Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि का छठा दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी को समर्पित है. ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण इनका नाम कात्यायनी रखा गया. मां कात्यायनी की पूजा से विवाह संबंधी समस्याएं दूर होती हैं.
धार्मिक मान्यता है कि इनकी कृपा से योग्य वर और विवाह की सभी अड़चनें दूर हो जाती है. ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं. मां कात्यायनी सफलता और यश का प्रतीक हैं. भगवान कृष्ण को पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा कालिंदी नदी के तट पर की थी. ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं.
दिव्य है मां का स्वरूप-
इनका स्वरूप अत्यंत ही भव्य और दिव्य है. इनका वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला और भास्वर है. शेर पर सवार मां की चार भुजाएं हैं, इनके बाएं हाथ में कमल, तलवार व दाहिने हाथों में स्वास्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा में बैठी हुई है.
पूजा का महत्व-
मां कात्यायनी की पूजा अमोघ फलदायिनी हैं, मान्यता है कि देवी कात्यायनी जिस पर प्रसन्न हो जाएं उसे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी के इस स्वरूप की पूजा करने से गृहस्थ जीवन सुखमय रहता है और साधक के रोग, शोक, संताप और भय आदि सर्वथा नष्ट हो जाते हैं. शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. यह स्वयं नकारात्मक शक्तियों का अंत करने वाली देवी हैं.
पूजा विधि-
नवरात्रि के छठे दिन सबसे पहले स्नान करने के बाद शुभ रंगों के वस्त्र पहनकर कलश पूजा करें. इसके बाद मां दुर्गा के स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा करें. इस दौरान मां को स्मरण करते हुए हाथ में फूल लेकर संकल्प जरूर लें. फिर वह फूल मां को अर्पित करें.
फुल चढ़ाने के बाद कुमकुम, अक्षत, फूल आदि और सोलह श्रृंगार माता को अर्पित करें. उसके बाद भोग अर्पित करें. फिर जल अर्पित करके घी का दीपक जलाकर माता की पूजा करें.
मां कात्यायनी को लगाएं ये भोग-
मां कात्यायनी को शहद बहुत ही प्रिय है, इसलिए पूजा के समय मां कात्यायनी को शहद का भोग अवश्य लगाएं, ऐसा करने से स्वयं के व्यक्तित्व में निखार आता है.
मां कात्यायनी को चढ़ाएं ये फूल-
मां कात्यायनी को पीला और लाल रंग अति प्रिय है. इस वजह से पूजा में आप मां कात्यायनी को लाल और पीला रंग के गुलाब का फूल अर्पित करें, इससे मां कात्यायनी आप पर प्रसन्न होंगी.
पूजा मंत्र-
1. या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
2.चंद्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना।
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनि।।