Gangaur Teej 2024: गणगौर तीज, सुखी दांपत्य और मनचाहा वर पाने में फलदायी


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स्टोरी हाइलाइट्स

Gangaur Teej 2024: सुखी दांपत्य और मनचाहा वर पाने के लिए आई है सर्वार्थ सिद्धि योग में गणगौर की पूजा, सभी राशियों के लिए फलदायी है..!!

Gangaur Teej 2024: गुरुवार 11 अप्रैल को गणगौर व्रत है, जिसे विवाहित और अविवाहित दोनों महिलाएं रखती हैं। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं, जबकि अविवाहित लड़कियां मनचाहा वर पाने के लिए गणगौर की पूजा करती हैं। गणगौर के दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है।

इस दिन माता पार्वती ने भगवान शंकर से सौभाग्य का वरदान प्राप्त किया था तथा पार्वती ने अन्य स्त्रियों को सौभाग्य का वरदान दिया था। विवाहित महिलाएं शिव-पार्वती की मूर्ति बनाकर दीवार पर काजल, कुमकुम, हल्दी, मेहंदी, सिन्दूर, आम के पत्ते या दूर्वा से सोलह बिंदिया लगाती हैं और गणगौर माता के गीत गाते हुए पूजा करती हैं।

इस दिन व्रत रखा जाता है और आटे की 16 गुने बनाकर विवाहित महिला को दिया जाता है। पूजा के समय गणगौर माता को महावर और सिन्दूर चढ़ाने का विशेष महत्व है। चंदन, अक्षत, धूप और नैवेद्य अर्पित किया जाता है। विवाहित महिलाओं को गौरी माता पर चढ़ाया हुआ सिंदूर अपने माथे पर लगाना चाहिए। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी सूर्योदय के बाद दोपहर 1.23 बजे तक रहता है। इस समय पूजा करने से विशेष सफलता मिलेगी।

गणगौर की कथा-

एक बार भगवान शंकर पार्वती एवं नारद जी के साथ भ्रमण के लिए चल दिए। वे चलते-चलते चैत्र शुक्ल तृतीया के दिन एक गांव में पहुंचे। उनका आना सुनकर ग्राम की निर्धन स्त्रियां उनके स्वागत के लिए थालियों में हल्दी अक्षत लेकर पूजन हेतु पहुंच गई। पार्वतीजी ने उनके पूजा भाव को समझकर सारा सुहाग रस उन पर छिड़क दिया। वे अटल सुहाग प्राप्त कर लौटीं। धनी वर्ग की स्त्रियां थोड़ी देर बाद अनेक प्रकार के पकवान सोने-चांदी के थाल में सजाकर पहुंची। 

इन स्त्रियों को देखकर भगवान शंकर ने पार्वती से कहा- तुमने सारा सुहाग रस तो निर्धन वर्ग की स्त्रियों को दे दिया। अब इन्हें क्या दोगी? पार्वती बोली- प्राणनाथ! उन स्त्रियों को ऊपरी पदार्थों से बना रस दिया गया है। परंतु मैं इन धनी वर्ग की स्त्रियों को अपनी अंगुली चीरकर रक्त का सुहाग दूंगी जो मेरे समान सौभाग्यवती हो जाएंगी। जब इन स्त्रियों ने पूजन समाप्त कर लिया तब पार्वतीजी ने अपनी अंगुली चीरकर उस रक्त को उनके ऊपर छिड़क दिया। जिस पर जैसे छींटे पड़े उसने वैसा ही सुहाग पा लिया। 

शिवजी की मूर्ति बनाकर पूजन किया इसके बाद पार्वतीजी अपने पति शंकरजी से आज्ञा लेकर नदी में स्नान करने चली गई। स्नान करने के बाद बालू की शिवजी की मूर्ति बनाकर पूजन किया। भोग लगाया तथा प्रदक्षिणा करके दो कणों का प्रसाद खाकर मस्तक पर टीका लगाया। उसी समय उस बालू के लिंग से शिवजी प्रकट हुए और पार्वती को वरदान दिया कि आज के दिन जो स्त्री मेरा पूजन और तुम्हारा व्रत करेगी उसका पति चिरंजीवी रहेगा तथा मोक्ष को प्राप्त करेगा।