अनुपयोगी कोयला खदानों में मछली बीज तैयार कर बन रहे स्वाबलंबी, सिंगरौली, बैतूल और छिंदवाड़ा के अनुपयोगी खदानों में भी किया प्रयोग..


स्टोरी हाइलाइट्स

भोपाल: अनुपयोगी कोयला खदानों को उपयोगी बनाने के लिए मत्स्योद्योग विभाग द्वारा मछली बीज केंद्र के रूप में डेवलप किया जा रहा है. इस कार्य में खदानों के आसपास रहने वाले गरीब परिवारों को मत्स्य पालन की आजीविका से जोड़कर स्वावलंबी बनाया जा रहा है. यह नवाचार अनूपपुर सिंगरौली बैतूल और छिंदवाड़ा जिले की अनुपयोगी कोयला खदानों में किया जाएगा.

अनुपयोगी कोयला खदानों में मछली बीज तैयार कर बन रहे स्वाबलंबी, सिंगरौली, बैतूल और छिंदवाड़ा के अनुपयोगी खदानों में भी किया प्रयोग.. गणेश पाण्डेय 

नूपपुर जिले से श्रीगणेश किया गया है. मत्स्य महासंघ के प्रबंध संचालक एवं अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक पीएल श्रीमान ने बताया कि कोयला खदानों को कोयला निकासी के पश्चात आमतौर पर खाली खदानों को खुला छोड़ दिया जाता है. अनुपयोगी एवं अत्यधिक गहरी होने के कारण इनका किसी भी कार्य में उपयोग नहीं हो पा रहा था. लगातार वर्षा एवं सतही जल के इन खदानों में भराव के कारण एक जल क्षेत्र जैसी संरचना निर्मित हो गई थी. लिहाजा इन अनुपयोगी खदानों में मछली पालन के लिए बीज तैयार किया जाएगा. इन खदानों में मत्स्य पालन हेतु भारत सरकार की नील क्रांति योजनांतर्गत केज इकाई स्थापित करने की ब्यूह रचना की गई थी. फलस्वरूप खदानों के आसपास निवासरत महिला समूहों को राजस्व प्राप्ति भी होगी. ये स्वसहायता समूह कर रहे काम : मछली पालन से आजीविका का तानाबाना बुनने वाले स्वसहायता समूहों में जोहिला डैम में आदिवासी मत्स्योद्योग सहकारी समिति पोंड़की, डोला रामनगर खदान में ज्योति स्वसहायता समूह, डोला राजनगर, कुशला बदरा खदान में आदिवासी मत्स्योद्योग सहकारी समिति जमुना बस्ती तथा छोहरी खदान छोहरी में पावनी स्वसहायता समूह काम कर रहे हैं. इन स्थानों पर केज कल्चर के माध्यम से पंगेशयिस मछली का पालन किया जा रहा है. इनसे 161 टन मछलियों का उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया है.

अनूपपुर जिले में 12 अनुपयोगी खदाने : अनूपपुर जिले में 12 अनुपयोगी खदानों को चिन्हित किया गया है. अनुभवी खदानों में मछली बीज तैयार करने का केंद्र शुरू है. मछलियों की कमाई इस व्यवसाय से जुड़े गरीब परिवारों की माली हालत बदलने में कारगर साबित हो रही है. इस मछली पालन व्यवसाय से बड़ी संख्या में महिलाएं जुड़ी हैं, जो परिवार की आय बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही हैं. जिला प्रशासन ने 12 अनुपयोगी खदानों को चिन्हित किया है, जिनमें केज कल्चर के माध्यम से मछली पालन किया जाएगा.