बच्चा, बाप, बुजुर्ग केवल समय का अंतर, क्यों बनी रहती है मत भिन्नता निरंतर।। सरयूसुत मिश्रा “अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस” के साथ ही दुनिया में “युवा दिवस”, “बाल दिवस”, और “प्रौढ़ दिवस” भी मनाये जाते हैं। जो भी इंसान जन्म लेता है, वह समय-समय पर सभी दिवसों से गुजरता है। जीवन की सुबह बचपन है तो वृद्धावस्था जीवन की शाम है। जो भी स्वाभाविक जीवन जी रहा है उसे बच्चा, युवा, बाप और बुजुर्ग सभी दौर से गुजरना पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि वृद्ध मतलब सभी जिम्मेदारियां पूर्ण कर रिटायर्ड जीवन जीने वाला। विज्ञान और तकनीकी के विकास के साथ उम्र और उम्र की मान्यता के पैमाने बदल गए हैं।
सामान्यता 60 से ऊपर आयु का व्यक्ति वृद्ध माना जाता है, क्योंकि इसके बाद सरकार व्यक्ति को रिटायर कर पेंशन दे देती है। आजकल रिटायर्ड व्यक्ति को देखकर उसके वृद्ध होने का अहसास ही नहीं होता। सेवा से रिटायर होने के बाद कई लोगों ने जीवन में नए कीर्तिमान और इतिहास रचे हैं। वैसे व्यक्ति शरीर से वृद्ध और विचारों से समृद्ध होता है लेकिन रिटायरमेंट की मानसिकता व्यक्ति के लिए व्यक्ति के लिए कई तरह से अभिशाप बनती है। असली जीवन तो रिटायरमेंट के बाद ही शुरू होता है। लेकिन समाज में ऐसा माना जाता है कि रिटायरमेंट मतलब जीवन का समापन। परिवार में सेवारत व्यक्ति के रुतबे और सेवानिवृत्त के रुतबे में थोड़ा अंतर तो होता ही है। सेवा से निवृत होने के बाद व्यक्ति घर पर ज्यादा समय देता है। जब भी कहीं कोई ज्यादा रहेगा तो व्यवहार तो थोड़ा प्रभावित होता है। वृद्धावस्था अनुभव की परिपक्वता का काल होता है। वृद्धावस्था की प्लानिंग सही और समय अनुकूल हो तो जीवन का सबसे अच्छा कालखंड बनता है। बचपन, जवानी और वृद्धावस्था में केवल समय और अनुभव का अंतर होता है। समय के साथ बचपन और जवानी से गुजरकार ही वृद्धावस्था में व्यक्ति पहुंचता है। जीवन के इस क्रम में अगर वृद्धावस्था में पहुंचे किसी व्यक्ति के अनुभव को देखें, तो बाप और बेटे की सोच और मानसिकता में अंतर होता है। अपने अनुभव से वह कितना भी बेटे को समझाएं, लेकिन बेटा समझता नहीं है। उसको पिटा की बात समझ तभी आती है जब स्वयं बाप बनता है
। पिता की मानसिक अवस्था पिता बनने पर ही मिलती है। हर घर में यह होता है कि बेटा देर से घर लौटता है। बाप देर होने पर फोन पर फोन लगाता है और बेटा जवाब देता है कि क्या है पापा मैं कोई बच्चा थोड़ी हूं। आ जाऊंगा। बाप की चिंता और तनाव को वह समझ नहीं पाता। इसका मतलब वह तब समझता है, जब स्वयं पिता बनता है। पिता बनने पर उसे लगता है कि उसका बाप उसकी चिंता जो करता था वह कितना स्वाभाविक है। यही पितृत्व है जिसे वह आज समझ रहा है। बाप और बेटे में एक दूरी तो सब जगह देखने को मिलती है। बच्चा मां से खुल जाएगा। मां से सहज होगा, लेकिन बाप से दूरी बनाकर रखेगा। किसी वृद्ध के मस्तिष्क का अध्ययन किया जाए तो हम पाएंगे के अंदर से बच्चे के लिए प्यार और स्नेह से भरा हुआ बाप अनुशासन और संस्कारों के लिए सख्ती करता है।
यही सख्ती बचपन से बच्चों में के मन में पिता के प्रति एक दूरी बना देता है। बचपन और जवानी में यदि व्यक्ति घर के वृद्धजनों के अनुभवों की शिक्षा और व्यवहार को समझ ले तो समाज में सकारात्मक बदलाव आ सकता है। वृद्ध व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य और उसकी मानसिक स्थिति स्वस्थ होना बहुत महत्वपूर्ण होता है। वैसे तो माँ बाप के पास धन-संपत्ति न भी हो तो उनके पालन की जिम्मेदारी बच्चों की होती है, लेकिन आजकल स्थितियां थोड़ा बदली हुई है। वृद्ध जनों से दुर्व्यवहारकी घटनाएँ बढ़ी हैं। वृद्धावस्था में वृद्ध जनों को अपने बच्चों सेसंरक्षण के लिए सरकार को कानून बनाना पड़ा है। जो बाप बच्चों के जन्म पर “तुझे सूरज कहूं या चंदा तुझे चांद कहूं या तारा” गाते हुए उसमें अपने भविष्य का सहारा देखता देता है, वही आजकल बच्चों से सहारा पाने के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटा रहे हैं।
तकनीकी के युग में अब उम्र के मायने बदल गए हैं। इंटरनेट, मेल और व्हाट्सएप के दौर में आज अधिकतर वृद्ध मोबाइल और सोशल मीडिया पर सक्रिय रहकर न केवल अपने अनुभवों को दूसरों तक पहुंचाता है, बल्कि दूसरे के अनुभवों से सीख भी लेता है। पहले इस तरह का तकनीकी सपोर्ट वृद्ध लोगों को नहीं मिलता था। आज इसी कारण वृद्ध लोगों के जीवन में ज़रा हट कर विकास के अवसर मिल रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस हमें बुजुर्गों के प्रति हमारी जिम्मेदारी का एहसास तो दिलाते आता ही है, इसके साथ ही हमें इस बात के लिए भी सचेत करते हैं। कि समय के साथ ही हम भी वृद्ध जन दिवस के हकदार होंगे। इसलिए वृद्धों के प्रति सहजता और उनके भरण-पोषण तथा सुरक्षा के प्रति युवा पीढ़ी का दायित्व उनके सुरक्षित भविष्य के लिए भी जरूरी है।
 
                                 
 
										 
										 
										 
 										 
															 
															 
															 
															 
															 
															 
															 
															 
															 
															 
															 
											 
											 
											 
											 
											 
											 
											 
											 
											 
											 
											 
											