कान्हा, पेंच एवं बांधवगढ़ भी बनेंगे बायोस्फियर


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स्टोरी हाइलाइट्स

राज्य के पर्यावरण विभाग के एप्को यानि पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन ने वन विभाग की सहमति से प्रस्ताव स्वीकृत कर भारत सरकार को भेजा है..!!

भोपाल: प्रदेश के तीन नेशनल पार्क एवं टाइगर रिजर्व कान्हा, पेंच एवं बांधवगढ़ भी बायोस्फियर बनेंगे। इसके लिये राज्य के पर्यावरण विभाग के एप्को यानि पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन ने वन विभाग की सहमति से प्रस्ताव स्वीकृत कर भारत सरकार को भेजा है जहां से यह प्रस्ताव यूनेस्को यानि यूनाईटेड नेशन्स एजुकेशनल, साईंटिफिक एण्ड कल्चरल आर्गनाईजेशन को भेजा गया है तथा यूनेस्को ने इसे निर्धारित प्रारुप में पुन: भेजने का अनुरारेध किया है जिस पर कार्यवाही जारी है।

उल्लेखनीय है कि बायोस्फियर रिजर्व में वन्यजीव, वनों एवं वहां रह रहे मानव समुदाय का भी विकास किया जाता है। केंद्र सरकार के वन, पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने बायोस्फियर रिजर्व प्रबंधन योजना बनाई हुई है जिसके तहत देश के जैवविविधिता से सम्पन्न क्षेत्रों की पहचान कर उनके संरक्षण हेतु बायोस्फियर रिजर्व स्थापित किये जा रहे हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य जैवविविधिता का संरक्षण करना, स्थानीय लोगों से जुड़ी विकास योजनाओं तथा प्रशिक्षण एवं शिक्षण को बढ़ावा देना है। 

मप्र शासन द्वारा बायोस्फियर रिजर्व के प्रबंधन हेतु एप्को को नोडल एजेन्सी बनाया हुआ है। भारत सरकार द्वारा अब तक देश में कुल 18 बायोस्फियर रिजर्व घोषित किये गए हैं, जिनमें से 3 बायोस्फियर रिजर्व (पचमढ़ी, अचानकमार-अमरकंटक एवं पन्ना) मप्र में स्थित हैं। ये तीनों बायोस्फियर रिजर्व को यूनेस्को के वल्र्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फियर रिजर्व में सम्मलित किया गया है।

उक्त तीनों घोषित बायोस्फियर..

पचमढ़ी, अचानकमान-अमरकंटक एवं पन्ना में एप्को द्वारा विगत कई दशकों से भारत सरकार द्वारा स्वीकृत कार्य योजनाओं का क्रियान्वयन जिला स्तर पर विभिन्न क्रियान्वयन संस्थाओं के साथ समन्वय से किया जा रहा है। इसके अंतर्गत चारागाह विकास, लैंटाना उन्मूलन, मृदा एवं जल संरक्षण कार्य, बारासिंघा संरक्षण, आजीविका सुधार, स्कूल के छात्र-छात्राओं हेतु जन जागरुकता कार्यक्रम, प्राकृतिक रहवास का सुधार, सकंटापन्न एवं सकंटग्रस्त प्रजाति तथा औषधीय पौधों का रोपण व संवर्धन कार्य, उन्नत किस्म के फलदार पौधों का वितरण एवं रोपण, बायोगैस प्लांट के निर्माण, प्लेक के निर्माण, मछली पालन, स्थानीय समुदायों का सामाजिक आर्थिक उत्थान हेतु गतिविधियां की जाती हैं।