वनमंडलों में ठेके से कार्य कराने के आदेश का विरोध शुरू


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स्टोरी हाइलाइट्स

वन विभाग ने 27 मार्च को एक आदेश जारी कर समस्त वनमंडलों एवं वन्यप्राणी क्षेत्रों में (कोर क्षेत्र छोड़कर) फेंसिंग कार्य, वायरवैड फेंसिंग, चेनलिंक फेंसिंग, पशु अवरोधक खंती एवं पशु अवरोधक दीवार का निर्माण कार्य ठेके पर कराने के निर्देश दिए हैं..!!

भोपाल: प्रदेश के वनमंडलों में ठेके वानिकी कार्य कराने के आदेश को लेकर विरोध शुरू हो गया है। रेंजर्स एसोसिएशन ने अपनी तीखी प्रक्रिया में कहा है कि सरकार का यह फरमान गरीब मजदूरों और जंगल में रहने वाले आदिवासियों के अधिकारों पर डाका डालने जैसा है। वन क्षेत्रों में किये जाने वाले कार्य ठेके से कराने का विचार गुजरात से लिया गया है जहां ठेके से सभी कार्य होते हैं। 

वन विभाग ने 27 मार्च को एक आदेश जारी कर समस्त वनमंडलों एवं वन्यप्राणी क्षेत्रों में (कोर क्षेत्र छोड़कर) फेंसिंग कार्य, वायरवैड फेंसिंग, चेनलिंक फेंसिंग, पशु अवरोधक खंती एवं पशु अवरोधक दीवार का निर्माण कार्य ठेके पर कराने के निर्देश दिए हैं। आदेश में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि 2 लाख से अधिक लागत के समस्त भवन निर्माण एवं मरम्मत कार्य निविदा के जरिए कराया जाए। इसके अलावा नर्सरी में क्षेत्र तैयारी/गढ्‌ढा खुदाई कार्य पौधा रोपण लगवाई एवं अधोसंरचना विकास अंतर्गत पॉली हाउस/मिस्ट चेम्बर का निर्माण के कार्य भी ठेके से कराया जाय। 

वन ग्रामों से होगा आदिवासियों का पलायन

वन विभाग के नए आदेश के लागू होने पर जंगल क्षेत्र के आसपास रहने वाले गरीब मजदूरों और आदिवासियों खासतौर पर वन ग्रामों के रहवासियों के पलायन की संभावना बढ़ जायगी। इसके अलावा वन विभाग में जो भी काम होते हैं वो एक निश्चित समय में स्थानीय मजदूरों जिसमें वन क्षेत्र में रहने वाले ट्राइब्स होते हैं उनके तकनीकी और कोशलीय ज्ञान और एक्सपीरियंस के आधार पर समय से पूर्ण कराए जाकर लोकल में रहकर बिना पलायन के रोजगार पाकर पूर्ण किए जाते हैं।

यदि ये ठेका पद्धति अर्थात् निविदा प्रक्रिया वन विभाग में लागू हो गई तो निश्चित ही वन विभाग में नुकसानी और वन क्षेत्र में रह रहे ट्राइव्स के अधिकारों को हानि पहुंचाने की पद्धति बन जायेगी। जिसका असर और खामियाजा सीधा वन क्षेत्र और उस पर आश्रित मजदूरों पर पड़ना स्वाभाविक है।

** ये कार्य जो विभागीय स्तर पर कराये जाने हैं।
** रोपणियों में पौधा तैयारी एवं रख-रखाव कार्य।
** वन्यप्राणी क्षेत्रों में कोर एरिया के समस्त कार्य।
** मुनारा, फायर लाईन कटाई/रख-रखाव कार्य।
** वनमार्ग उन्नयन/सुदृढ़ीकरण कार्य।
** अन्य प्रतिदिन के कार्य जैसे प्रशिक्षण, कार्यशाला, अनुभूति जो वित्तीय अधिकार पुस्तिका के प्रावधानों के अनुसार सम्पन्न होंगे।