वन विभाग में खरीदनी थी फोर व्हील ड्राइव खरीद ली टू व्हील ड्राइव


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स्टोरी हाइलाइट्स

वन विभाग में वाहन खरीदी गड़बड़झाला की विधानसभा में होगी अनुगूंज, निजी स्वास्थ्य के चलते डॉ दिलीप कुमार कमेटी निर्णय को ही पलट दिया, अफसरों के लिए पात्रता से अधिक कीमत की वाहनों की हुई खरीदी..!!

भोपाल: जंगल महकमे में 26 करोड़ के 214 वाहनों की खरीदी को लेकर उठे सवाल थम ही नहीं रहे हैं। अब इसकी अनुगूंज विधानसभा के मानसून सत्र में सुनाई देगी। कांग्रेस विधायक ध्यानाकर्षण के जरिए यह मुद्दा उठाने जा रहे हैं। 

सूचना अधिकार के तहत मिले दस्तावेज के अनुसार डॉ दिलीप कुमार की अध्यक्षता वाली क्रय समिति ने फोर व्हील ड्राइव वाहन खरीदने की अनुशंसा की थी किंतु कतिपय शीर्ष अधिकारियों के निजी हितार्थ के चलते टू व्हील ड्राइव वाहनों की खरीदी की गई। चिंता जनक पहलू यह है कि टू व्हील ड्राइव वाली वाहन महंगी कीमत पर खरीदे गए।

सूचना के अधिकार से मिले दस्तावेज वाहन क्रय करने के लिए तीन कमेटियां इसलिए बनाई गई, ताकि वाहन खरीदी में गड़बड़ करने की मंशा से अधिकारी अपनी मनमर्जी कर सके। यही वजह रही की तीन बार क्रय समिति का गठन करना पड़ा। जबकि पहले क्रय समिति के अध्यक्ष रहे डॉ दिलीप कुमार कमेटी ने फोर व्हील (4wD) वाहन खरीदने की अनुशंसा की थी। 

इस सवाल का जवाब वन विभाग के शीर्ष अधिकारियों के पास नहीं है कि जब फोर व्हील ड्राइव स्कार्पियो-एन 15.84 लाख कीमत पर मिल रही थी तो फिर टू व्हील ड्राइव स्कार्पियो 18.24 कुल लागत में क्यों खरीदी ? वन विभाग के लिए 4wD वाहन की रिक्वारमेंट थी, क्योंकि जब शहर और गांवों की रोड समाप्त होते है तब वन विभाग की सीमा आरंभ होती है।  कच्चे, रेतीले, गिट्टो, और पहाड़ों पर वन विभाग का वाहन चलता है। ऐसी जगह पर 4wD वाहन की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार वाहन खरीदते समय अधिक ग्राउंड क्लीयरेंस का ध्यान भी नहीं रखा गया। 

डॉ दिलीप कुमार के रिटायर्ड होने के बाद यूके सुबुद्धि और उसके बाद सुदीप सिंह अध्यक्षता वाली कमेटियां बनाई गई। समिति में विशेषज्ञ को जगह नहीं दी गई थी। इन कमेटियों को भौगोलिक परिस्थितियों का अध्ययन कर वाहन स्पेसिफिकेशन और दरों का तुलनात्मक पत्रक नहीं बनाया। यानि कम से कम दो अलग-अलग  कंपनियों के वाहन मॉडल तय करना था पर एक ही कंपनी को परचेज ऑर्डर जारी कर दिए गए। यानी पूर्व से ही या तय कर लिया गया था कि महिंद्रा एन्ड महिंद्रा कंपनी के विशेष वाहन खरीदने हैं। 

वित्त विभाग के परिपत्र की अनदेखी..

वाहन क्रय समिति वित्त विभाग के सर्कुलर की अनदेखी की। यानि एसीएस और वन बल प्रमुख को भी गुमराह किया। वित्त विभाग के परिपत्र के अनुसार अफसर के लिए वाहन पे-स्केल के आधार पर खरीदने का प्रावधान है। यदि पात्रता से अधिक कीमत ( स्कॉर्पियो और इनोवा जैसी अधिक कीमत वाली वाहन) की वाहन खरीदना था तब संबंधित प्रस्ताव पर कैबिनेट के मंजूरी लेना चाहिए थी। 

राइट ऑफ वाहन की सूची में गड़बड़ी..

15 वर्ष पुराने वाहनों को राइट ऑफ किए जाने के एवज में नए वाहन खरीदने की बात कही जा रही है। राइट ऑफ वाहनों की सूची में भी गड़बड़ी प्रकाश में आई है। दस्तावेज के आधार पर  आरटीआई एक्टिविस्ट पुनीत टंडन ने दावा किया है कि सूची में दिए गए वाहनों के नंबरों का मिलन परिवहन विभाग की बेवसाइट पर मिलान किया तब 5 वाहन के नंबर एम्बुलेंस के बताए जा रहें हैं। एक वाहन का नंबर तो इंदौर आरटीओ से जारी हुआ है। आरटीओ की वेबसाइट के अनुसार यह वाहन फाइनेंस पर ली गई है।