भाईचारे के धर्म का अनुयायी चौराहे पर लाश कैसे लटकाएगा -सरयूसुत मिश्रा


स्टोरी हाइलाइट्स

तालिबान अपने असली रंग में आने लगा है. अफगानिस्तान में तालिबानी दरिंदगी का दौर शुरू हो चुका है. हेरात शहर के मुख्य चौराहे .....

सच्चे इस्लाम के अपहरण की हो रही हैं कोशिशें -सरयूसुत मिश्रा तालिबान अपने असली रंग में आने लगा है. अफगानिस्तान में तालिबानी दरिंदगी का दौर शुरू हो चुका है. हेरात शहर के मुख्य चौराहे पर पिछले दिनों अपहरण के आरोपी चार लोगों को पहले दिनदहाड़े गोली मारी गई फिर एक शव को क्रेन के सहारे बीच चौराहे पर घंटों लटकाए रखा. वह शव सौ घंटों तक हवा में झूलता रहा. उसके गले में तख्ती लड़की हुई थी. बाकी सब को दूसरे चौराहों पर ले जाकर इसी तरह से किया गया. इक्कीसवीं सदी में इस तरह की बर्बरता और मानवता को शर्मसार करने वाला कृत्य दूसरा नहीं हो सकता. जिन लोगों ने यह किया है वह अपने आप को अपने धर्म का मसीहा और धार्मिक शिक्षा एवं धार्मिक नियमों का संचालन करने वाला स्थापित कर रहे हैं. मानवता की यह लाश जो चौराहे पर लटकी है, यह क्या उस शिक्षा और उस धार्मिक कानून की लाश नहीं है. यह कैसी धार्मिक शिक्षा है, जिसमें करुणा और ममता नहीं है. यह कैसा धार्मिक दर्शन है और यह कैसा धर्म का सोच है जिसमें मुर्दे को भी सार्वजनिक रूप से अपमानित किया जाता है. कोई भी धर्म यही सिखाता है कि ममता और करुणा के साथ आनंदपूर्वक जीवन गुजारे और दूसरों को भी जीने दे. जो इस्लाम धर्म समानता, सहयोग, भाईचारे, समर्पण, त्याग, क्षमा और बलिदान जैसे मानवीय गुणों का पाठ पढ़ाता है, उसी इस्लाम धर्म के नाम पर पूरी दुनिया में नफरत फैलाई जा रही है. आज आतंक की जो आंधी चल रही है,वह पहले कभी नहीं देखी गई थी. जिहाद के नाम पर आत्मघाती हमलावरों की बढ़ती संख्या पूरी दुनिया में अमनोअमान के लिए खतरा बन गयी है. सत्ता छीनने-कब्जाने और उसे सुरक्षित रखने के लिए मध्यकालीन युग में सल्तनत काल के सुल्तानों मुगल शासकों ने भले ही रक्तरंजित इतिहास बनाया हो, आधुनिक दौर में इस्लाम के नाम पर इस्लाम को बदनाम और शर्मिंदा करने वाले घृणित अपराध को वह लोग अंजाम दे रहे हैं, जो दुर्भाग्य से स्वयं को सच्चा मुसलमान बता रहे हैं. ऐसा अंधेर इस्लाम के इतिहास में कभी देखने को नहीं मिलता. इन तथाकथित स्वयंभू इस्लामी ठेकेदारों की नजरों में ईसाई, हिंदू, बौद्ध और यहूदी, पारसी आदि धर्मों के अनुयायी काफिर होते हैं. काफिरों को मौत के घाट उतार देने की मुस्लिमों की सोच और शिक्षा बहुत खतरनाक और धर्म विरोधी है. उनकी मान्यता है कि ऐसा कर के कथित सच्चे मुसलमान को जन्नत मिलेगी. खुद मारे जाने पर धर्म के लिए शहीद माने जाएंगे. यह इतना विकृत विचार है. इसे सिर्फ विकृत मानसिकता के लोग ही स्वीकार कर सकते हैं. इस्लाम को मानने वाले करोड़ों लोग हैं, जो उदार और मानवीय गुणों से भरे हुए हैं. लेकिन मुट्ठी भर गलत सोच और विकृत मानसिकता के लोग इस्लाम को ही बदनाम कर रहे हैं. तथाकथित सच्चे मुसलमानों के लिए गैर-मुस्लिमों के साथ ही मुसलमानों की कुछ बिरादरी के लोग भी काफिर होते हैं. सूफीवादी, बरेलवी,शिया, अहमदिया आदि मुसलमानों को ये कथित सच्चे मुसलमान वैसा ही दुश्मन मानते हैं जैसे गैर मुस्लिमों को. मौत के इन सौदागरों को यह अधिकार किसने दिया कि वह प्रमाणित करें कि सच्चे मुसलमान कौन हैं. पाकिस्तान के शिया समुदाय की हजारों मस्जिदों को इस्लाम विरोधी विचारधारा के आत्मघाती हमलावरों ने निशाना बनाया. अकेले पाकिस्तान में शिया समुदाय के सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं. कट्टरवादी इस्लाम के प्रदर्शन की ऐसी पराकाष्ठा क्या इस्लाम धर्म की सही शिक्षा है? ऐसी ताकतों को इतिहास के पन्नों से भी सीख लेना चाहिए. जहां चंद मुसलमान और मुगल शासकों के बलपूर्वक सत्ता संघर्ष के कारण इस्लाम धर्म को अब तक कितनी शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है. तालिबान अफगानिस्तान में जो कुछ भी कर रहे हैं उससे तो यही लगता है कि यह शक्तियां इस्लाम की सबसे बड़ी दुश्मन है. कई बार तो ऐसा लगता है कि यह विश्व स्तर पर चलने वाली इस्लाम विरोधी साजिश भी हो सकती है, जिसमें इस्लाम के नाम पर इस्लाम धर्म का अपहरण कर एक नया इस्लाम खड़ा करने की कोशिश की जा रही है. अमन के दुश्मन मानव मानव में भेद करने वाले अमानवीय तरीके से सार्वजनिक रूप से सजा देने वाले कैसे सच्चे इस्लाम धर्म के अनुयाई हो सकते हैं. पूरी दुनिया के अमन पसंद और सच्चे इस्लाम धर्म के बंधुओं के लिए यह चुनौती भरा समय है. ख़ुद को सच्चा मुसलमान बताने वाले वहशी दरिंदों को गैर-इस्लामी घोषित करें और इस्लाम के नाम पर सत्ता की राजनीति चमकाने वाले किसी को भी को भी अपने उपयोग का मौका न दें. अगर आज दुनिया का मुसलमान अपने धर्म के खिलाफ हो रही साजिश को समझ कर उसके खिलाफ खड़ा नहीं होता तो यह इस्लाम धर्म के लिए आने वाला समय सबसे बुरा साबित होगा. ये भी पढ़ें: मजबूत शासन के लिए परिवार और रिश्तेदारों पर कड़ी नजर आवश्यक, सत्ता के लिए हत्या तक का षड्यंत्र संभव.. -सरयूसुत मिश्रा