आर्यन खान पर हो रही गंदी विभाजनकारी सियासत, क्या देश और समाज से बड़ा है सियासती लाभ.. दिनेश मालवीय


स्टोरी हाइलाइट्स

आज हमारे देश में ऎसी बातों पर गंदी सियासत हो रही है, जो पूरे देश और समाज के लिए बहुत घातक है. हर किसी मुद्दे को...

आर्यन खान पर हो रही गंदी विभाजनकारी सियासत, क्या देश और समाज से बड़ा है सियासती लाभ.. दिनेश मालवीय आज हमारे देश में ऎसी बातों पर गंदी सियासत हो रही है, जो पूरे देश और समाज के लिए बहुत घातक है. हर किसी मुद्दे को हिन्दू-मुस्लिम का रंग देना आज आम बात हो गयी है. इसमें हमारा मीडिया भी बहुत अनुचित रवैया अपना रहा है. सबसे नया मुद्दा अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान का सामने आया है. उसे एन बी सी ने ड्रग का सेवन करने और ड्रग रखने के ज़ुर्म में गिरफ़्तार किया गया है. इस मामले में गिरफ्तार होने वाला आर्यन खान अकेला नहीं है. उसके साथ साथ और युवा पकडाए गए हैं, जिनमें एक लड़की भी है. इनमें से अधिकार हिन्दू हैं. किसीको भी जमानत नहीं मिली है और सभी जेल में एक जैसी स्थिति में  बंद हैं. लेकिन मीडिया सिर्फ आर्यन खान की बात करता है. बाकी युवाओं की बात तो दबाकर बहुत चलताऊ तरीके से बताता है. इससे देश में हिन्दू-मुस्लिम और भाजपा-विरोध की राजनीति करने वालों को एक बड़ा मुद्दा मिल गया. वे कह रहे हैं, कि शाहरुख खान मुस्लिम हैं, इसलिए उनके बेटे को सताया जा रहा है.कश्मीर की नेता महबूबा मुफ्ती ने तो कई कदम आगे जाकर कहा, कि आर्यन को मुस्लिम होने के नाते फँसाया गया है. वह इतने पर ही नहीं रुकीं. उन्होंने तो कहा, कि बेचारे 23 साल के आर्यन को सताने में पुलिस और प्रशासन अपनी ताक़त झोंक रहा है. इस मुद्दे की आड़ में उन्होंने और भी कई तरह की भड़ास निकाली है. खैर महबूबा मुफ्ती ऐसा कहें तो समझ में आता है, क्योंकि उनकी तो पूरी साजिश ही भारत में असंतोष फैलाना और हिन्दू-मुस्लिम विभाजन करना है. लेकिन देश में ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है, जो ऐसा ही मान रहे हैं. कोई लोग इस बात को खुलकर नहीं बोल रहे, लेकिन उनके मन में  ऐसे ही विचार हैं. इस तरह की सोच को बढ़ाने में हमारे मीडिया ने बहुत गैर-जिम्मेदारी का परिचय दिया है. वह इस विषय पर जब भी रिपोर्टिंग करता है, तो सिर्फ आर्यन खान की बात करता है. इससे आम लोगों, खासकर मुस्लिमों में भी यह धारणा गहरी होती जा रही है, कि आर्यन खान को victimise किया जा रहा है. अनेक विक्टिम कार्ड खेलने वाले मुस्लिमों को तो सरकार को कोसने का बैठे-बिठाए बढ़िया मुद्दा हाथ लग गया है. क्या ऐसा माना जाये, कि यदि कोई व्यक्ति मुस्लिम है, तो वह कुछ भी करे, उसके साथ विशेष रियायत बरती जाए? क्या मुस्लिम अपराधियों के प्रति अतिरिक्त नरमी बरती जाए. इसके लिए वर्तमान उत्तरप्रदेश सरकार को भी बुरा-भला कहा जा रहा है. वहाँ योगी सरकार ने बिना किसी भेदभाव के हिन्दू और मुस्लिम गुंडों और बाहुबलियों के साथ सख्ती बरती है. अब इनमें ज्यादातर मुस्लिम ही थे, तो इसमें सरकार की क्या ग़लती ? आर्यन मुद्दे पर साम्प्रदायिक राजनीति करने वालों को याद रखना चाहिए, कि अभिनेता संजय दत्त के साथ देश के क़ानून और अदालतों ने कोई नरमी नहीं बरती थी. वह जेल की सजा काटकर बाहर आये हैं. इसके अलावा, देश में धर्म के नाम पर पाखण्ड और दुराचार के आरोपी अनेक तथाकथित संत जेल में पड़े हैं. बाबा राम रहीम को हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया है. देश में जो भी अपराध करता है, उसके साथ बिना किसी जातीय, साम्प्रदायिक और धार्मिक आधार पर क़ानूनी कार्यवाही होती है. आर्यन वाले मुद्दे से देश के युवाओं का सीधा भावनात्मक जुड़ाव है. आखिर वह उनकी उम्र का ही है. यह विचार करने की बात है, कि 23 वर्ष का युवा बच्चा नहीं होता. आर्यन और उसके साथ जो युवा पकड़ाए हैं, वे सभी अच्छे खाते-पीते परिवारों के हैं. उन सभी को अच्छी शिक्षा भी मिली है. उनमें अच्छे बुरे या सही-गलत का विवेक नहीं है, ऐसा नहीं माना जा सकता. वे सबकुछ जानबूझकर कर रहे थे. उनके मन में यह भाव भी कहीं रहा होगा, कि हम तो बड़े घरों के बच्चे हैं, हमारा कोई क्या बिगाड़ लेगा. बेशक आर्यन और उसके साथ पकड़े गए बच्चों के साथ हमदर्दी रखी जा सकती है. इस घटना से आखिर इनका भविष्य अंधकारमय होने की संभावना है. कोई नहीं चाहता, कि किसी भी अन्य युवा के साथ ऐसा हो. इन युवाओं को इस तरह की सज़ा मिलनी चाहिए, जो दूसरे युवाओं के लिए एक नज़ीर बन जाए. देश के राजनीतिक दलों और मीडिया को इन सभी तथ्यों को सामने रखकर बात करनी चाहिए. सिर्फ टीआरपी बढ़ाने के लिए पूरे देश को विभाजन की आग में झोंकने का प्रयास करना देश और समाज के प्रति अपराध है.