स्टोरी हाइलाइट्स
अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पहले ईंटों और पत्थरों से बना था, लेकिन बाद में इसमें सफेद मार्बल का इस्तेमाल किया गया, और फिर 19वीं शताब्दी में इस मंदिर के गुंबद पर सोने की परत चढ़वाई गई थी।स्वर्ण मंदिर में बने चार दरवाजे, चारों धर्मों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसका मतलब यहां हर धर्म के व्यक्ति मत्था टेकने आ सकते हैं।हरमंदिर साहब गुरुद्धारा में विश्व की सबसे बड़ी किचन है, जहां रोजाना करीब 1 लाख से ज्यादा लोगों को लंगर करवाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि मुगल सम्राट अकबर ने भी गुरु के लंगर में आम लोगों के साथ प्रसाद ग्रहण किया था।
स्वर्ण मंदिर: रोचक एवं महत्वपूर्ण तथ्य
अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पहले ईंटों और पत्थरों से बना था, लेकिन बाद में इसमें सफेद मार्बल का इस्तेमाल किया गया, और फिर 19वीं शताब्दी में इस मंदिर के गुंबद पर सोने की परत चढ़वाई गई थी।
स्वर्ण मंदिर में बने चार दरवाजे, चारों धर्मों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसका मतलब यहां हर धर्म के व्यक्ति मत्था टेकने आ सकते हैं।
हरमंदिर साहब गुरुद्धारा में विश्व की सबसे बड़ी किचन है, जहां रोजाना करीब 1 लाख से ज्यादा लोगों को लंगर करवाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि मुगल सम्राट अकबर ने भी गुरु के लंगर में आम लोगों के साथ प्रसाद ग्रहण किया था।
इस विश्व प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस मंदिर की सीढ़ियां ऊपर की तरफ नहीं, बल्कि नीचे की तरफ जाती हैं जो कि मनुष्य को ऊपर से नीचे की तरफ आना सिखाती हैं।
अपनी अद्भुत बनावट और आर्कषक चित्रकारी की वजह से पंजाब में स्थित यह स्वर्ण मंदिर पूरी दुनिया भर में मशहूर है। इस स्वर्ण मंदिर की कारीगिरी मुगल और भारतीय वास्तुकला के मिश्रित स्वरुप को दर्शाती है।
पंजाब के अमृतसर में स्थित इस विशाल स्वर्ण मंदिर में कभी रात नहीं होती, जी हां यह साल के सभी 365 दिन और दिन के चौबीसों घंटे अपनी कृत्रिम रोश्नी से जगमगाता रहता है।
सिख धर्म की आस्था से जुड़ा यह विश्व प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर के बारे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि इसकी नींव एक मुस्लिम सूफी पीर साईं मियाँ मीर ने रखी थी, जबकि सिखों के चौथे गुरु गुरु राम दास जी ने 1577 में इसकी स्थापना की थी और सिखों के पांचवे गुरु अर्जनदेव ने इसकी डिजाइन और निर्माण काम की शुरुआत की थी।
श्री हरमंदिर साहिब के नाम का अर्थ “भगवान का मंदिर” है और इस मंदिर में सभी जाती-धर्म के लोग बिना किसी भेदभाव के आते है और भगवान की भक्ति करते है.
सिख धर्म की आस्था से जुड़े इस स्वर्ण मंदिर में बैसाखी, प्रकाशोत्सव, लोह़ड़ी, संक्रांति, शहीदी दिवस जैसे त्योहार काफी धूमधाम से मनाए जाते हैं। वहीं इस पवित्र गुरुद्धारा में श्रद्धालुओं को कई नियमों का भी पालन भी करना होता है।