भोपाल। मध्य प्रदेश शासन ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए निर्देश दिए हैं कि जिन प्रकरणों में वन भूमि अतिक्रमण से मुक्त हो चुकी है, वे मामले अब न्यायालयों से वापस लिये जाएंगे।
यह निर्णय राज्यपाल मंगुभाई पटेल के निर्देश पर लिया गया है, जो उन्होंने राजभवन में गठित जनजातीय प्रकोष्ठ की बैठक में वन विभाग को दिये थे।
पुराने प्रकरणों की समीक्षा
राज्य में पिछले दस वर्षों में आदिवासियों पर दर्ज वन अपराधों की सूची तैयार की गई है। इनमें 3470 प्रकरण वन विभाग के पास हैं तथा 4443 प्रकरण न्यायालयों में विचाराधीन हैं।
इनमें मुख्यतः अवैध कटाई, अतिक्रमण, अवैध उत्खनन और वन्यप्राणी अपराध शामिल हैं।
वाहन जप्ती एवं राजसात, अवैध आरा मशीन संचालन, संगठित अवैध वृक्ष कटाई, शिकार, वन्यप्राणियों को हानि पहुँचाना, हिंसक वारदात से अतिक्रमण, और शस्त्रों का उपयोग करने वाले प्रकरण।
वे प्रकरण जिनमें वन भूमि अब अतिक्रमण मुक्त हो चुकी है। इन मामलों में वसूली समाप्त की जाएगी और जब्त की गई ऐसी सामग्री (वनोपज को छोड़कर) जो राजसात नहीं की गई है, उसे यथास्थिति में वापस किया जाएगा।
जिला स्तरीय समिति करेगी परीक्षण
प्रत्येक जिले में गठित समिति —
कलेक्टर (अध्यक्ष), डीएफओ (सदस्य) और जिला अभियोजन अधिकारी (सदस्य सचिव) — प्रकरणों की समीक्षा कर यह निर्णय लेगी कि किन मामलों को न्यायालय से वापस लिया जाए।
डॉ. नवीन आनंद जोशी