केंद्रीय सिविल सेवा नियमावली, 1964 के नियम 20 नियम में संशोधन किया जाए


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स्टोरी हाइलाइट्स

सतना सांसद गणेश सिंह ने सदन में उठाया मुद्दा..!!

नई दिल्ली: लोकसभा के सत्र में गुरुवार को सतना सांसद गणेश सिंह ने महत्त्वपूर्ण लोक हित के विषय के तहत नियम 377 में सशक्त हस्तक्षेप करते हुए सरकार से अनुरोध किया कि केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमावली, 1964 के नियम 20 में आवश्यक संशाधन किया जाए ताकि सांसदों एवं विधायकों के विशेषाधिकार और उनके प्रतिनिधित्व के अधिकार की रक्षा की जा सके।

गणेश सिंह ने संसद के पटल पर स्पष्ट किया कि नियम 20 के अंतर्गत वर्तमान में यह प्रावधान है कि कोई सरकारी कर्मचारी अपने हितों के लिए किसी सांसद या विधायक से संपर्क, सिफारिश या राजनीतिक प्रभाव नहीं डालेगा। उन्होंने कहा कि सांसद एवं विधायक जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि हैं, उनके हितों का संरक्षण करना न केवल उनका संवैधानिक दायित्व है, बल्कि उनका विशेषाधिकार भी है। 

उन्होंने यह तर्क प्रस्तुत किया कि उक्त नियम सांसदों/विधायकों का अपमान करता है और इससे कई बार उनके दायित्व निर्वहन में अवरोध उत्पन्न होता है। यह नियम न केवल अप्रासंगिक हो गया है, बल्कि यह भेदभावपूर्ण भी प्रतीत होता है, जो निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की भूमिका को सीमित करता है।

सतना सांसद सिंह ने सरकार से मांग की कि नियम 20 में संशोधन कर सांसदों और विधायकों के संवैधानिक उत्तरदायित्व और अधिकार क्षेत्र की स्पष्ट व्याख्या की जाए, ताकि उनके जनहितकारी कार्यों में किसी भी प्रकार की प्रशासनिक या कानूनी बाधा उत्पन्न न हो। 

उन्होंने यह भी आग्रह किया कि सरकार देशभर में उन मामलों की जानकारी सार्वजनिक करे, जिनमें इस नियम के आधार पर कार्रवाई की गई हो, ताकि उसकी प्रवृत्ति एवं दुरुपयोग की संभावनाओं का मूल्यांकन संभव हो सके। इसके अतिरिक्त उन्होंने यह भी कहा कि जैसे विभिन्न संसदीय समितियों और आयोगों में सांसदों की भूमिका और भागीदारी को विधिसम्मत संरक्षण प्राप्त है, वैसे ही उनके प्रतिनिधित्व के कार्य और अधिकारों को भी स्पष्ट रूप से सुरक्षित किया जाना चाहिए।