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सहकार से समृद्धि

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Mon , 08 Jul

सार

इफको और जीसीएमएमएफ जिसका अमूल ब्रांड सारे देश में जाना जाता है। इन दोनों ने अपने कामकाज और टर्नओवर से सारी दुनिया में अपना डंका बजवाया..!!

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विस्तार

बीते वर्ष भारत के सहकारी क्षेत्र ने दुनिया में धूम मचा दी और उसके जिन दो सहकारी संगठनों को पहले और दूसरे पायदान पर रखा गया। ये हैं इफको और जीसीएमएमएफ जिसका अमूल ब्रांड सारे देश में जाना जाता है। इन दोनों ने अपने कामकाज और टर्नओवर से सारी दुनिया में अपना डंका बजवाया। 

इफको, जिसका पूरा नाम इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड है, विश्व की सबसे बड़ी उर्वरक सहकारिता संस्था है। यह किसानों को सस्ती कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाले उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए 1967 में स्थापित की गई थी। इफको मुख्य रूप से उर्वरकों के उत्पादन और विपणन में संलग्न है और इसकी 5 प्रमुख इकाइयां भारत में स्थित हैं। 

भारत के सहकारी परिदृश्य में इनका स्थान रोजगार, उत्पादन और कारोबार के लिहाज से अद्वितीय है। सिर्फ ये ही नहीं, भारत में हजारों सहकारी संस्थाएं हैं जो जमीनी स्तर पर काम कर रही हैं तथा आमजन के सशक्तिकरण में हाथ बंटा रही हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि हमारी सहकारी संस्थाएं महिलाओं और सीमांत किसानों के आर्थिक विकास में बड़ा काम कर रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में लाखों किसान इन सहकारी संस्थाओं से जुडक़र साहूकारों के कर्ज के जाल से निकलने में सफल हुए। इनसे महिलाओं को इतनी कमाई हुई कि आज देश में 1.15 करोड़ लखपति दीदियां हैं। 

जाहिर है कि हमारी सहकारी संस्थाएं आर्थिक समृद्धि के सेतु बन गई हैं। सहकारी संस्थाओं से ऋण लेकर करोड़ों लोग अपना काम कर रहे हैं और सफल भी हो रहे हैं। इनकी व्यापक उपस्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश में 8.5 लाख सहकारी संस्थाएं हैं और उनके 29 करोड़ सदस्य हैं।

2019 के पहले देश में सहकारी संस्थाएं पूरी तरह से राज्यों के हाथ में थीं और तमाम तरह की समस्याओं से जूझ रही थीं। उन्हें कई तरह के नियम-कानूनों का सामना करना पड़ता था। उनकी देखरेख का काम कृषि विभाग, ग्रामीण विकास विभाग और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के पास बंटे हुए थे। इससे हमेशा विलंब होता था और कई तरह के विवाद भी उठ खड़े होते थे। प्रशासन में कई तरह की अड़चनें सामने आती थीं। 

हर राज्य अपने तरीके से इन्हें चलाने की कोशिश करता था। इन बाधाओं को दूर करने के लिए ही मोदी सरकार ने 2021 में सहकारिता मंत्रालय को सृजित किया। यह गृह मंत्री अमित शाह के पास पूरी तरह से कर दिया गया। सहकारिता मंत्रालय सृजित करने के पीछे पीएम मोदी के मिशन ‘सहकार से समृद्धि’ की मूल भावना थी। इसके तहत छोटी-छोटी सहकारी संस्थाओं को मजबूत करना, सहकारिता पर आधारित एक अर्थव्यवस्था खड़ी करना, आर्थिक सुधारों को लागू करना और ट्रेनिंग वगैरह की व्यवस्था करना शामिल है। राष्ट्रीय स्तर के सहकारी संगठनों को और भी मजबूत करना सहकारिता मंत्रालय के ही कार्य हैं। 

सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इन संस्थाओं को पूरी तरह से मॉडर्न बनाने तथा डिजिटाइज करने की दिशा में महती कदम उठाया और इसके परिणाम भी देखने में आने लगे हैं। देश भर में प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसायटियों के कंप्यूटराइजेशन पर 2516 करोड़ रुपए खर्च किए गए जिससे 43658 कंप्यूटरों तथा उपयुक्त सॉफ्टवेयर पूरी तरह से लैस हैं।