संत रविदास जयंती 2024: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, संत रविदास जयंती हर साल माघ पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस बार संत रविदासजी की जयंती 24 फरवरी शनिवार को मनाई जा रही है। संत रविदास का जन्म वाराणसी के निकट एक गाँव में हुआ था। रविदास जयंती के दिन संत रविदासजी की पूजा की जाती है, जुलूस निकाला जाता है और भजन-कीर्तन कर उन्हें याद किया जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संत रविदास को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि समानता और सद्भाव पर आधारित उनका संदेश हर पीढ़ी को प्रेरित करेगा।
पीएम मोदी ने अपने X हैंडल पर एक पोस्ट शेयर लिखा है, गुरु रविदास जयंती पर उन्हें आदरपूर्ण श्रद्धांजलि। इस अवसर पर देशभर के अपने परिवारजनों को ढेरों शुभकामनाएं। समानता और समरसता पर आधारित उनका संदेश समाज की हर पीढ़ी को प्रेरित करते रहेंगे।
पीएम मोदी शुक्रवार को संत रविदास की 647वीं जयंती के उपलक्ष्य में अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक समारोह में शामिल हुए थे।
संत रविदास बेहद धार्मिक स्वभाव के थे। वे भक्तिकाल के संत और महान समाज सुधारक थे। ईश्वर के प्रति समर्पित होने के साथ-साथ उन्होंने अपने सामाजिक और पारिवारिक कर्तव्यों को भी बखूबी निभाया।
उन्हें संत रविदास, गुरु रविदास, रैदास और रोहिदास जैसे कई नामों से जाना जाता है। वे भक्तिकाल के संत और महान समाज सुधारक थे। ईश्वर के प्रति समर्पित होने के साथ-साथ उन्होंने अपने सामाजिक और पारिवारिक कर्तव्यों को भी बखूबी निभाया। संत रविदासजी ने लोगों को बिना किसी भेदभाव के एक-दूसरे से प्रेम करना सिखाया और इस तरह वे भक्ति के मार्ग पर चले और संत रविदास के नाम से जाने गए।
ऐसा माना जाता है कि संत रविदास जी के माता-पिता चमड़े का काम करने वाले थे। संत रविदासजी के पिता का नाम संतोखदास (रघु) और माता का नाम कर्मा देवी (कलसा) था। उनकी पत्नी का नाम लोना और बेटे का नाम श्री विजयदास बताया जाता है।
रविदासजी ने अपनी आजीविका के लिए अपने पूर्वजों के काम को अपनाया, लेकिन पूर्व जन्म के पुण्य के कारण ईश्वर की भक्ति उनके मन में इतनी रच-बस गई कि उन्होंने धन कमाने की बजाय साधु-संतों की सेवा को अपनी आजीविका का साधन बना लिया। रविदास जी के बारे में कहा जाता है कि उनमें बचपन से ही अलौकिक शक्तियां थीं। उनके चमत्कारों की कई कहानियाँ हैं जिनमें अपने बचपन के दोस्त को जीवनदान देना, पानी पर पत्थर तैराना, कुष्ठ रोग ठीक करना आदि शामिल हैं।
संत रविदासजी ने अपना अधिकांश समय ईश्वर की आराधना और धार्मिक परंपराओं का पालन करने में बिताया, उन्हें संत का दर्जा प्राप्त हुआ। रविदास जी का यह नारा 'मन चंगा तो कठौती में गंगा' आज भी प्रसिद्ध है। रविदासजी ने कहा कि सच्चे मन और श्रद्धा से किया गया काम हमेशा अच्छा परिणाम देता है।