Karwa Chauth 2025: सिद्धि योग में करवा चौथ, सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष पूजा का महत्व


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स्टोरी हाइलाइट्स

Karwa Chauth 2025: इस वर्ष करवा चौथ सिद्धि योग में मनाया जाएगा, सुहागिन महिलाएं भगवान शिव-पार्वती, गणेश, चंद्र और करवा माता की पूजा करेंगी, करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि वे अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं..!!

Karwa Chauth 2025: कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, 10 अक्टूबर को सुहागिन महिलाएं सिद्धि और जयद योग के साथ-साथ कृतिका नक्षत्र में करवा चौथ का व्रत कर रही हैं। सुहागिन महिलाएं दीर्घायु वैवाहिक सुख की कामना के लिए निराहार रहकर ये व्रत करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और अनंत सुख की कामना करते हुए पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं।

पूरे दिन उपवास रखने के बाद, वे सोलह श्रृंगार करके शिव-पार्वती, भगवान गणेश और चंद्रमा के साथ-साथ करवा माता की पूजा करेंगी। वे अपने पति के साथ चंद्रमा के दर्शन करने के बाद जल पीकर अपना व्रत पूरा करती हैं। 

कहा जा रहा है, कि करवा चौथ के दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेगा। चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना जाता है। चंद्रमा यश, आयु और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन चंद्रमा कृतिका और रोहिणी नक्षत्र में रहेगा, जो शुभ फल प्रदान करता है। विवाहित महिलाएं मिट्टी के करवे से चंद्रमा को अर्ध्य देकर पूजा करती हैं। 

शास्त्रों के अनुसार छलनी से पति को देखने से पत्नी का आचरण और विचार दोनों शुद्ध होते हैं। पूजा का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में शाम 5:26 बजे से रात 8:02 बजे तक है। चंद्रोदय के बाद जल अर्पण की रस्म शाम 7:58 बजे शुरू होगी।

पूजा सामग्री का और इसका विशेष महत्व..

करवा: मिट्टी के बर्तन में पंच तत्वों, विशेष रूप से वायु और जल का एक विशेष मिश्रण होता है। यह मन को नियंत्रित करता है।

दीपक: दीपक का प्रकाश वातावरण को प्रकाशित करता है। इसी प्रकार, हमारे जीवन में प्रेम और स्नेह का प्रकाश व्याप्त रहे।

छलनी: चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद छलनी का उपयोग किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा सौभाग्यवती स्त्री पर सीधा नहीं पड़ता।

कुमकुम: एक विशेष रूप से शुभ वस्तु। यह शरीर को प्राकृतिक आंतरिक सौंदर्य प्रदान करती है और चेहरे पर चमक लाती है।

अक्षत: अक्षत का अर्थ है वह वस्तु जो क्षतिग्रस्त न हुई हो। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हमारी पूजा अक्षत के रूप में पूर्ण हो।