इसकी खेती करने का खास तरीका
भोपाल: मध्यप्रदेश में खरीफ की फसलों की बोवनी शुरू हो चुकी है। इस सीजन में राज्य में धान की खेती सबसे ज्यादा और प्रमुखता से की जाती है। धान के साथ खेत में अजोला की भी बोवनी की जाए (Azolla cultivation) तो किसानों को इससे काफी लाभ हो सकता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि धान के लिए तो अजोला किसी वरदान से कम नहीं है। अजोला में पर्याप्त नाइट्रोजन होता है जोकि भूमि की उर्वरता को बढ़ा देता है। अजोला धान में रासायनिक खाद की कमी को भी पूरा करता है. इसे लगाने से धान के लिए खाद का इस्तेमाल कम करना पड़ता है जिससे किसानों की लागत में भी कमी आ जाती है। इसके साथ ही अजोला घर के दुधारू पशुओं के लिए एक अच्छा चारा भी होता है। अजोला खाने से दुधारु पशुओं का दूध भी बढ़ता है।
जानें क्या है अजोला
अजोला एक जलीय फर्न है जो धान की खेती के लिए बहुत उपयोगी होता है। इसकी नाइट्रोजन को परिवर्तित करने की दर करीब 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होती है। यही कारण है कि अजोला उगाने से धान की फसल के साथ ही खेत की भूमि को भी फायदा होता है। गौरतलब है कि मिट्टी की सेहत के लिए नाइट्रोजन काफी गुणकारी होता है। अजोला काफी हद तक गर्मी सहन करने वाली उपज होती है।
कैसे उगाएं धान के खेत में अजोला
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार अजोला को उगाने का खास तरीका है. इसे हरी खाद के रूप में पानी से भरे हुए खेत में दो से तीन सप्ताह के लिए अकेले उगाया जाता है. इसके बाद पानी से बाहर निकालकर अजोला फर्न को धान की रोपाई से पहले खेत में मिला दिया जाता है. अथवा धान की रोपाई के करीब एक सप्ताह बाद पानी से भरे खेत में 4-5 क्विंटल ताजा अजोला छिडक़ दिया जाता है।
सूखे अजोला को पोल्ट्री फीड के रूप में उपयोग किया जा सकता है और हरा अजोला मछली के लिए एक अच्छा आहार होता है। इस प्रकार अजोला का इस्तेमाल पशुओं, मुर्गी और मछली पालन में चारे के रूप में किया जा सकता है। पशुओं के लिए हरा चारा काफी अच्छा माना जाता है। अजोला में सभी पोषक तत्व होने से इसे दुधारु पशुओं के लिए उत्तम आहार बताया जा रहा है। इसे खाने से घर के दुधारू पशुओं में दूध का उत्पादन अधिक होता है।