लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस जारी..राजनाथ सिंह बोले किसी भी परीक्षा में रिजल्ट मायने रखता है


Image Credit : X

स्टोरी हाइलाइट्स

राजनाथ सिंह का तथ्यों के साथ जवाब, गौरव गोगोई ने पूछा- पहलगाम में हमला करने वाले आतंकी कहां हैं..?

ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में चर्चा जारी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 16 घंटे की इस मेगा चर्चा की शुरुआत की और कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के आरोपों का चुन-चुनकर जवाब दिया। सदन में शुरुआती हंगामे के बाद अब 16 घंटे की चर्चा शुरू हो गई है, जिसकी शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। इस दौरान उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना की बहादुरी की तारीफ की और इस ऑपरेशन के अचानक खत्म होने की वजह भी बताई। इसके साथ ही उन्होंने इस ऑपरेशन पर सवाल उठाने वाले विपक्षी दलों पर भी हमला बोला। इसके बाद गौरव गोगोई ने सरकार से सवाल पूछा- हमला करने वाले आतंकी कहां हैं? सरकार 100 दिन बाद भी उन्हें क्यों नहीं ढूंढ पाई?

दूसरी ओर, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव विपक्ष का नेतृत्व करेंगे। दूसरी ओर, बिहार में चुनाव आयोग के SIR अभियान के खिलाफ राज्यसभा में एक बार फिर हंगामा हुआ, जिसके कारण सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। वहीं सपा सांसद डिंपल यादव को लेकर मौलाना साजिद रशीदी के आपत्तिजनक बयान को लेकर भाजपा ने आज संसद भवन के मकर द्वार पर विरोध प्रदर्शन किया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा, “मैं देश के उन वीर सपूतों, बहादुर सैनिकों को नमन करता हूं जो राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा के लिए बलिदान देने से कभी पीछे नहीं हटे... मैं उन सैनिकों की स्मृति को भी नमन करता हूं जिन्होंने भारत की एकता, अखंडता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। मैं पूरे देश की तरफ से सभी जवानों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।”

राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में चर्चा के दौरान कहा, “...6 और 7 मई 2025 को भारतीय सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर के नाम से एक ऐतिहासिक सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया। यह केवल सैन्य कार्रवाई नहीं थी बल्कि यह भारत की संप्रभुता, उसकी अस्मिता, देश के नागरिकों के प्रति हमारी जिम्मेदारी और आतंकवाद के खिलाफ हमारी नीति का एक प्रभावी और निर्णायक प्रदर्शन था।”

रक्षा मंत्री ने कहा, “22 अप्रेल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में एक अमानवीय और कायराना आतंकी हमला हुआ। इस हमले में हमारे 25 निर्दोष नागरिकों सहित एक नेपाली नागरिक की जान गई थी। उन निर्दोष लोगों की जान उनका धर्म पूछकर लिया गया। यह अपने आप में अमानवीयता का सबसे घृणित उदाहरण था। ये घटना भारत की सहन शक्ति की सीमा थी। इस हमले के तुरंत बाद हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की और उन्हें छूठ दी गई कि वे अपने विवेक, रणनीतिक समझ और क्षेत्रीय स्थिति को देखते हुए निर्णायक कार्रवाई करें।”

राजनाथ सिंह ने आगे कहा, “ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देने से पहले, हमारी सेनाओं ने हर पहलू का गहराई से अध्ययन किया। हमारे पास कई विकल्प थे लेकिन हमने वह विकल्प चुना जिससे आतंकवादियों को अधिकतम नुकसान हो और जिसमें पाकिस्तान के आम नागरिकों को कोई नुकसान न हो। हमारी सेनाओं द्वारा किए गए समन्वित हमलों ने 9 आतंकवादी बुनियादी ढांचे के ठिकानों को सटीकता से निशाना बनाया। एक अनुमान के अनुसार, इस सैन्य कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकवादी, उनके प्रशिक्षक, उनके आका मारे गए, जिनमें से अधिकांश जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठनों से जुड़े थे।”

ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आगे कहा, “...हमारी सेनाओं द्वारा किए गए समन्वित हमलों ने 9 आतंकवादी बुनियादी ढांचे के ठिकानों को सटीकता से निशाना बनाया। एक अनुमान के अनुसार, इस सैन्य कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकवादी, उनके प्रशिक्षक, उनके आका मारे गए, जिनमें से अधिकांश जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठनों से जुड़े थे।”, “...भारत ने कार्रवाई इसलिए रोकी क्योंकि संघर्ष के पहले और उसके दौरान जो भी राजनीतिक और सैन्य लक्ष्य तय किए गए थे उसे हम पूरी तरह से हासिल कर चुके थे। इसलिए यह कहना कि ऑपरेशन किसी दबाव में रोका गया था यह बेबुनियाद और सरासर गलत है।”

राजनाथ ने कहा, "इस ऑपरेशन का उद्देश्य कोई युद्ध छेड़ना नहीं था... 10 मई की सुबह, जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के कई हवाई क्षेत्रों पर करारा प्रहार किया, तो पाकिस्तान ने हार मान ली और शत्रुता रोकने की कोशिश की। हमारे DGMO से बात की कि इसे रोक दीजिए।"

"हमारी कार्रवाई पूरी तरह से आत्मरक्षा में थी, न तो उकसावे वाली थी और न ही विस्तारवादी। फिर भी, 10 मई, 2025 को लगभग 1:30 बजे तक, पाकिस्तान ने बड़े पैमाने पर भारत के ऊपर मिसाइलों, ड्रोन्स, रॉकेट्स और अन्य लंबी दूरी के हथियारों का उपयोग करके बड़े पैमाने पर हमला किया। 

उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वॉर फेयर से जुड़ी तकनीक का भी सहारा लिया। उनके निशाने पर हमारे भारतीय सेना के अड्डे, थल सेना के एग्रेशन डीपो, हवाई अड्डे और मिलिट्री कैंप थे। यह कहते हुए मुझे गौरव की अनुभूति हो रही है कि हमारे यहां डिफेंस सिस्टम, काउंटर ड्रोन सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट ने पाकिस्तान के इस हमले को पूरी तरह से नाकाम कर दिया। पाकिस्तान हमारे किसी भी टारगेट को हिट नहीं कर पाया। हमारी सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद थी और हर हमले को हमारे द्वारा रोका गया। मैं इसके लिए भारतीय सेना के बहादुर सैनिकों की जमकर सराहना करता हूं, जिन्होंने दुश्मन के मंसूबों पर पानी फेर दिया।"

उन्होंने कहा, “ऑपरेशन केवल रोका गया है समाप्त नहीं किया गया। अगर पाकिस्तान की ओर से भविष्य में कोई भी दुस्साहस हुआ तो यह ऑपरेशन दोबारा प्रारंभ होगा... 10 मई को पाकिस्तान के DGMO ने भारत के DGMO से संपर्क किया और भारत से सैन्य कार्रवाई को रोकने की अपील की। 12 मई को दोनों देशों के DGMO के बीच औपचारिक संवाद हुआ और दोनों पक्षों ने सैन्य कार्रवाई पर विराम लगाने का निर्णय लिया।”

"कभी-कभी हमारे प्रतिपक्ष के लोग यह पूछते रहे हैं कि हमारे कितने विमान गए? मुझे लगता है कि उनका यह प्रश्न हमारी राष्ट्रीय जनभावनाओं का सही से प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा है। उन्होंने एक बार भी हमसे यह नहीं पूछा कि हमारी सेनाओं ने दुश्मन के कितने विमान मार गिराए? यदि उन्हें प्रश्न पूछना ही है तो उनका प्रश्न यह होना चाहिए कि क्या भारत ने आतंकवादी ठिकानों को तबाह किया तो उसका उत्तर है, हां। मैं विपक्ष के साथियों से कहना चाहता हूं कि आपको यदि प्रश्न पूछना है तो यह प्रश्न पूछिए कि क्या ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा तो उसका उत्तर है, हां..."

राजनाथ सिंह बोले, “जब हमने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को सबक सिखाया था, मैं उस समय की सरकार को बधाई देता हूं। हमने तब अपने राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व की प्रशंसा की थी। हमने यह नहीं देखा कि वह किस पार्टी की सरकार थी या क्या विचारधारा थी। हमारे नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में उस समय के नेतृत्व की प्रशंसा की थी... हमने यह नहीं पूछा कि उन्हें(पाकिस्तान) सबक सिखाते समय कितने भारतीय विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए, कितने उपकरण बर्बाद हुए, हमने तब भी यह सवाल नहीं पूछा।”

उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने भी पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करने के लिए कई प्रयास किए हैं। लेकिन बाद में, 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक और 2025 के ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से, हमने शांति स्थापित करने के लिए एक अलग रास्ता अपनाया है। नरेंद्र मोदी सरकार का रुख स्पष्ट है - बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते...”, "भारत के लिए शांति हमारी प्राथमिकता है और हमारी शक्ति उसका आधार है। यह शक्ति हमारे सामर्थ से पैदा हुई है और यह सामर्थ पिछले 11 साल में कई गुना बढ़ गया है... आज भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के अनुसार 2028 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर भारत चल चुका है।"

“ऑपरेशन सिंदूर हमारे सामर्थ्य का प्रतीक था जिसमें हमने दिखाया कि अगर कोई हमारे नागरिकों को मारेगा तो भारत चुप नहीं बैठेगा। हमारा राजनैतिक तंत्र और नेतृत्व बिना किसी दबाव के काम करेगा। हमारी मिसाइलें भौतिक सीमाओं को पार करेंगी, वीर सैनिक दुश्मन की कमर तोड़ देंगे। हम आतंकवाद के हर रूप और स्वरूप को समाप्त करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।”

राजनाथ सिंह ने आगे कहा, "आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई केवल सीमा पर नहीं है बल्कि वैचारिक मोर्चों पर भी लड़ी जा रही है। इसी उद्देशय से प्रधानमंत्री ने कई प्रतिनिधिमंडलों का गठन किया था जिसमें हमारे अधिकांश पार्टी के सांसद शामिल थे। सचमुच इस समूह ने वैश्विक मंचों पर जाकर भारत की बात बहुत प्रभावी तरीके से रखी और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन को उन्होंने मजबूत किया। मैं उन सभी सम्मानित सदस्यों के प्रति शीश झुकाकर आभार व्यक्त करना चाहता हूं।"