SIR के मुद्दे पर संसद में गुरुवार 21 अगस्त को भी गतिरोध जारी रहा, हालाँकि, मामला अदालत में लंबित होने के कारण संसद में इस पर चर्चा नहीं हो सकी। संसद के आखिरी दिन, विपक्ष SIR के मुद्दे पर चर्चा की मांग पर अड़ा रहा और हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही नहीं चल सकी। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्ष को फटकार लगाई और सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
सत्र को लेकर बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने कहा, ‘सत्र का आखिरी दिन था। अध्यक्ष ने कहा कि यह सत्र उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। 120 घंटे की चर्चा का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। बहुत कम सवालों के जवाब मिल पाए... विपक्ष को फटकार इसलिए लगाई गई क्योंकि इस तरह से जनता और देश को भी नुकसान हो रहा है।’
गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाने संबंधी विधेयक पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, 'राहुल गांधी, कांग्रेस और पूरे विपक्ष की राजनीति ट्यूशन और ट्वीट पर चलती है। अगर कोई प्रधानमंत्री, सांसद या मंत्री जेल में है, तो क्या उसे इस्तीफा नहीं देना चाहिए?... अमित शाह गुजरात के गृह मंत्री थे... क्या वह जेल नहीं गए? क्या उन्होंने जेल जाने से पहले इस्तीफा नहीं दिया?... अदालत से बरी होने तक उन्होंने कोई संवैधानिक पद नहीं संभाला।
कर्नाटक में उमा भारती के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और फिर कर्नाटक की अदालत गईं। वह जेल नहीं गईं, लेकिन भाजपा ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया क्योंकि उन्हें तलब किया गया था। लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ हवाला का मामला दर्ज किया गया था। उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया और बरी होने तक कोई चुनाव नहीं लड़ा।
लेकिन अरविंद केजरीवाल जैसे लोग जेल से मुख्यमंत्री बने रहे..अगर ऐसा विधेयक लाया जा रहा है, तो इसमें गलत क्या है? इसमें प्रधानमंत्री भी शामिल होंगे..आपातकाल लागू होने के बाद एक संशोधन लाया गया था कि किसी भी तरह के अपराध के लिए प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती..अगर प्रधानमंत्री समानता के अधिकार के तहत कोई अपराध करते हैं, तो उन्हें दंडित किया जाना चाहिए।'
लोकसभा अध्यक्ष ने सांसदों को फटकार लगाते हुए कहा कि सदन में विपक्ष का व्यवहार लोकतंत्र के मूल्यों के अनुरूप नहीं है। यह संसद की गरिमा के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि देश की जनता देख रही है कि कैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस को बाधित किया जा रहा है। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि मानसून सत्र के दौरान केवल 37 घंटे ही चर्चा हो सकी। जिसमें लोकसभा में 12 विधेयक पारित हुए और केवल 55 प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए। इसके बाद लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। इस दौरान पीएम मोदी भी सदन में मौजूद रहे।