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बुलडोजर मामा का एंग्री अवतार, क्या इन पर भी चलेगा मामा का बुलडोजर? अतुल पाठक

अतुल विनोद अतुल विनोद
Updated Fri , 08 Dec

सार

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नया अवतार चर्चा में है, उत्तर प्रदेश में बुलडोजर बाबा के बाद मध्य प्रदेश में बुलडोजर मामा का खौफ माफियाओं के सर चढ़कर बोल रहा है|

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विस्तार

वैसे तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लंबे समय से माफियाओं  की अवैध संपत्ति पर बुलडोजर चला रहे हैं|  लेकिन  बुलडोजर मामा बनते ही आम जनता की उम्मीदें बढ़ चुकी हैं|

मध्यप्रदेश में सरकारी और निजी जमीनों पर बेजा कब्जा करके कॉलोनी इमारतें और भवन बनाने का अवैध धंधा नया नहीं है|

सवाल यह है कि क्या अधिकारी किसी माफिया के अवैध निर्माण को क्या तब ढहायेंगे जब वह अपराध करेंगे? या वे मुख्यमंत्री के निर्देश का इंतज़ार करते रहेंगे? 

क्या मध्य प्रदेश में ऐसी व्यवस्था बनेगी जब  माफिया के निर्माण को शुरुआत में ही ढहा दिया जाए| 

यदि ऐसा होता है तो  जनता के बीच मध्य प्रदेश की सरकार को लेकर बहुत अच्छी धारणा बन सकती है|

अवैध निर्माण की फेहरिस्त हर जगह मौजूद है|  सरकारी एजेंसियों को पता है कि कहां कब और किसने अवैध निर्माण किया है या कर रहा है| 

अवैध निर्माण पर बुलडोजर मामा की जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी यदि वाकई अमल में आती है तो मध्य प्रदेश  कानून का राज,  समरसता और सुशासन के मामले में अन्य राज्यों से काफी आगे निकल सकता है|

होता यह है कि सरकारी एजेंसिया और उनके कर्ताधर्ताओं  सेसांठगांठ करके माफिया उनके नीचे बड़ी बड़ी बिल्डिंग तान देते हैं| अवैध निर्माण टिके रहते हैं यदि सत्ता पक्ष के किसी व्यक्ति की कुदृष्टि इन पर ना पड़े,  या कोई बड़ा विरोध खड़ा ना हो|

मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐसे माफियाओं पर सख्त एक्शन लेते हुए इनके अवैध निर्माण ध्वस्त करने का अभियान चलाया| 

कमलनाथ सरकार ने भी माफियाओं के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाने का दावा किया था|

हालांकि ये दावे पक्षपात के आरोपों के चलते जनता के बीच बहुत अच्छा संदेश नहीं देते|

जनता के बीच एक आम धारणा बन जाती है कि कोई भी रसूखदार व्यक्ति अपनी पहुंच और पैसे के दम पर कुछ भी कर सकता है|

इंदौर में पिगडंबर विवाद और हत्या के आरोपियों पर बुलडोजर मामा की कड़ी कार्रवाई 24 घंटे से पहले ही हो गई। आरोपियों के चार इमारतों को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया। देखते ही देखते इमारतों को मलबे में तब्दील कर दिया। साथ ही एक आरोपी की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बुलडोजर मामा का रूप इंदौर के बीद महू को लोगों ने भी देख लिया। महू तहसील के पिगडंबर में मामूली विवाद में एक युवक की हत्या के बाद हालात तनावपूर्ण हो गए थे। हालांकि पुलिस प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए हालात नियंत्रण में कर लिए थे। अब आरोपियों पर बुलडोजर मामा की भी तुरंत कार्रवाई हो गई है. आरोपियों के कई ठिकानों पर अवैध निर्माण तोड़ा जा चुका है। 

जानकारी के मुताबिक हत्या का आरोपी पहले से कई अनैतिक कार्यों में लिप्त बताया जा रहा है। उस पर सट्टे के कारोबार को संचालित करने का भी आरोप है। सवाल प्रशासन पर भी उठता है कि अनैतिक कार्यो में लिप्त होने के बावजूद भी इस पर सख्त एक्शन क्यों नहीं लिया क्या|  जिन अवैध निर्माणों को ध्वस्त किया गया है क्या वह आज बने हैं इससे पहले प्रशासन की निगाह ऐसे अवैध कंस्ट्रक्शन पर क्यों नहीं गई? क्या प्रशासन अवैध निर्माण करता के अपराध करने के बाद ही उसके अवैध निर्माण को ध्वस्त करेगा?

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को ‘बुलडोजर बाबा’ कहा जा रहा है तो वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लोग ‘बुलडोजर मामा’ कह रहे हैं। 

योगी आदित्यनाथ की सरकार में कई माफियाओं के घरों पर बुलडोजर चलाया जा चुके हैं। मध्य प्रदेश में भी कई जगह पर शिवराज सिंह चौहान को ‘बुलडोजर मामा’ की संज्ञा देते हुए पोस्टर और बैनर लगाए गए हैं। 

निश्चित ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की एक छवि उनके लिए चुनावों में कारगर साबित हो सकती है लेकिन तब जब अवैध निर्माण पर प्रशासन का बुलडोजर तभी चले जब कंस्ट्रक्शन शुरू हो| ऐसे अभियानों पर अवैध कॉलोनियों को नियमित करने की घोषणा से भी विपरीत असर पड़ता है| 

हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने राजधानी परियोजना प्रशासन सीपीए को बंद कर दिया है|  सीपीए के बंद होने के साथ सीपीए के  नगर निगम को लिखे एक पत्र ने आंखें खोलने वाले खुलासे किए | जब तक सीपीए अस्तित्व में रहा तब तक वह अमले की कमी के चलते सरकारी भूमि पर हुए कब्जे को नहीं हटा पाया|  

दरअसल सीपीए के पत्र से खुलासा हुआ कि राजधानी की सैंकड़ों एकड़ बेशकीमती जमीन पर कब्जे हो चुके हैं| यह कब्जे एक-दो साल में नहीं हुए बल्कि लगातार होते रहे और सीपीए आंख बंद करके बैठा रहा|  सीपीए ने बीच-बीच में नगर निगम को पत्र लिखे और इन अतिक्रमण को हटाने की मांग की लेकिन नगर निगम उसकी कहां सुनता| सीपीए बंद हो गया लेकिन अब उसके क्षेत्राधिकार में आने वाली जमीन को कब्जे से कौन मुक्त कराएगा?

हालांकि सीपीए खुद भी यह अतिक्रमण हटाने में इंटरेस्टेड नहीं था, शायद इसी वजह से वह अतिक्रमण हटाने के लिए पत्र लिखने जैसी साधारण खाना पूर्ति करता रहा|

यह बात सही है कि सीपीए के पास अतिक्रमण हटाने के लिए फोर्स नहीं थी| लेकिन यदि नगर निगम और जिला प्रशासन नहीं सुन रहा था, तो क्या सीपीए को अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए सरकार और कोर्ट तक नहीं जाना चाहिए था|

क्या इतने बड़े स्तर पर हो रहे अतिक्रमण की जानकारी उसने शासन के जिम्मेदारों तक नहीं पहुंचाई थी| 

यदि शासन में बैठे जिम्मेदार लोग सीपीए के इन पत्रों से अनजान थे तो ऐसे शासन तंत्र को क्या कहा जायेगा? 

राज्य सरकार ने राजधानी परियोजना वनमंडल (सीपीए) को बंद कर दिया है. इस पर कैबिनेट की मुहर लग चुकी है| इससे पहले राजधानी परियोजना वनमण्डल ने कलेक्टर, नगर निगम कमिश्नर और एसडीएम भोपाल को पत्र लिखकर दबंगों के चंगुल से बेशकीमती शासकीय जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने का आग्रह किया। यही नहीं, राजस्व वन भूमि पर विकास कुंज नाम से कॉलोनी काट दी गयी और नगर निगम और जिला प्रशासन मूक बधिर बना रहा। अतिक्रमण को हटाने के लिए सीपीए बार-बार पत्र लिखता रहा लेकिन उस पर कोई कार्यवाही आज दिनांक तक नहीं हो पाई। सीपीए के इस पत्र के अनुसार 692 अतिक्रमणकारियों ने शहर के बीच बेशकीमती जमीनों पर कब्जा कर दुकानें और आलीशान बंगले बनवा लिए हैं। सबसे अधिक अतिक्रमण अयोध्या बाईपास पर हुए हैं। 

पिछले साल एनजीटी ने नगर निगम को निर्देशित किया था कि भोपाल के बड़े तालाब के सभी कैचमेंट एरिया में अवैध कब्जों को तत्काल हटाया जाए और वैध निर्माण करने वाले लोगों के कागजात की जांच पड़ताल कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। परंतु इसके जवाब में भोपाल नगर निगम ने 227 में से केवल 11 कब्जे हटाने की कार्यवाही कर जवाब प्रस्तुत कर दिया।

भोपाल के करोंद इलाके में जिस यूनियन कार्बाइड की केमिकल फैक्ट्री में गैस रिसाव के कारण हजारों लोगों की मौत हुई थी, उसी कैम्पस के पास सरकारी जमीन पर धडल्ले से कब्जे होने की खबरें मीडिया में छप रही हैं| 

तीन माह पहले राजधानी के कस्तूरबा नगर (kasturba Nagar Bhopal) में 11 दिसंबर की शाम को एक परिवार टंकी पर चढ़ा गया। पति, पत्नी के साथ उनके दो बच्चे भी टंकी पर चढ़े । उन्होंने कहा कि उनकी औबेदुल्लागंज में जमीन है। जिस पर दबंगों ने कब्जा कर लिया है। उनका कहना  था  कि अगर उनकी जमीन से कब्जा नहीं हटाया गया तो वह टंकी से कूदकर जान दे देंगे। इससे तीन महीने पहले भी परिवार टंकी पर चढ़ चुका था । उस समय पुलिस से कार्रवाई का आश्वासन मिलने के बाद वो लोग उतर गए थे। मामले में कार्रवाई नहीं होने के कारण वो दोबारा टंकी पर चढ़े।

ये सिर्फ उदाहरण हैं| उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने माफियाओं के खिलाफ दबंगी से एक्शन लिया है| सूबे के मुखिया शिवराज भी इस रस्ते पर चल रहे हैं दावा है राज्य सरकार ने अब तक अवैध कब्जाधारियों से लगभग 21 हजार हेक्टेयर भूमि मुक्त कराई है। ये मुहिम रंग ला सकती है यदि सरकार प्रो-एक्टिव होकर एक्शन की प्रणाली विकसित करने में कामयाब हो और माफिया को पनपने देने वाले अफसरों पर भी सख्त एक्शन होने लगे|