भोपाल: मप्र के महालेखाकार अपने कुनो राष्ट्रीय उद्यान में प्रोजेक्ट चीता के प्रबंधन पर चिंता जताई है। कैग के अनुसार केंद्र और सरकार के विभागों के बीच समन्वय की कमी रही है। ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है, ''इस प्रबंधन योजना में चीतों का कोई उल्लेख नहीं था। इसलिए, 2021-22 से 2023-24 (जनवरी 2024 तक) तक प्रोजेक्ट चीता पर किया गया 44.14 करोड़ रुपये का खर्च स्वीकृत प्रबंधन योजना के अनुरूप नहीं था।''
ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि वन विभाग के बयानों से इस पत्थर की भारत सरकार और मंत्री सरकार के विभागों के बीच कम समन्वय की कमी थी। यहां तक कि स्थल चयन हो या चीता पुनःस्थापन अध्ययन में ग्राउंड स्टाफ और वन विभाग शामिल नहीं थे। रिपोर्ट के अनुसार कुनो चीता प्रोजेक्ट के लिए 255 पद स्वीकृत है, जिसमें अब भी 43पद रिक्त है। इसका असर वनों और वन्य प्राणियों की सुरक्षा पड़ना स्वाभाविक है।
वर्मा के तबादले पर सवाल
कैग ने कुनो चीता प्रोजेक्ट से डीएफओ प्रकाश कुमार वर्मा के तबादले पर भी सवाल उठाया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुनो चीता प्रोजेक्ट के पूर्व डीएफओ प्रकाश कुमार वर्मा को चीता प्रबंधन में प्रशिक्षण के लिए दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया भेजा गया था। आरा की प्रशिक्षण के कुछ दिनों बाद उनका अन्यत्र तबादला कर दिया गया, जिससे उनका प्रशिक्षण चीता पुनः बसाहट के लिए अनुपयोगी हो गया। भारत में चीता के आगमन हेतु कार्य योजना के अनुसार प्रशिक्षित कर्मचारियों को न्यूनतम 5 वर्ष की अवधि तक चीता संरक्षण स्थलों से नहीं हटाया जाएगा। कुनो में अफ्रीकी चीतों के आगमन के बावजूद कई प्रमुख पद रिक्त है जिसका सीधा असर प्रबंधन पर पड़ रहा है।
भारत में 17 शावकों का जन्म
चीता प्रोजेक्ट में सबसे सुखद पहलू यह है कि भारत में 17 शावकों का जन्म हुआ है, जिनमें 12 जीवित हैं। वैसे भारत आने के बाद से अब तक 8 व्यस्क चीते (3 मादा और 5 नर ) मर चुके हैं। कुनो में शावकों सहित चीतों की कुल संख्या 24 हो गई है। भारत में चीता के पुनरुत्पादन के लिए कार्य योजना' में संस्थापक स्टॉक स्थापित करने के लिए पांच वर्षों तक दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और अन्य अफ्रीकी देशों से प्रति वर्ष लगभग 12-14 चीते लाने की रूपरेखा तैयार की गई है।