भी प्रमाणित हुई है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की ओर से देश में किए गए एक अध्ययन से यह साबित हो चुका है कि बेहतर पोषण की बदौलत टीबी से मृत्यु के जोखिम में 60 प्रतिशत की कमी आ सकती है और परिवारों में संक्रमण की संभावना लगभग 40 प्रतिशत कम हो सकती है।