स्टोरी हाइलाइट्स
‘गरुण पुराण’ वैष्णव सम्प्रदाय का एक बहुत महत्वपूर्ण ग्रंथ है. साधारणत:इसका पाठ किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर घर गरुड़ पुराण सम्पूर्ण कथा,Garud Puran Katha
गरुण पुराण संक्षेप-Garud Puran Katha-दिनेश मालवीय..
गरुण पुराण(Garud Puran) संक्षेप
–दिनेश मालवीय
‘गरुण पुराण’(Garud Puran) वैष्णव सम्प्रदाय का एक बहुत महत्वपूर्ण ग्रंथ है. साधारणत:इसका पाठ किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर घर में करवाया जाता है, ताकि मृतक की आत्मा का घर-परिवार से मोह छूट जाए और परिवार वालों को भी यह अनुभूति हो सके कि देह नश्वर है. उनका शोक कम हो. लेकिन यह बहुत व्यापक ग्रंथ है. आमतौर पर इसके ‘प्रेत खण्ड’ को ही ‘गरुण पुराण’ के रूप में प्रस्तुत कर दिया जाता है. हकीकत यह है कि यह भगवान श्रीविष्णु की भक्ति का सन्देश देने वाला ग्रंथ है. इसमें भगावान के चौबीस अवतारों का वर्णन है.
इस पुराण में मनु द्वारा श्रृष्टि की उत्पत्ति, ध्रुव चरित्र और बारह आदित्यों की कथा दी गयी है. इसमें सूर्य और चन्द्र ग्रहों, इंद्र,सरस्वती आदि से सम्बंधित मंत्रों के साथ ही नौ शक्तियों के बारे में विस्तार से बताया गया है.
वर्तमान में इस पुराण के कुल साथ हज़ार श्लोक उपलब्ध हैं,जबकि मूल रूप से इनकी संख्या उन्नीस हज़ार बतायी जाती है. इस पुराण के दो भाग हैं. पहले भाग में विष्णु भक्ति और उपासना की विधियों का उल्लेख है.इसमें मरने के बाद इस पुराण को सुनने का प्रावधान है. दूसरे भाग में प्रेत कल्प का विस्तार से वर्णन है.इसमें नरकों में जीव के जाने और मरने के बाद मनुष्य की क्या गति होती है, कौन सी योनि प्राप्त पोती है, प्रेत योनि से मुक्ति कैसे पायी जा सकती है, श्राद्ध और पवित्र कर्म किस प्रकार करने चाहिए और नरकों के दुःख से कैसे मुक्ति पायी जा सकती है, इसका विस्तार से वर्णन है.
‘गरुण पुराण’(Garud Puran) में महर्षि कश्यप और तक्षक नाग को लेकर एक सुंदर उपाख्यान है. ऋषि शाप से जब राजा परीक्षित को तक्षक नाग डसने जा रहा था, तब मार्ग में उसकी भेंट कश्यप ऋषि से हुयी. तक्षक ने ब्राह्मण का वेश धरकर उनसे पूछा कि वे इस प्रकार उतावली में कहाँ जा रहे हैं? कश्यप में कहा कि तक्षक नाग महाराज परीक्षित को डसने वाला है. मैं उनके विष का प्रभाव दूर करके उन्हें फिर से जीवन दान दूंगा. इस पर तक्षक ने अपना परिचय देते हुए उन्हें लौट जाने को कहा. उसने कहा कि उसके विष के प्रभाव से आज तक कि भी व्यक्ति जीवित नहीं बचा है.
तब कश्यप ने कहा कि वे अपनी मंत्र शक्ति से राजा परीक्षित का विष-प्रभाव दूर कर देंगे. इस पर तक्षक ने कहा कि यदि ऐसी बात है तो आप इस वृक्ष को फिर हरा-भरा करके दिखाइए. मैं इसे डसकर अभी भस्म किये देता हूँ. तक्षक ने ऐसा ही किया. कश्यप ने वृक्ष की भस्म एकत्रित कर उसपर अपना मंत्र फूंका. तभी तक्षक ने देखा कि उस भस्म से नयी कोंपलें फूट आयी है और तुरंत वह वृक्ष हरा-भरा हो गया. हैरान होकर तक्षक ने ऋषि से पूछा कि वह राजा का किस कारण से भला करने जा रहे हैं? ऋषि ने कहा कि उन्हें वहाँ से प्रचुर धन मिलेगा. तक्षक ने उन्हें संभावित धन से अधिक धन देकर वापस भेज दिया.
इस पुराण में नीति संबंधी तत्व, आयुर्वेद, गया तीर्थ महात्म्य, श्राद्ध विधि, दशावतार चरित्र और सूर्य तथा चन्द्र वंशों का विस्तार से वर्णन है. इसके अलावा गारुड़ी विद्या और ‘विष्णु पंजर स्तोत्र’ आदि का वर्णन है. इसमें विविध रत्नों और मणियों के लक्षणों का वर्णन किया गया है. साथ ही, ज्योतिष शास्त्र,सामुद्रिक शास्त्र, सांपों के लक्षण,धर्म शास्त्र, विनायक शान्ति, वर्णाश्रम धर्म व्यवस्था, विविध व्रत-उपवास,सम्पूर्ण अष्टांग योग, पतिव्रत धर्म महात्म्य, जप-तप कीर्तन और पूजा विधान आदि का भी विस्तृत वर्णन है.
‘गरुण पुराण’(Garud Puran) के ‘प्रेत कल्प’ में यमलोक, प्रेतलोक और प्रेत योनि क्यों प्राप्त होती है, इसका कारण बताया गया है. उसके कारण दान महिमा, प्रेत योनि से बचने के उपाय, अनुष्ठान और श्राद्ध कर्म आदि का वर्णन है. ये सारी बातें मृत व्यक्ति के परिजनों पर गहरा असर डालती हैं. मौत के बाद क्या होता है, यह जानने की उत्सुकता सभी को होती है. ‘गरुण पुराण’(Garud Puran) में इसी प्रश्न का उत्तर दिया गया है. यह जहाँ धर्म शुद्ध और सत्य आचरण पर बल देता है, वहीँ पाप-पुण्य, नैतिकता-अनैतिकता, कर्तव्य-अकर्तव्य तथा इनके शुभ-अशुभ फलों पर भी विचार करता है. इसे तीन अवस्थाओं में विभाजित किया गया है. पहली अवस्था में सभी अच्छे-बुरे कर्मों का फल इसी जीवन में प्राप्त होता है. दूसरी अवस्था में मौत के बाद मनुष्य चौरासी लाख में से किसी योनि में अपने कर्मानुसार जन्म लेता है. तीसरी अवस्था में वह अपने कर्मों के अनुसार स्वर्ग या नरक में जाता है.
‘प्रेत कल्प’ में बताया गया है कि नरक में जाने के बाद प्राणी प्रेत बनकर अपने परिजनों और रिश्तेदारों को अनेक तरह से प्रताड़ित करता है. वह परायी स्त्री और पराये धन पर नज़र रखने वाले व्यक्ति को भारी कष्ट पहुंचता है. जो व्यक्ति दूसरों की सम्पत्ति हड़प कर जाता है, मित्र से द्रोह करता है, विश्वासघात करता है, ब्राह्मण या मंदिर की सम्पत्ति का हरण करता है,परायी स्त्री से बुरा काम करता है, कमजोरों को सताता है, कन्या का विक्रय करता है, माता, बहन, पुत्री, पुत्री, पुत्रवधू आदि के निर्दोष होने पर भी उनका त्याग कर देता है, वह प्रेत योनि में अवश्य जाता है. उसे अनेक नारकीय कष्ट भोगना पड़ते हैं. ऐसे व्यक्ति को जीते-जी अनेक रोग और कष्ट घेर लेते हैं. व्यापार में हानि, गर्भनाश, गृह कलह, बुखार, संतान मृत्यु आदि दुःख होते रहते हैं. अकाल मृत्यु उसी व्यक्ति की होती है, जो धर्म का आचरण और नियमों का पालन नहीं करता. जिसके विचार दूषित होते हैं.
इस पुराण में प्रेत योनि और नरक से बचने के उपाय भी सुझाए गये हैं. सबसे अधिक प्रभावी उपाय दान-दक्षिणा, पिण्डदान और श्राद्ध कर्म आदि बताये गये हैं.
इस पुराण में ‘आत्मज्ञान’ का महत्त्व भी प्रतिपादित किया गया है. ईश्वर का ध्यान ही सबसे सरल उपाय है. मनुष्य को अपने मन और इन्द्रियों पर संयम रखना चाहिए.
Latest Hindi News के लिए जुड़े रहिये News Puran से.