ट्रंप के व्यापार युद्ध की घोषणा भारत की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं..!!
भारत का मध्यम वर्ग बजट-2025 पर विचार कर ही रहा था, अमेरिका से आई हवा ने उसे और गाफ़िल कर दिया। ट्रंप के व्यापार युद्ध की घोषणा भारत की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं।
राष्ट्रपति पद संभालने के तुरंत बाद डोनाल्ड ट्रंप ने संरक्षणवादी एजेंडे के साथ ही चीन, कनाडा व मैक्सिको पर भारी-भरकम टैरिफ थोपकर व्यापार युद्ध की शुरुआत कर दी है। ट्रंप के फैसले से वैश्विक बाजारों में भूचाल है।
इसका जबाब देने की घोषणा से विश्व व्यापार युद्ध शुरू होने की आशंका पैदा हो गई है। अमेरिका ने अपने शीर्ष व्यापारिक सहयोगी कनाडा व मैक्सिको पर 25 प्रतिशत और चीनी सामानों पर 10 प्रतिशत टैफिक थोपकर उन्हें आर्थिक प्रतिशोध हेतु बाध्य कर दिया है।
कनाडा ने अमेरिकी आयात पर टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है तो मैक्सिको भी ऐसा मन बना रहा है। वहीं चीन पिछली टैरिफ लड़ाइयों से परेशान होकर रणनीतिक प्रतिशोध को तैयार है। वह इस मामले को विश्व व्यापार संगठन तक ले जाने की बात कर रहा है।
भारत फिलहाल ट्रंप की संरक्षणवादी कार्रवाई से बचा नजर आता है। भारत ने टैरिफ कटौती की दिशा में कदम उठाते हुए ट्रंप के उस टैरिफ दुरुपयोग के आक्षेप से बचने का प्रयास किया है, जिसको लेकर ट्रंप भारत को निशाने पर लेते हैं। भारत में शीर्ष तीस अमेरिकी वस्तुओं पर आयात शुल्क मसलन कच्चे पेट्रोलियम से लेकर हार्ले-डेविडसन मोटर साइकिल तक पर मामूली टैरिफ हैं।
यह रणनीतिक कदम न केवल तत्काल अमेरिकी प्रतिशोध को रोकता है बल्कि वैश्विक आपूर्ति शृंखला में एकीकृत होने के लिये भारत की प्रतिबद्धता का भी संकेत देता है। जैसा कि केंद्रीय बजट 2025-26 में रेखांकित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि भारत अमेरिकी व्यापार घाटे में केवल 3.2 प्रतिशत का ही कारक है। इसकी वजह यह भी है कि भारत के तेजी से बढ़ते फार्मास्युटिकल और कीमती धातुओं के निर्यात फिलहाल कमजोर बने हुए हैं। यह अच्छी बात है कि ट्रंप ने पहले टैरिफ वार से भारत को राहत दी है, लेकिन वैश्विक व्यापार युद्ध से भारत में विदेशी निवेश प्रभावित हो सकता है। असर रुपये की सेहत पर भी पड़ेगा।
ट्रंप की इस कार्रवाई का एक सकारात्मक पक्ष यह भी है कि सामान पर टैरिफ बढ़ाए जाने से चीनी उत्पाद महंगे होंगे, तो भारतीय निर्यातक अमेरिका बाजार में नये अवसर तलाश सकते हैं। खासकर कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो पार्ट्स के क्षेत्र में। लेकिन इसके बावजूद भारत को सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए। इस टैरिफ जंग का एक पहलू यह भी कि अमेरिका में उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं।
ट्रंप ने अमेरिकी लोगों को मुश्किल समय के लिये तैयार रहने के लिये कहा है। आशंका है कि इससे भारत के सबसे बड़े निर्यात बाजारों में से एक में मांग कम हो सकती है। वहीं दूसरी ओर कोई भी अमेरिकी व्यापारिक प्रतिबंध अंतत: भारत के प्रमुख उद्योगों को प्रभावित कर सकता है।